रेसलर बजरंग पूनिया और पेरिस ओलंपिक में पदक से चूकी विनेश फोगाट अब अपनी सियासी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं. दोनों ने एक दिन पहले ही कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की है. इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने विनेश फोगाट को जुलाना से हरियाणा विधानसभा चुनाव का टिकट थमाया है, जबकि पूनिया को बड़ी जिम्मेदारी संभालते हुए ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. बजरंग पूनिया के भी चुनाव लड़े जाने की संभावना काफी तीव्र है. कांग्रेस दोनों रेसलर की पॉपुलर्टी को हरियाणा विधानसभा चुनाव में भुनाना चाह रही है, वहीं बीजेपी नेता बबीता फोगाट के अपनी ही बहिन पर चुनावी हमलों का इंतजार हो रहा है.
विनेश के प्रति सहानुभूति को भुनाना है लक्ष्य
विनेश फोगाट के साथ जो भी पेरिस ओलंपिक में घटा, उससे विनेश के लिए देशभर में सहानुभूति की लहर छाई हुई है. चूंकि विनेश हरियाणा से है, ये उनका घर है और यहां उन्हें सियासत में उतार कांग्रेस ने एक बड़ा दांव खेल दिया है. इस वजह से कांग्रेस हरियाणा में जिस भी स्थिति में है, उससे थोड़ी तो मज़बूत हुई ही है. विनेश, जो मात्र सौ ग्राम ज़्यादा वजन के कारण पेरिस ओलिंपिक में अयोग्य करार दी गई थीं और जिससे केवल हरियाणा ही नहीं, पूरा देश दुखी हुआ था, उस सहानुभूति का लाभ भी कांग्रेस को मिल सकता है.
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संभव है कि अब हरियाणा में जहां भी चुनाव-प्रचार के लिए राहुल या प्रियंका गांधी जाएंगे, विनेश फोगाट को मंच पर ज़रूर बैठाएँगे. ताकि सहानुभूति को भुनाया जा सके. निश्चित ही इसका राजनीतिक लाभ कांग्रेस को मिलेगा. पहलवानों के समर्थन में जंतर मंतर पर दिए गए धरने में विनेश ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था. यहां भी उन्हें सम्मान की नजर से ही देखा जाता है. फिलहाल बीजेपी के पास इस तरह का कोई सहानुभूति कार्ड नहीं है. 10 साल की एंटी इंकम्बेंसी भी है. ऐसे में कांग्रेस के इस दांव के सामने बीजेपी फीकी पड़ती दिख रही है.
बजरंग के जरिए किसान-जाट वोट साधे
ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया को ऑल इंडिया किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर भी कांग्रेस ने एक बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है. यहां बजरंग के जरिए किसानों एवं जाटों को लामबंद करने का प्रयास किया है. बजरंग ने पहलवानों के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. विनेश के वापसी के वक्त पहलवानों में बजरंग ही उनका सम्मान करने पहुंचे थे. बजरंग ने ही विनेश को कांग्रेस का द्वार दिखाने में मदद की है. बजरंग लंबे समय से कांग्रेस के संपर्क में हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी कुछ महीनों पहले बजरंग पूनिया की एकेडमी में भी दिखाई दिए थे. ऐसे में बजरंग के सहारे जाट वोटर्स को पाले में लाने की कोशिश की जा रही है.
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दूसरी ओर, विनेश की बहिन पूर्व रेसलर बबीता फोगाट का टिकट काट बीजेपी ने दोनों बहिनों की चुनावी जंग को खत्म कर दिया है. पूर्व में यही अंदेशा बना हुआ था कि मुकाबला बबीता बनाम विनेश में हो सकता है. हालांकि बबीता ने सोशल मीडिया पर विनेश के खिलाफ पारिवारिक जंग जरूर छेड़ रखी है. वहीं बीजेपी हरियाणा में जाट वोटों का बंटवारा करने पर आमादा है. अगी यह संभव हो गया तो बीजेपी को हराना मुश्किल हो जाएगा.
अन्य पहलवानों का मिलेगा साथ
हालांकि महिला पहलवान साक्षी मलिक सहित अन्य पहलवान जो भी बृज भूषण सिंह के खिलाफ आंदोलन में शामिल थे, वे अभी तक राजनीति से दूर हैं लेकिन विनेश और बजरंग पूनिया से उन्हें कोई नाराजगी भी नहीं है. ऐसे में यहां कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी पर भारी पड़ रही है. आंदोलन के वक्त जब देश की बेटियां सड़कों पर घसीटी जा रही थी, उस वक्त बीजेपी की महिला विधायकों एवं सांसदों के मुंह पर ताला बंद था. ये घटनाक्रम पूरे देश ने देखा. बबीता फोगाट उस वक्त भी इस आंदोलन से दूर रही थी. ऐसे में विनेश को हरियाणा के सियासी जंग में उतार कांग्रेस ने तुरुप का इक्का फेंका है, जिसका जवाब जुलाना में तो बीजेपी के पास शायद नहीं है.
अब देखना ये होगा कि बजरंग पूनिया के जरिए किसानों एवं जाटों को लामबंद करने में कांग्रेस कितनी सफल रहती है. अगर बजरंग ऐसा करने में सफल हो गए तो यहां बीजेपी की हैट्रिक लगाना निश्चित तौर पर असंभव टास्क साबित होगा.