कश्मीर में चुनाव न होने पर अमेरिका ने उठाए सवाल तो NC सांसद ने बताया वेकअप कॉल, केंद्र से की मांग

जम्मू कश्मीर में चुनाव का इंतजार, 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने हटाई थी अनुच्छेद 370, राज्य में चुनाव नहीं होने को लेकर अमेरिकी सीनेट में उठाए गए सवाल, मानवाधिकार की चुनौती पर हुई चर्चा, अमेरिका के सवाल ने जम्मू कश्मीर की पार्टियों को मिला मौका, NC सांसद ने 1.3 करोड़ आबादी को नहीं छोड सकते अधिकारियों के भरोसे, तुरंत गलती सुधार फैसले ले सरकार

जम्मू कश्मीर में चुनाव का इंतजार
जम्मू कश्मीर में चुनाव का इंतजार

Politalks.News/JammuKashmir. अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) के सभी राजनीतिक दल अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर आतुर है. वहीं जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने की गूंज अब अमेरिकी सीनेट (US Senate) में गूंजी है. दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने कहा कि, ‘हमारा मानना है कि सभी कश्मीरियों को गरिमा के साथ रहने और भारतीय संविधान के तहत प्रदान सुरक्षा के साथ रहने का अधिकार है’. अमेरिकी सीनेट द्वारा जम्मू कश्मीर चुनाव का मुद्दा उठाये जाने के बाद अब जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. उनका कहना है कि, ‘क्षेत्रीय दलों ने कहा है कि इससे पता चलता है कि दुनिया को इस बात की खबर है कि कश्मीर में जमीनी हालात क्या हैं.’

2 मार्च को अमेरिकी सीनेट में अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु ने कहा था कि ‘भारत आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अभियोग चलाने के लिए पाकिस्तान को प्रोत्साहित करता रहा है. कश्मीर में मानवाधिकार स्थिति को लेकर चुनौतियां हैं. हमने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होते नहीं देखे हैं. हमने पत्रकारों का मुक्त आवागमन नहीं देखा है, बल्कि हमने कश्मीर घाटी में कुछ जाने माने पत्रकारों को हिरासत में लिए जाते देखा है.’ लु ने कहा, ‘हमारा मानना है कि सभी कश्मीरियों को गरिमा के साथ रहने और भारतीय संविधान के तहत प्रदान सुरक्षा के साथ रहने का अधिकार है. हम इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत को प्रोत्साहित करना चाहते हैं.’

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अमेरिका द्वारा की गई टिप्पणियों पर अब क्षेत्रीय दलों ने कहा है कि, ‘इससे पता चलता है कि दुनिया को इस बात की खबर है कि कश्मीर में जमीनी हालात क्या हैं. हमारी मांग है कि केंद्र सरकार इन खामियों को जल्द से जल्द दूर करे और तत्काल सुधार के लिए कदम उठाए’. नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा, ‘हम इस मामले पर भारत सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि यहां के हालात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और वह 1.3 करोड़ की आबादी वाले एक हिस्से को नौकरशाहों के शासन के हवाले नहीं छोड़ सकता.’ मसूदी ने आगे कहा कि ‘केंद्र सरकार को 5 अगस्त, 2019 को लिए गए अपने फैसले को वापस लेकर जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.’

अमेरिका के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लु के बयान पर मसूदी ने जवाब देते हुए कहा कि, ‘आज जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने की जरूरत है. अमेरिका की ओर से जो बयान आए हैं, उन्हें भारत सरकार को वेकअप कॉल की तरह लेना चाहिए.’ वहीं पीडीपी के प्रवक्ता सुहैल बुखारी का कहना है, ‘इस इलाके को एक तरह से बंधक बनाकर रखा गया है और लगातार सभी संवैधानिक अधिकारों का यहां हनन किया जा रहा है. हमारे अधिकारों की लूट हुई है और लोगों को किनारे लगाया जा रहा है. भारत सरकार को इस समस्या को दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए. बीते कुछ सालों में जो भी फैसले लिए गए हैं, वे फेल साबित हुए हैं. इसलिए उन्हें तुरंत अपनी गलतियों में सुधार करने के लिए जरूरी फैसले लेने चाहिए’.

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आपको बता दें कि, भारत सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया था. इसके बाद से ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर क्षेत्रीय दल सवाल उठा रहे हैं. फिलहाल प्रदेश में परिसीमन का काम जारी है. आखिरी बार जम्मू-कश्मीर में दिसंबर 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे और फिर 2015 की शुरुआत में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर सरकार का गठन किया था. लेकिन जून 2018 में भाजपा ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और फिर सूबे में राष्ट्रपति शासन लग गया था. इसके बाद 2019 में आर्टिकल 370 हटा दिया गया और राज्य का पुनर्गठन करते हुए लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था.

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