varun gandhi
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Loksabha Election: लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक रस्साकशी तेज हो चली है. कई चेहरों ने टिकट कटने या संभावना के चलते पाला बदल दिया. कोई ‘हाथ’ छुड़ा ‘कमल’ के साथ हो चला, तो किसी ने निर्दलीय ही दम खम दिखाने का निश्चय ​कर लिया. इसी कड़ी में एक युवा नाम है जिस पर सभी की निगाहें गढ़ी हुई है. वो हैं वरुण गांधी. वे अभी यूपी की पीलीभीत संसदीय सीट से सीटिंग सांसद हैं जिनका टिकट इस बार बीजेपी ने काट दिया है. हालांकि वरुण ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. अब एक उड़ती उड़ती खबर आ रही है कि वरुण जल्द ही साइकिल की सवारी करते हुए नजर आएंगे.

सियासी गलियारों में चर्चा गर्म है कि वरुण गांधी अब अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो सकते हैं. लंबे समय से बीजेपी की विचारधारा में रचे बसे वरुण गांधी अगर ऐसा नहीं करते हैं या निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो भी वरुण गांधी को सपा से भी बाहरी समर्थन मिल सकता है. पिछले दिनों यह खबर भी सामने आई थी कि वरुण गांधी को सपा की ओर से प्रस्ताव दिया गया है. हालांकि न तो वरुण गांधी और न ही सपा ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान दिया. टिकट कटने के बाद इस खबर पर मुहर लगती नजर आ रही है.

यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट पर वरुण गांधी ने जीत की हैट्रिक लगाई है. वरुण पहली बार बीजेपी के टिकट पर 2009 में पीलीभीत सीट पर जीत दर्ज कर सदन में पहुंचे थे. उनकी मां मेनका गांधी ने पीलीभीत सीट वरुण के लिए खाली की थी. उसके बाद 2014 में दूसरी बार और 2019 में तीसरी बार इसी सीट से जीत हासिल कर वरुण गांधी लोकसभा पहुंचे थे. लोकसभा चुनाव से कुछ महीनों पहले वरुण गांधी किसान आंदोलन के पक्ष में आ गए और बीजेपी के विरोध में भाषण देने लगे. वरुण ने किसानों की एमएसपी वाली मांग को भी जायज ठहराया था. उस वक्त पर बीजेपी ने किसी नेता ने न तो उन्हें रोका और न ही कुछ कहा. उस वक्त ही अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वरुण का टिकट कट सकता है. इस बात पर मुहर लगाते हुए बीजेपी ने पीलीभीत से वरुण का टिकट काट जितिन प्रसाद को पार्टी उम्मीदवार बनाया. जितिन प्रसाद की गिनती यूपी के कद्दावर ब्रह्मण नेताओं में की जाती है.

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एक तरफ वरुण ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का मन बना लिया है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से इस बात की संभावनाओं से स्पष्ट इनकार किया जा रहा है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने मंगलवार की शाम एकता विहार कालोनी स्थित कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि वरूण गांधी बीजेपी के सच्चे सिपाही हैं और उन्हें पूरा भरोसा है कि वह पार्टी में ही रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार के होने के बावजूद बीजेपी ने ही उन्हें तीन बार सांसद बनवाया है.

गौर करने वाली बात यह है कि वरुण गांधी की मां मेनका गांधी को बीजेपी ने टिकट दिया है. मेनका गांधी को सुल्तानपुर से चुनावी समर में उतारा गया है. मेनका गांधी सुल्तानपुर से लंबे समय से सांसद रही हैं. हालांकि वरुण के टिकट कटने पर उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है. माना यह भी जा रहा है कि वरुण को लंबे समय से अपने टिकट कटने की बात पता थी. यही वजह रही कि टिकट घोषित होने से पहले ही वरुण ने नामांकन पत्र खरीद कर अपने पास रख लिए थे. वहीं से अंदाजा लगाया जाने लगा था कि वरुण गांधी टिकट कटने की स्थिति में निर्दलीय मैदान में उतरेंगे.

अब देखना रोचक रहेगा कि बीजेपी की परि​पाठी छोड़ वरुण गांधी अखिलेश यादव की ‘साइकिल’ पर सवारी करते हैं या निर्दलीय चुनावी समर में उतरकर बाहर से सपा का समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे. तीसरी परिस्थितियां ये भी बनती है कि वरुण तीन बार पीलीभीत का सांसद होने का फायदा उठाएं और बीजेपी को अपनी गलती का अहसास कराएं. हालांकि मेनका गांधी पर बीजेपी की ओर से वरुण को रोकने का प्रेशर भी रहेगा.

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