Haryana Election 2024: हरियाणा की 90 सीटों के लिए एक महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. बीते एक दशक से यहां बीजेपी की सरकार काबिज है लेकिन इस बार समीकरणों में ‘हाथ’ का दबदबा बनते दिख रहा है. नायाब सिंह सैनी के नेतृत्व में हरियाणा की जमीन भारतीय जनता पार्टी के हाथों से निकल सकती है. कुमारी सैलेजा और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मनमुटाव के चलते कांग्रेस संकट उठा सकती है. इसके बावजूद कांग्रेस की स्थिति राज्य में ‘कमल’ को लगातार खिलने से रोक सकती है. हालांकि ये भी सच है कि दोनों ही प्रमुख पार्टियों इस बार भी बहुमत से दूर रह सकती हैं और सत्ता के ताले की चाबी छोटी पार्टियों के हाथों में रहने की पूरी पूरी संभावना बन रही है.
हरियाणा विधानसभा चुनावों में इस बार भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जजपा), चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी (ASP), इनेलो और आप आदमी पार्टी सहित कई अन्य पार्टियां भी मैदान में हैं. पिछली बार यहां से 6 से ज्यादा निर्दलीय भी जीत कर विधानसभा में पहुंचे थे. जजपा केवल 10 विधायकों के साथ ‘किंगमेकर’ की भूमिका में रही थी. दुष्यंत चौटाला डिप्टी बने थे.
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एक साक्षात्कार में पूर्व डिप्टी सीएम एवं जननायक जनता पार्टी के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष दुष्यंत चौटाला इस बार त्रिशंकु सरकार बनाने का दावा ठोक चुके हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हम इस बार भी किंगमेकर की भूमिका में रहेंगे. सत्ता के ताले की चाबी भी हमारे पास होगी और हम ही इसे खोलेंगे. हालांकि जजपा के कई विधायक पार्टी छोड़कर अन्य पार्टियों की ओट में जा दुबके हैं. इसके बावजूद दुष्यंत चौटाला के हौसले बुलंद है. इसके बावजूद हरियाणा में जजपा के समीकरण बिगड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं.
वहीं पंजाब में एक तरफा सफलता हासिल करने के बाद आप आदमी पार्टी हरियाणा की कई सीटों पर दावा ठोक रही है. आप का मैदान में उतरना कांग्रेस के लिए वोट कटवा वाली स्थिति बना सकता है. ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी आप से गठजोड़ बिठाने की मंशा जता चुके हैं. ऐसे में आप से गठबंधन करने कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. इसके लिए दिल्ली सीएम एवं आम संयोजक अरविंद केजरीवाल की सहमति का इंतजार है. हालांकि सीट बंटवारे को लेकर बात बिगड़ भी सकती है.
इधर, आजाद समाज पार्टी और इनेलो ने बसपा के साथ गठबंधन किया है. उद्देश्य SC वोट बैंक को अपनी तरफ खींचना है. बसपा की पिछले कुछ चुनावों में हालत ठीक नहीं है लेकिन SC-ST वोटर्स पर पकड़ मजबूत है. ऐसे में यहां कुछ सीटें आ सकती है. दुष्यंत चौटाला इसी गठबंधन की ओर इशारा है. हालांकि छोटी पार्टियां व छोटे गठबंधन का निशाना कांग्रेस और बीजेपी भी रहने वाली है लेकिन सत्ता की मलाई खाने के लिए गठबंधन करने में भी कोई पीछे नहीं हटेगा. पिछले विधानसभा चुनावों में जजपा का बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाना इसका स्पष्ट उदाहरण है.
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अभी हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस व बीजेपी प्रमुख दल हैं जबकि जजपा, एएसपी, इनेलो, बसपा व आम आदमी पार्टी समेत आधा दर्जन से अधिक अन्य दल भी रेस में है. निर्दलीयों की जमात भी किस्मत आजमाने उतरेगी है. राज्य में विधानसभा चुनाव 12 अक्टूबर को होना है. तब सारे घोड़े मैदान में होंगे. उसमें देखना पड़ेगा कि मैदानी घोड़ा कौन सा है और आप के खुद के घर का घोड़ा कौन सा है. जो मैदानी घोड़े होंगे, वही रेस जीतेंगे.