राठौड़ को मंत्री बनाकर क्या साबित करना चाहते हैं शिंदे? BJP भी नहीं कर पाई इसका विरोध, आखिर क्यों?

महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ शिंदे सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद मचा बवाल, विपक्ष ने विधायक संजय राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर उठाए सवाल, तो शिंदे ने दिया दो टूक जवाब और उद्धव ठाकरे को सियासी संदेश, वहीं देवेंद्र फडणवीस के महिला विधायक को कैबिनेट में शामिल ना करने को लेकर दिए गए बयान पर सियासी गलियारों में होने लगी चर्चा- क्या ये सरकार भी वही करेगी जो पिछली सरकार ने किया?

राठौड़ के मंत्री बनने पर गरमाई सियासत
राठौड़ के मंत्री बनने पर गरमाई सियासत

Politalks.News/Maharashtra. ठीक एक महीने और 9 दिन बाद हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार विपक्ष के निशाने पर आ गया है. ऐसे तो पूरी की पूरी शिंदे सरकार ही विपक्ष के निशाने पर है लेकिन एकनाथ शिंदे हैं कि सभी आरोपों को दरकिनार करते हुए बीजेपी के साथ आगे बढ़ रहे हैं. ठीक ऐसा ही नजारा मंत्रिमंडल विस्तार में भी देखने को मिला. उद्धव ठाकरे ने जिस मंत्री को आत्महत्या से जुड़े मामले में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया था और जिस मंत्री की गिरफ्तारी के लिए बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस तत्कालीन सरकार पर दबाव डाल रहे थे उसी नेता को शिंदे सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. जी हां हम बात कर रहे हैं संजय राठौड़ की जिसे शिंदे कैबिनेट में शामिल करने को लेकर बवाल मचा हुआ है. वहीं विपक्ष इस बात को लेकर भी सत्ता पक्ष पर हमलावर है कि शिंदे कैबिनेट में किसी भी महिला विधायक को तरजीह नहीं दी गई. इसे लेकर देवेंद्र फडणवीस का एक बेतुका सा बयान भी सामने आया जिसकी चर्चा हम आगे करने वाले हैं.

अब आपको बताते हैं कि आखिर लम्बे इंतजार के बाद बीते रोज यानी 9 अगस्त 2022 मंगलवार को महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार ने अपना मंत्रिमंडल विस्तार कर ही दिया. इस मंत्रिमंडल विस्तार में शिंदे गुट और बीजेपी के बराबर बराबर यानी 9-9 विधायकों ने मंत्रीपद की शपथ ली. शिंदे कैबिनेट में राधाकृष्ण विखे पाटिल, सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रकांत पाटिल, विजय कुमार गावित, गिरीश महाजन, गुलाबराव पाटिल, दादा भुसे, संजय राठौड़, सुरेश खाडे, संदीपन भुमरे, उदय सामंत, तानाजी सावंत, रवींद्र चव्हाण, अब्दुल सत्तार हो चुके हैं शामिल. एकनाथ शिंदे कैबिनेट का विस्तार तो हो चूका है लेकिन विपक्ष इस मंत्रीमंडल विस्तार पर लगातार सवाल उठा रहा है. शिवसेना विधायक संजय राठौड़ को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर बवाल मचा हुआ है.

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दरअसल, पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे नीत महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शामिल रहे संजय राठौड़ को एक महिला की मौत के मामले को लेकर आरोप लगने के बाद इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन अब शिंदे ने उन्हें मंत्री बनाया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कभी नहीं चाहते थे कि उनकी सरकार के मंत्री कुछ भी ऐसा काम करें जिससे भविष्य में बीजेपी उन पर सवाल उठाए. यही कारण है कि एक युवती की आत्महत्या के मामले में वन मंत्री संजय राठौड़ पर आरोप लगने से उद्धव ठाकरे परेशान हो गए थे. राठौड़ के इस्तीफे के लिए विपक्ष के दबाव के साथ ही एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी उनके इस्तीफे पर जोर दिया. लेकिन ऐसे समय में एकनाथ शिंदे ने राठौड़ के पक्ष में मजबूती से खड़े होते हुए उद्धव ठाकरे से उनका इस्तीफा स्वीकार न करने के लिए जोरदार आग्रह किया था.

