एक्जिट पोल्स ने जहां एक ओर विपक्ष की नींदें उड़ा रखी हैं, वहीं राजनीति का गढ़ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश में कई संसदीय सीटें ऐसी हैं जहां दिग्गजों की सांसे आखिरी समय तक अटकी हुई हैं. इन सीटों पर सभी प्रमुख पार्टियों की नजरें तो गढ़ी ही हैं, वोटर्स का भी खास फोकस है. आजमगढ़ से अमेठी और फिरोजाबाद से गोरखपुर तक एक दर्जन से अधिक सीटें हैं जिनका परिणाम हर कोई जानना चाहता है. यहां के नतीजे और अंतर कई दिग्गजों का सियासी भविष्य बनाने और बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाएंगे. आइए बात करते हैं यूपी की कुछ ऐसी ही सीटों के बारे में …
लखनऊ : यूपी की राजधानी की इस सीट से केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह फिर उम्मीदवार है. उनके खिलाफ सपा से फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा लड़ रही हैं. कांग्रेस ने प्रमोद कृष्णन को उतारा है. राजनाथ के कद को देखते हुए यहां विपक्ष की उम्मीदवारी को कमजोर बताया जा रहा था. ऐसे में इस सीट पर लोगों की दिलचस्पी जीत-हार के अंतर में है.
सहारनपुर : वेस्ट यूपी की यह सीट ध्रुवीकरण की सियासत की प्रयोगशाला है. योगी आदित्यनाथ से लेकर अखिलेश-मायावती तक ने अपने चुनाव प्रचार का आगाज यहीं से किया था. प्रियंका गांधी भी यहां पहुंची थी. बीजेपी से राघव लखनपाल शर्मा, बसपा से हाजी फजलुर्रहमान व कांग्रेस से इमरान मसूद यहां से उम्मीदवार हैं.
मुजफ्फरनगर : 2013 में यहां हुए सांप्रदायिक दंगों ने पूरी सियासत बदलकर रख दी थी. इस बार भाजपा के उम्मीदवार संजीव बालियान के खिलाफ आरएलडी के अध्यक्ष अजित सिंह चुनाव मैदान में है. पिछली बार बागपत से चुनाव हारने वाले अजित का सियासी कॅरियर दांव पर है. दिलचस्प यह भी है कि उनके पिता चौधरी चरण सिंह भी यहां चुनाव हार चुके हैं.
रामपुर : सपा के फायरब्रैंड नेता आजम खां और बीजेपी उम्मीदवार व फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा के बीच यहां सीधी लड़ाई है. दोनों ही नेताओं के बीच जिस तरह से तीखे शब्दबाण व निजी हमलों का दौरा चला उसकी चर्चा पूरे देश में हुई. आजम को प्रचार से तीन दिन के लिए बैन तक गिया. इसलिए इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं.
फतेहपुर सीकरी : कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर यहां से उम्मीदवार हैं. बीजेपी ने मौजूदा सांसद बाबूलाल चौधरी का टिकट काट राजकुमार चाहर को उम्मीदवार बनाया. बसपा से सीमा उपाध्याय के लड़ने की चर्चा थी लेकिन उनके मैदान छोड़ने के बाद गुड्ड पंडित को टिकट दिया गया. दिलचस्प यह है कि राजबब्बर को मुरादाबाद से टिकट मिला था लेकिन यहां उम्मीदवारी छोड़कर वे सीकरी आए हैं.
फिरोजाबाद : सपा के प्रथम परिवार की लड़ाई का यह सीट अखाड़ा बनी हुई है. सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ उनके चाचा शिवपाल यादव चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी से चंद्रदेव जादौन उम्मीदवार है. इस सीट का रिजल्ट शिवपाल का कद और अखिलेश की धाक दोनों ही तय करेगा.
कन्नौज : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी यहां उम्मीदवार हैं. 2014 में नजदीकी लड़ाई में वह महज 20 हजार वोटों से जीती थीं. इस बार बसपा के साथ के बाद भी उनके खिलाफ भाजपा ने मजबूत पेशबंदी की है. चुनाव के दौरान सपा ने बीजेपी पर प्रशासन के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया था.
अमेठी : कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ स्मृति इरानी फिर यहां से उम्मीदवार हैं. पिछले चुनाव में राहुल करीब 1 लाख के अंतर से ही यह सीट जीत पाए. हारने के बाद भी स्मृति यहां लगातार बनी रही. एग्जिट पोल में अमेठी की सीट पर कांटे की लड़ाई बताई गई है. इसलिए लोग की नजर कांग्रेस अध्यक्ष के भविष्य पर खास तौर से है.
आजमगढ़ : सपा मुखिया अखिलेश यादव के खिलाफ यहां से बीजेपी ने भोजपुरी फिल्म अभिनेता दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ को उम्मीदवार बनाया है. इस सीट से 2014 में अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव महज 64 हजार वोटों से जीते थे. बसपा के साथ के बाद इस सीट पर अखिलेश यादव के लिए नतीजे कैसे रहते हैं, यह हर कोई जानना चाहता है.
बनारस : पीएम नरेंद्र मोदी की इस सीट पर चुनाव से पहले नामांकन में ही उम्मीदवारी को लेकर हाईप्रोफाइल ड्रामा हुआ था. कांग्रेस से अजय राय व सपा से शालिनी यादव की उम्मीदवारी के बीच मोदी के लिए कोई चुनौती नहीं मानी जा रही है. सबकी दिलचस्पी इसमें है कि जीत का अंतर क्या होगा?
गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह संसदीय सीट उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद से ही चर्चा में बनी हुई है. समीकरण ठीक करने के लिए BJP ने उसे हराने वाले सपा सांसद प्रवीण निषाद को ही अपने पाले में कर लिया. सपा ने रामभुआल निषाद को प्रत्याशी बनाया है जबकि फिल्म अभिनेता रविकिशन बीजेपी के उम्मीदवार हैं. इस सीट के नतीजों पर सबकी निगाह है.
गाजीपुर : केंदीय मंत्री मनोज सिन्हा से यहां माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी मुकाबले में उतरे हैं. पूर्वांचल की इस सीट पर मनोज सिन्हा का दावा विकास योजनाओं के भरोसे है जबकि जातीय गणित अफजाल के पक्ष में है. विश्लेषक इस सीट को विकास बनाम जातीय राजनीति के लिटमस टेस्ट के तौर पर देख रहे हैं.
मैनपुरी : सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव इस सीट से आखिरी चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी ने प्रेम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है. अपने गढ़ की इस सीट पर मुलायम ने आखिरी चुनाव बता उन्हें रेकार्ड मतों से जिताने की भावुक अपील की थी. बसपा प्रमुख मायावती भी उनके प्रचार के लिए आई थी. इसलिए इस सीट पर वोटों का समीकरण जानने में सबकी दिलचस्पी है.
चंदौली : वाराणसी के पड़ोस की इस लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय दूसरी पारी के लिए मैदान में है. उनके सामने सपा ने संजय चौहान व कांग्रेस गठबंधन ने शिवकन्या कुशवाहा को उम्मीदवार बताया है. त्रिकोणीय मुकाबले वाली इस सीट के नतीजे भाजपा के अंडरकरंट की हकीकत तय करेंगे.