बीजेपी नेताओं द्वारा किसान आंदोलन को लेकर दिए बयान दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय- सीएम गहलोत

सरकार को किसानों की परेशानियों को संवेदनशीलता के साथ सुनना चाहिए तथा इनका सौहार्दपूर्ण समाधान निकालना चाहिए बजाय इसके कि किसानों के आंदोलन के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों को जिम्मेदार ठहराएं- सीएम गहलोत

1595643775 Gehlot 1
1595643775 Gehlot 1

Politalks.News/Rajasthan. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि केंद्र सरकार को किसान आंदोलन का कोई सर्वमान्य समाधान निकालना चाहिए और किसानों की चिंताओं पर सहानुभूतिपूर्वक ध्यान देना चाहिए. सीएम गहलोत ने कहा कि बीजेपी नेताओं द्वारा किसान आंदोलन को बदनाम करने वाले बयान दिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. केंद्र सरकार को कोई सर्वमान्य समाधान निकालना चाहिए तथा इन आंदोलनों के लिए किसी गिरोह या अन्य तत्वों पर आरोप लगाने के बजाय किसानों की चिंताओं पर सहानुभूतिपूर्वक ध्यान देना चाहिए.

मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘किसान बड़े ही शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. भाजपा नेताओं द्वारा किसान आंदोलन की निंदा करने वाले बयान अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, निंदनीय हैं. सरकार को किसानों की परेशानियों को संवेदनशीलता के साथ सुनना चाहिए तथा इनका सौहार्दपूर्ण समाधान निकालना चाहिए बजाय इसके कि किसानों के आंदोलन के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों को जिम्मेदार ठहराएं.’

यह भी पढ़ें: गजेन्द्र सिंह शेखावत का बड़ा बयान- अब किसान नहीं देश विरोधी नक्सलवादी ताकतें चला रही हैं आंदोलन

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि किसान अपनी उन जरूरी चिंताओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं जिनकी सरकार अनदेखी कर रही है. कृषि कानून, जो कि किसान समुदाय के हित में नहीं हैं उन्हें वापस लिया जाना चाहिए. सीएम गहलोत ने कहा कि यह बड़ी विडंबना है कि देश के अन्नदाता किसान भूख हड़ताल पर बैठने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि सरकार उनकी पीड़ा को नहीं सुन रही. हमारे किसानों ने शांतिपूर्ण आंदोलन का उदाहरण पूरे देश के सामने प्रस्तुत किया है. सरकार को अपना अहंकार छोड़ना चाहिए और किसानों की समस्याओं का हल निकालना चाहिए.

बता दें कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत अन्य प्रदेशों के किसान कृषि कानूनों के विरोध में पिछले 20 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए हैं. सोमवार को किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में उपवास भी रखा. किसानों ने केंद्र सरकार से इन तीनों कानूनों को तुरंत रद्द करने की मांग की है. इस समस्या और गतिरोध को सुलझाने के लिए 40 किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन अब तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका है.

Google search engine