वहीं बीजेपी नेता एवं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी उस समय संजय राठौड़ की गिरफ्तारी का मुद्दे उठाकर महाविकास अघाड़ी सरकार को घेरने की कोशिश की थी. ऐसे में उसी संजय राठौड़ को शिंदे कैबिनेट में शामिल करने पर सवाल उठने लगे हैं. इसी को लेकर शिवसेना गुट से ताल्लुक रखने वाले किशोरी पेडनेकर ने कहा, “यह (भाजपा) वॉशिंग मशीन की तरह है, एक बार जब उसमे कोई चला जाता है तो वो स्वच्छ होकर ही बाहर निकलता है.’ वहीं संजय राठौड़ को कैबिनेट में शामिल करने पर अब बीजेपी नेता भी सवाल उठा रहे हैं. बीजेपी की राज्य इकाई की उपाध्यक्ष चित्रा वाघ ने ट्वीट कर लिखा कि, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र की बेटी पूजा चव्हाण की मौत का कारण बने संजय राठौड़ को फिर से मंत्री का पद दिया गया है… मैं उनके खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखूंगी.’ उधर विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि, ‘पिछली सरकार के दौरान जांच के बाद उन्हें पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है. इसलिए हमने उन्हें मंत्री बनाया है. जिस किसी को भी आपत्ति होगी हम उससे बात करेंगे.’

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सियासी गलियारों में चर्चा है कि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संजय राठौड़ को राज्य मंत्रिमंडल में नियुक्त करते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को सीधा संदेश दिया कि वह अपने साथी मंत्री के पीछे मजबूती से खड़े रहना चाहते हैं, भले ही वह कुछ गलतियां करें. वहीं उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गिरीश महाजन, राधाकृष्ण विखे पाटिल, रवींद्र चव्हाण को कैबिनेट में शामिल कर प्रदेश के भाजपा नेताओं को संदेश दिया है कि दिल्ली में उनका वजन कम नहीं हुआ है. दूसरी सबसे बड़ी बात जो सामने आ रही है वो यह है कि शिंदे कैबिनेट में एक भी महिला विधायक को जगह नहीं दी गई. महिला सम्मान की बात करने वाली और देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पर एक महिला द्रौपदी मुर्मू को विराजित करने के बाद भी बीजेपी महिलाओं को तरजीह नहीं दे रही. यही नहीं उनके नेता अजीबो गरीब बयान देकर बच रहे हैं.

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि, ‘समझ नहीं आता कि आखिर क्यों भाजपा की महिला नेता को इस पर आपत्ति नहीं है कि पार्टी में उन्हें समान अधिकार नहीं मिल रहा और उनके साथ सेकंड क्लास सिटीजन की तरह बर्ताव हो रहा है. आखिर मंत्री जी कहां हैं और अब इस पर चुप क्यों है?’ वहीं प्रियंका चतुर्वेदी के इस बयान पर जब देवेंद्र फडणवीस से सवाल पुछा गया तो उन्होंने कहा कि, ‘जो लोग ये सवाल उठा रहे हैं वो पहले ये बताएं कि क्या महाविकास अघाड़ी सरकार में कोई महिला मंत्री थी?’ ये तो देवेंद्र फडणवीस का बयान था लेकिन उन्हें ये जवाब भी देना चाहिए कि क्या उनकी गठबंधन सरकार भी वही काम करेगी क्या जो पूर्ववर्ती सरकार करती आई है. अगर ऐसा है तो फिर हटाइये संजय राठौड़ को कैबिनेट से, क्यों कि उद्धव ठाकरे ने भी यही किया था.

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