पॉलिटॉक्स न्यूज/अयोध्या. अयोध्या में जिस घड़ी का 400 सालों से इंतजार किया जा रहा था, वो समय अब आ गया है. केवल एक रात बीच में है और राम मंदिर का शिलान्यास हो जाएगा. इस ऐतिहासिक दिन अयोध्या में दीपावली जैसा माहौल तैयार किया गया है. भूमि पूजन के लिए स्वागत के लिए 5100 कलश तैयार किए गए हैं. शिलान्यास का शुभ मुहूर्त बुधवार दोपहर 12:15 मिनट पर रखा गया है. पहले जहां शिलान्यास के मुहूर्त पर विवाद उठा, वहीं अब साधुओं में शिलान्यास को लेकर आपसी रस्साकशी वाली स्थिति बन गई है.
आयोजकों में भी नाराजगी है. बताया तो यहां तक जा रहा है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी कुछ बातों को लेकर नाराज हैं. यहां तक की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाने से भी इनकार कर दिया गया है.
दरअसल, कार्यक्रम के आयोजक समारोह के प्रत्येक कार्यक्रम और निर्णयों में आरएसएस, वीएचपी और केंद्र सरकार के अधिकारियों के घुसने से नाराज हैं. समारोह के हर कार्यक्रम और प्रत्येक फैसले उक्त तीनों ही मिलकर ले रहे हैं जबकि आयोजकों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जा रही और उन्हें पूरी तरह हाशिए पर रखकर काम किया जा रहा है. वहीं कुछ पुजारियों एवं साधु संतों को वैश्विक कोरोना महामारी के प्रोटोकॉल का हवाला देकर मंदिर कार्यक्रम में आने से रोक दिया गया है. साथ ही अयोध्या के अस्थायी राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास सहित अन्य 4 पुजारियों को कोविड-19 की रिपोर्ट नैगेटिव आने के बावजूद उन्हें घर में क्वारंटीन कर दिया गया है.
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वहीं ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास भी सरकार और आरएसएस के कुछ निर्णयों से खास तौर पर नाराज बताए जा रहे हैं. सबसे पहले तो महंत पीएम मोदी द्वारा मंदिर की आधारशिला रखने के निर्णय से भी नाराज हैं. उनके मतानुसार, वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के पहले ही आधारशिला रख दी गई थी. महंत इस बात से भी खासे नाराज हैं कि हिंदुओं के राम मंदिर के सपने को साकार करने के लिए रथ यात्रा निकाले जाने के बाद बावजूद बीजेपी के पितृ और राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य आंदोलन में भागीदारी निभाने वालों को आमंत्रित लोगों की लिस्ट से हटाया गया. इसके दूसरी तरफ भूमि पूजन करने आने वाले नरेंद्र मोदी का इस आंदोलन में दूर दूर तक कोई सरोकार या योगदान नहीं था.
आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती सहित अन्य वयोवद्ध नेताओं को यह कहा गया कि वे अन्य भारतीयों की भांति समारोह को टीवी पर ही देखें. हां, एलके आडवाणी के वीडियो कॉन्फ्रेंंस करने की बात जरूर सामने आ रही है लेकिन फिलहाल कुछ साफ नहीं है. वहीं गृहमंत्री का भी आंदोलन से लेना देना नहीं है, इसके बावजूद उनका नाम लिस्ट में है. हालांकि उनके कोरोना पॉजिटिव होने के चलते वे समारोह का हिस्सा नहीं बन जाएंगे.
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समारोह में आगंतुकों के बुलाने पर भी महंत गोपाल दास ने नाराजगी जाहिर की है. ट्रस्ट के एक पदाधिकारी के अनुसार, मूल समारोह में 280 लोगों को आमंत्रण देने की बात कही गई थी लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हस्तक्षेप के बाद सूची को 200 तक सीमित कर दिया गया. मंदिर के एक पुजारी और मंदिर परिसर में तैनात 14 पुलिसकर्मियों के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद इस संख्या को घटाकर 170 कर दिया गया. ऐसे में सूची से कई आवश्यक नाम हटा दिए गए.
इधर, अयोध्या के कई संतों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाने पर भी सवाल उठाया था, जिसके चलते उनका नाम मुख्य अतिथि की लिस्ट से हटा दिया गया है. आमंत्रण पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी भूमि पूजन और राम मंदिर निर्माण का कार्यक्रम करेंगे, जबकि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. आमंत्रण पत्र यूपी की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम से जारी किए गए हैं.