राजस्थान में आने वाले ‘चीते’ क्यों हो गए चित्त?- कुंदनपुर ने ओम बिरला को पत्र लिखकर उठाए सवाल

क्या आपने ईमानदारी से कभी चीता को आपके लोकसभा क्षेत्र में बसाने हेतु किया प्रयास? आपने सुनहरा अवसर खोकर कोटा लोकसभा तथा प्रदेश की जनता को किया है निराश, सच यह है कि राजस्थान सरकार ने तो "चीता" लाने की रूचि दिखाई मगर आपने व केन्द्र सरकार ने इस प्रयास का कर दिया राजनीतिकरण- ओम बिरला से बोले भरतसिंह कुंदनपुर

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‘राजस्थान में 'चीते' क्यों हो गए चित्त?’

Politalks.News/Rajasthan. कल यानी 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन को उत्सव की तरह मानाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है. भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी के जन्मदिवस पर अलग अलग तरह के बड़े बड़े एलान करने में जुटी है. लेकिन इसी बीच जिस बात ने देश के सभी लोगों का ध्यान अपनी और आकर्षित किया है वो देश में आने वाले चीते. जी हां भारत में 70 साल बाद चीते आ रहे हैं. 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं. नामीबिया से ये चीते स्पेशल चार्टर फ्लाइट से ग्वालियर लाए जाएंगे. जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन चीतों का कूनो नेशनल पार्क में एक लोहे की मचान पर लीवर खींच क्वॉरंटीन ज़ोन में छोड़ेंगे. वहीं चीता प्रोजेक्ट पर अब सियासत भी शुरू हो गई है. राजस्थान के सत्ताधारी कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने दावा किया है कि ये चीते राजस्थान के मुकंदरा क्लोजर में आने थे लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अरुचि के कारण ऐसा नहीं हो सका.

आपको बता दें कि अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले एवं अपनी ही सरकार पर कई मुद्दों को लेकर सवाल उठाने वाले सांगोद विधायक भरतसिंह कुंदनपुर ने लोकसभा अध्यक्ष एवं कोटा सांसद ओम बिरला को पत्र लिखा है. यही नहीं कुंदनपुर ने देश में 70 साल बाद आने वाले चीतों के राजस्थान की जगह मध्यप्रदेश प्रवास को लेकर भी बिरला से सीधा सवाल पुछा है. भरतसिंह कुंदनपुर ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘राजस्थान में आने वाले ‘चीते’ क्यों चित्त हो गए? उपरोक्त विषय के संबन्ध में समाचार पत्र में प्रमुखता से छपी उस खबर की और आपका ध्यान दिलवाना चाहता हूँ. जो कूनो अभ्यारण में चीते छोडने से संबन्ध रखती है. इस विषय पर आपको समय समय पर पत्र लिख चुका हूँ मगर आपकी अरूचि के कारण ही जो “चीता” आपके लोकसभा क्षेत्र के मुकंदरा क्लोजर में छोडे जाने थे वह नही आ सके.

भरत सिंह कुंदनपुर का पत्र
भरत सिंह कुंदनपुर का पत्र

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भरतसिंह कुंदनपुर ने अपने पत्र में लिखा कि, ‘केन्द्र सरकार की राजनीति तथा आपकी अरूचि से कोटा में आने वाले ‘चीते’ चित्त हो गए है. पर्यटन के विकास की दुआ देने वाले व चम्बल में क्रूज चलाने व होवरकाफट की योजना का सपना दिखाने वाले “चीता” को बसाने पर क्यो मोन रहे हैं, यह क्षेत्र की जनता आपसे जानना चाहती है. कल दिनांक 17.9.2022 को प्रधानमंत्री जी “कूनो अभ्यारण” में चीता छोड़कर अपना जन्मदिन मनायेंगे. क्या यह मुकंदरा में नही हो सकता था? क्या आपने ईमानदारी से कभी चीता को आपके लोकसभा क्षेत्र में बसाने हेतु प्रयास किया था? आपने सुनहरा अवसर खोकर कोटा लोकसभा तथा प्रदेश की जनता को निराश किया है. सच यह है कि राजस्थान सरकार ने तो “चीता” लाने की रूचि दिखाई मगर आपने व केन्द्र सरकार ने इस प्रयास का राजनीतिकरण कर “चीता” को चित्त कर दिया.’

बता दें कि नामीबिया से चीतों का ला रहा कार्गो प्लेन शुक्रवार रात को रवाना होगा. यह 17 सितंबर को सुबह 8 बजे ग्वालियर पहुंचेगी. यहां से इन चीतों को हेलिकॉप्टर के जरिए कूनो पार्क लाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 17 सितंबर को जन्मदिन है. पीएम अपने जन्मदिन पर इन चीतों को उद्यानों में बनाए गए विशेष बाड़े में छोड़ा जाएगा. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि, ‘कूनो पहुंचने के बाद चीतों को 30 दिनों तक एक बाड़े में रखा जाएगा. इस दौरान उनकी सेहत पर नजर रखी जाएगी और इसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा. इकोलॉजिकल बैलेंस बनाए रखने के लिए कम से कम 25-30 चीता यहां होने चाहिए, इसलिए पांच साल में और चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से यहां लाए जाएंगे.’

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बता दें कि चीतों का तेजी से शिकार बढ़ जाने की वजह से ये प्रजाति संकट में आ गई थी. मध्य प्रदेश में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश में में अंतिम तीन चीतों को मार डाला था. इसके बाद 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था.

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