Politalks.News/Maharashtra. पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव (5 state assembly elections) के बीच महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल (Earthquake in Maharashtra politics) आया हुआ है. एक के बाद एक सेंट्रल एजेंसियों की अघाड़ी सरकार के मंत्री और विधायक पर कार्रवाई हुई है. इसके पलटवार में राज्य की एजेंसियों ने भी कमर कस ली है. ED द्वारा मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) की गिरफ्तारी और आयकर विभाग की शिवसेना के दिग्गज विधायक के यहां कार्रवाई के पलटवार में बीएमसी के अधिकारियों का केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे (Narayan Rane) की जांच करने पहुंचना सवाल खड़े कर रहा है. नारायण राणे ने पहले ही दे दिए थे संकेत की अघाड़ी के चार लोगों पर ED लेगी एक्शन तो राउत भी कह चुके हैं कि भाजपा के चार नेताओं के लिए जेल में कमरा तैयार किया जा रहा है. सियासी चर्चा है कि ऐसे ही सत्ताधारी पार्टियां जांच एजेंसियों का बदले के लिए इस्तेमाल होगा तो ये ‘बदलापुर’ (Badlapur) का खेल कहां जाकर रुकेगा? दूसरा ये की क्या ऐसे माहौल में जांच एजेंसियां अपनी साख को बचा पाने में कामयाब हो पाएगी क्या?
सियासी चर्चा है कि भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र को लेकर व्याकुल है. ऐसा लग रहा है कि उसे महाराष्ट्र में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार हजम नहीं हो रही है. आपको याद दिला दें कि पहले तो भाजपा ने बड़े राज्य में किसी तरह से सरकार बनाने की कोशिश की थी और जब सफलता नहीं मिली तो पहले दिन से महाराष्ट्र भाजपा के नेता अघाड़ी सरकार को डेडलाइन दे रहे हैं कि किस दिन तक ठाकरे सरकार गिर जाएगी. तभी ऐसा लग रहा है कि भाजपा के राजनीतिक प्रयासों के साथ साथ केंद्रीय एजेंसियों के प्रयास भी तेज हो गए हैं. पहले गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख गिरफ्तार हुए और अब नवाब मलिक को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है. इनके अलावा पार्टी के सांसद संजय राउत सहित करीब एक दर्जन मंत्रियों, विधायकों, सांसदों पर तलवार लटकी है.
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आपको बता दें कि तीन दिन पहले ही भाजपा के नेता और केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री नारायण राणे ने कहा था कि महाविकास अघाड़ी के चार नेताओं के खिलाफ ईडी का नोटिस तैयार है. सियासी गलियारों में चर्चा है कि राणे का बयान आया और तीन दिन में ही ठाकरे सरकार के एक बड़े मंत्री के यहां नोटिस लेकर ईडी की टीम पहुंच गई और उनको गिरफ्तार भी कर लिया. सवाल यह उठ रहा है कि नारायण राणे को ईडी की तैयारियों का कैसे पता था? क्या इससे संजय राउत के इस बयान की पुष्टि नहीं होती है कि केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल राज्य सरकार के खिलाफ किया जा रहा है? संजय राउत ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि हमारे घर आ सकते हैं कुछ मेहमान, अब दोनों नेताओं के बयान संयोग हैं या प्रयोग ये तो खुद राउत और राणे ही बता सकते हैं.
महाराष्ट्र में एक तरफ केंद्रीय एजेंसियों की गाज प्रदेश के मंत्रियों और नेताओं पर गिर रही है तो दूसरी ओर प्रदेश सरकार की एजेंसियां केंद्र सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं. ED के नोटिस का दावा करने वाले केन्द्रीय मंत्री नारायण राणे के जुहू स्थित बंगले में भी कथित अवैध निर्माण की जांच बीएमसी के अधिकारियों ने की है. संजय राउत ने कहा है कि, ‘भाजपा के चार बड़े नेताओं के लिए जेल में कमरा तैयार किया जा रहा है. राज्य का भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो यानी एसीबी, राज्य की पुलिस और मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी के अधिकारी भाजपा नेताओं की फाइल तैयार कर रहे हैं’.
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आपको बता दें कि जैस पश्चिम बंगाल में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के विरोध में ममता सरकार की एजेंसियों ने भाजपा नेताओं को परेशान किया उसी तरह महाराष्ट्र में भी पलटवार की कार्रवाई की तैयारी हो रही है. इस तरह से अगर बदला निकालने या राजनीतिक मकसद से केंद्रीय एजेंसियां कार्रवाई करेंगी और राज्य की एजेंसियां जवाबी कार्रवाई करेंगी तो उसका क्या नतीजे निकलेगा? क्या इस तरह से भारतीय राजनीति की सफाई हो सकती है?