Politalks.News/JammuKashmir. कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलों का मानों चोली और दामन का साथ है और हो भी क्यों ना. कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में अब पार्टी के पुराने नेताओं को साथ रखने की कला लगभग ख़त्म होती जा रही है. पहले कम से कम पुराने नेताओं से अलग अलग मसलों पर चर्चा तो की जाती थी लेकिन अब तो ऐसा बिलकुल नजर नहीं आता. ऐसे हम ही नहीं कह रहे बल्कि अब तक पिछले 6 महीनों में पार्टी का साथ छोड़ने वाले कई दिग्गज नेता कह चुके हैं. इसी कड़ी में अब कांग्रेस को जम्मूकश्मीर में एक और बड़ा झटका लगने वाला है. सूबे के पूर्व मुख्यमत्री गुलाम नबी आजाद के बाद जम्मू कश्मीर कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं महाराजा हरि सिंह के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने भी अब कांग्रेस छोड़ने के संकेत दिए हैं. हालांकि उन्होंने साफ़ तौर पर इस बात का इजहार नहीं किया है लेकिन उनके बयानों से तो यही लग रहा है कि वे भी अब जल्द कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले हैं. कर्ण सिंह ने कहा कि, ‘मैंने 1967 में कांग्रेस जॉइन की थी, लेकिन 8 से 10 सालों से मैं संसद का सदस्य नहीं हूं. मैं कांग्रेस में हूँ लेकिन किसी से मेरा कोई संपर्क नहीं है.’
पिछले महीने की 26 तारीख को कांग्रेस पार्टी को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा था जब पार्टी वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से लेकर सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था. यही नहीं गुलाम नबी आजाद ने अपने इस पत्र के जरिये कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर जमकर निशाना भी साधा था. जम्मू कश्मीर में परिसीमन के बाद अब कभी भी चुनावी तारीखों का एलान हो सकता है. ऐसे में आजाद का पार्टी छोड़ना उसके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. तो वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह भी पार्टी छोड़ने के संकेत दे रहे हैं. ऐसा होता है तो जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के पास आगामी चुनाव में कोई बड़ा चेहरा नहीं होगा.
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महाराजा हरि सिंह के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री कर्ण सिंह ने भी अब कांग्रेस छोड़ने के संकेत दिए हैं. शुक्रवार को जब पत्रकारों ने उनसे कांग्रेस से जुड़े कुछ सवाल किये तो उन्होंने कहा कि, ‘मैंने 1967 में कांग्रेस जॉइन की थी, लेकिन आज पार्टी से मेरे रिश्ते न के बराबर हैं. पिछले 8 से 10 सालों से मैं संसद का सदस्य नहीं हूं. वर्किंग कमिटी से भी मुझे बाहर कर दिया गया. हां, मैं कांग्रेस में हूं, लेकिन मेरा कोई संपर्क नहीं है. कोई मुझसे किसी भी चीज के लिए बात नहीं करता. मैं अपना काम करता हूं. मेरे पार्टी से रिश्ते न के समान हैं.’ कर्ण सिंह के इस बयान को उनकी ओर से कांग्रेस छोड़ने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है. जम्मू-कश्मीर रियासत के आखिरी महाराजा हरि सिंह के बेटे कर्ण सिंह 1967 से 1973 तक केंद्र सरकार में मंत्री थे. हालांकि बीते कई सालों से वह उपेक्षित चल रहे हैं.
वहीं कांग्रेस का साथ छोड़ चुके गुलाम नबी आजाद की तरह ही कर्ण सिंह से भी पीएम नरेंद्र मोदी के अच्छे रिश्ते हैं. हाल ही में उन्होंने एक पुस्तक लिखी थी, जिसका विमोचन खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था और कर्ण सिंह की इस मौके पर जमकर तारीफ की थी. कर्ण सिंह ने भले ही अपने अगले प्लान के बारे में कुछ नहीं बताया है, लेकिन उनके पार्टी छोड़ने के कयास लगने लगे हैं. गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के बाद जम्मू-कश्मीर में अपनी अलग पार्टी बनाने का ऐलान किया है. वह लगातार रैलियां कर रहे हैं और राहुल गांधी तक पर सीधा हमला बोल रहे हैं.
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बता दें कि कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि, ‘राहुल गांधी के सियासत में आते ही कांग्रेस की पुरानी व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी, जो दशकों से चली आ रही थी. इस पर कांग्रेस ने उन पर तीखा वार किया था और कहा था कि वह भाजपा की भाषा बोल रहे हैं. गुलाम नबी आजाद ने तो पिछले दिनों यह भी कह दिया था कि अब 370 जम्मू-कश्मीर में वापस नहीं आ सकता.’