Wednesday, January 22, 2025
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हरियाणा में सावित्री जिंदल की ताल ठोकने से आखिर क्यों बेताले हो रही बीजेपी?

देश की सबसे अमीर महिला 'सावित्री जिंदल' निर्दलीय उम्मीदवार, बेटा है बीजेपी सांसद, हिसार विस क्षेत्र में चलता है जिंदल परिवार का सिक्का, मनाने में जुटी है बीजेपी

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Haryana election: हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की लिस्ट जारी होने के बाद बगावती सुर और दल अदला-बदली का दौर बदस्तूर जारी है. इसी सूची में बीजेपी नेता सावित्री जिंदल भी शामिल हैं. सावित्री जिंदल देश की सबसे अमीर महिला हैं जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी से चुनावी टिकट न मिलने के बाद हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. पहली सूची में नाम न होने पर उनके समर्थक जिंदल हाउस में इकट्ठा होने लगे और उसके तुरंत बाद सावित्री जिंदल ने निर्दलीय उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया. हिसार में उनका सामने डॉ. कमल गुप्ता होंगे जो लगातार तीसरी बार हिसार विधानसभा क्षेत्र से ताल ठोक रहे हैं. हालांकि हिसार से सावित्री जिंदल की ​निर्दलीय दावेदारी के आगे बीजेपी बेताला हो रही है.

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इसकी प्रमुख वजह ये भी है कि सावित्री मशहूर उद्योगपति एवं कुरूक्षेत्र से बीजेपी सांसद नवीन जिंदल की मां हैं. नवीन ने अपनी मां की निर्दलीय उम्मीदवारी का समर्थन किया है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि पार्टी भी गलत नहीं है. वर्तमान में हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता सावित्री जिंदल को एक बार चुनाव में हरा चुके हैं. 2024 में हुए आम चुनाव से एकदम पहले सावित्री बीजेपी में शामिल हुईं थी. उन्होंने अपने पति ओमप्रकाश जिंदल के निधन के बाद हिसार में 2005 में कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव जीतकर राजनीति में एंट्री ली. 2009 में फिर चुनाव जीता और विधानसभा पहुंची लेकिन 2014 में बीजेपी के डॉ.कमल गुप्ता के सामने बुरी तरह से हारीं. 2019 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला लेकिन गुप्ता ने दूसरी बार हिसार में ​विजयी पताका फहरायी.

संघ सदस्य होने का फायदा मिला गुप्ता को

हिसार से सावित्री जिंदल का दावा काफी मजबूत था. बताया जा रहा है कि 2 सितंबर को जब फाइनल सूची तैयार की गई उसमें सावित्री जिंदल का नाम था. मौजूदा विधायक कमल गुप्ता ने टिकट कटने की खबरों के बीच राज्य के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर से 2 बार मुलाकात की. मगर खट्टर ने जब अपने आवास पर रात को बैठक बुलाई, तब नाम काटकर कमल गुप्ता का जोड़ दिया गया.

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डॉ. कमल गुप्ता को आरएसएस से जुड़े होने का फायदा मिला है. संघ के पुराने प्रचारक आज अखिल भारतीय स्तर पर सेवाएं दे रहे हैं जिन्होंने डॉ. कमल गुप्ता की टिकट दिलवाने के लिए केंद्र में लॉबिंग की. मध्यप्रदेश में नेता कैलाश विजयवर्गीय और डॉ. कमल गुप्ता की गहरी मित्रता है. कमल गुप्ता की ससुराल इंदौर है. कैलाश विजयवर्गीय इस नाते गुप्ता को दामाद मानते हैं. इस नाते भी कैलाश विजयवर्गीय ने पूरी मदद की. स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता सावित्री जिंदल को चुनाव में हरा चुके हैं. इसका भी उन्हें फायदा मिला है.

पौने तीन लाख करोड़ की मालकिन हैं सावित्री जिंदल

जिंदल परिवार की मुखिया और जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल फॉर्च्यून इंडिया की लिस्ट के मुताबिक, देश में चौथे नंबर पर सबसे अमीर शख्सियत हैं. वह देश की सबसे अमीर महिला भी हैं. सावित्री जिंदल हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं और स्टील किंग स्व.ओपी जिंदल की पत्नी हैं. फॉर्च्यून इंडिया की सूची के मुताबिक, 74 वर्षीय सावित्री देवी जिंदल लगभग 2.77 लाख करोड़ रुपए की मालकिन हैं. ऐसे में प्रचार के मामले में सावित्री अपने प्रतिद्वंद्वी पर भारी पड़ने वाली हैं. हालांकि बीजेपी उम्मीदवार कमल गुप्ता के साथ बीजेपी स्टार प्रचारकों की पूरी फौज है. ऐसे में ‘कमल’ जिंदल पर भारी पड़ सकता है.

चुनाव लड़ा तो कडी टक्कर देंगी सावित्री जिंदल

फिलहाल सावित्री जिंदल ने ​निर्दलीय उम्मीदवारी पेश की है. बीजेपी उन्हें मनाने की पूरी कोशिश में है. सावित्री जिंदल अगर चुनाव लड़ती हैं तो उनका मुकाबला बीजेपी, कांग्रेस, इनेलो और जजपा के उम्मीदवारों से होगा. हालांकि मुख्य मुकाबला बीजेपी के साथ है. बीजेपी के डॉ. कमल गुप्ता और सावित्री जिंदल 2014 में आमने-सामने हो चुके हैं. सावित्री जिंदल ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा था और कमल गुप्ता ने बीजेपी से. इस चुनाव में बिजनेसमैन डॉ. सुभाष चंद्रा ने कमल गुप्ता की मदद की थी और सावित्री को हार का मुंह देखना पड़ा था.

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जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है. जिंदल परिवार ने राजनीति के साथ हिसार में सेवा के कई माध्यम जैसे स्कूल और अस्पताल खोले हुए हैं. इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी दी है. यह सब जिंदल हाउस से जुड़े हैं. जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में हैं जो सिर्फ जिंदल हाउस के कहने पर ही चलता है. डॉ. कमल गुप्ता मंत्री रहे मगर हिसार में उनके प्रति नाराजगी सामने आती रही. इसका फायदा सावित्री जिंदल को मिल सकता है. सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं.

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