हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों का रंधावा के सामने हंगामा, बोले- निर्दलीयों ने मचा रखी है लूट, चुनाव में होगा नुकसान

पीसीसी में प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और गोविंद सिंह डोटासरा के फीडबैक बैठक के दौरान 13 निर्दलीय विधायकों और 6 बसपा मूल के विधायकों वाली सीटों पर हारे हुए कांग्रेस प्रत्याशियों ने आते ही उनकी अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया, डोटासरा ने भी प्रभारी के सामने नाराज उम्मीदवारों का पक्ष लेते हुए कहा कि हम इनके साथ न्याय नहीं कर पाए, रामेश्वर डूडी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि इन विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशी इग्नोर हुए हैं

पीसीसी में प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और गोविंद सिंह डोटासरा की फीडबैक बैठक
पीसीसी में प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और गोविंद सिंह डोटासरा की फीडबैक बैठक

Sukhjinder Singh Randhawa took feedback in PCC. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में लम्बे समय से जारी आंतरिक मनमुटाव और सियासी खींचतान को मिटाने के उद्देश्य से नवनियुक्त प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा इन दिनों सभी विधायकों, पदाधिकारियों, नेताओं और कार्यकताओं से फीडबैक लेने में जुटे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को प्रभारी रंधावा कांग्रेस के उन प्रत्याशियों से भी मिले जो 2018 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे. रंधावा पहले एक साथ ही सभी नेताओं से मिल रहे थे, लेकिन तभी अचानक 2018 में निर्दलीय और बसपा प्रत्याशियों से चुनाव हारने वाले प्रत्याशियों ने हंगामा कर दिया. प्रभारी रंधावा के सामने अचानक हुई इस घटना से हर कोई चौंक गया. ऐसे में जहां प्रभारी पहले सभी नेताओं से एक साथ मिल रहे थे, इसके बाद रंधावा ने एक-एक कर सभी नेताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया.

दरअसल, कांग्रेस के हारे हुए विधायक उम्मीदवारों को गुरुवार को अस्पताल रोड पर कांग्रेस वॉर रूम में फीडबैक के लिए बुलाया गया था, जहां कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा वॉर रूम में फीडबैक ले रहे हैं.13 निर्दलीय विधायकों और 6 बसपा मूल के विधायकों वाली सीटों पर हारे हुए कांग्रेस उम्मीदवारों ने आते ही प्रभारी से उनकी अनदेखी का मुद्दा उठाते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया. हुआ यह कि शाहपुरा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे मनीष यादव, बहरोड़ से आरसी यादव, नदबई से हिमांशु कटारा और खंडेला से सुभाष मील समेत 7-8 उन नेताओं ने एक साथ अपनी बात रखना शुरू कर दिया, जिनके सामने कांग्रेस के बागी के तौर पर चुनाव लड़े नेताओं को सरकार बचाने के इनाम में जबरदस्त तवज्जो मिली हुई है. अचानक हुए हंगामे के बाद प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इन सभी प्रत्याशियों को यह आश्वासन दिया कि आगे इनके साथ कुछ गलत नहीं होगा और कम से कम संगठन की नियुक्तियों में इन नेताओं को तवज्जो दी जाएगी.

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यही नहीं उम्मीद के विपरीत हारे हुए उम्मीदवारों का कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी पक्ष लिया. डोटासरा ने प्रभारी के सामने नाराज उम्मीदवारों का पक्ष लेते हुए कहा कि हम इनके साथ न्याय नहीं कर पाए, इन्हें संगठन में पद नहीं मिले और तवज्जो भी नहीं मिली, लेकिन अब ध्यान रखा जाएगा. डोटासरा ने माना सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 19 विधायकों के चलते उन 19 विधानसभा में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो सकी, इन क्षेत्रों में हमारे उम्मीदवारों के साथ हम कुछ नहीं कर पाए. वहीं, पूर्व नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने भी इस बात को स्वीकार किया कि इन विधानसभाओं में कांग्रेस के प्रत्याशी इग्नोर हुए हैं, लेकिन अब रंधावा के इस तरह के फीडबैक से कांग्रेस पार्टी को फायदा मिलेगा. रामेश्वर डूडी ने कहा कि 19 विधानसभा क्षेत्रों में हमारे कांग्रेस के उम्मीदवारों की शिकायतों को दूर किया जाना चाहिए, उनकी बात सही है. चुनाव से पहले अब इनके गिले-शिकवे हैं उन्हें दूर करना होगा.

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महिला कांग्रेस की नेताओं का भी हंगामा
इसके साथ ही कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने महिला कांग्रेस की नेताओं से भी फीडबैक लिया. फीडबैक बैठक के दौरान कई महिला नेताओं ने तवज्जो नहीं मिलने को लेकर जमकर हंगामा किया. बाद में रंधावा और डोटासरा ने समझाइश से हंगामा कर रही महिलाओं को समझाया. महिला नेताओं का कहना था कि कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद उन्हें किसी भी तरह की तवज्जो नहीं दी जाती. महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं को दोयम दर्जे का समझा जाता है, इसका आने वाले चुनाव में नुकसान होगा. महिला बड़ा वोट बैंक है, अगर इस तरह की उपेक्षा उनके साथ हुई तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. महिला कांग्रेस को केवल नाम का बनाकर रख दिया, जब सरकार और विपक्ष में कोई फर्क ही नहीं रह जाएगा तो मनोबल कैसे बना रहेगा.

वहीं कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर रंधावा के सामने बात रखने के बाद मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी मनीष यादव और सुभाष मील ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हम जैसे युवाओं को मौका दिया और कांग्रेस के ही बागियों के चलते हम चुनाव हारे. भाजपा के वोट हमारी विधानसभा में ना के बराबर थे, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बगावत करने वाले निर्दलीय एमएलए को सरकार में लाकर ताकत दी गई, जिससे न केवल हम कांग्रेस के उम्मीदवार विधानसभा में कमजोर हुए, बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को भी इन निर्दलीय विधायकों ने प्रताड़ित किया है.

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यादव और मील ने बताया कि यहां तक कि इन विधायकों के चलते कांग्रेस के साथ रहे नेताओं को पंचायत या नगरपालिका में टिकट भी नहीं दिए गए. इन विधायकों ने आरोप लगाया कि निर्दलियों ने अपनी विधानसभा क्षेत्र में पैसे लेकर सरकार का दुरुपयोग किया, जिससे आम जनता और कांग्रेस कार्यकर्ता को नुकसान हुआ. उन्होंने कहा कि हमने प्रभारी रंधावा से इस बात की शिकायत की है कि इन लोगों ने हमारे क्षेत्र में कांग्रेस को मारने का काम किया है, जिस पर उन्होंने सकारात्मक रुख भी दिखाया है और आगे संगठन में नियुक्तियों के लिए हमें आश्वस्त किया है. इसके साथ ही इन विधायक प्रत्याशियों ने यह आरोप भी लगाया कि निर्दलियों ने सरकार के नाम पर हमारे क्षेत्र में अधिकारियों को धमकाया. निर्दलीय विधायकों ने जो तांडव मचाते हुए खुली लूट की, उसका नतीजा कांग्रेस सरकार को भी आने वाले चुनाव में भुगतना होगा.

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