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मणिपुर में दो समुदाय के बीच टकराव को तीन महीने हो चुके हैं. जानलेवा हिंसा में 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. आधुनिक हथियारों के बीच इस भीषण संघर्ष पर अब तक न तो राज्य सरकार नियंत्रण कर पा रही है और न ही केंद्र सरकार. विपक्ष सदन में इस मुद्दे पर बहस करना चाहता है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार इससे पीछे हट रही है और रह रहकर राजस्थान और बिहार में हो रहे घटनाक्रम पर जवाब मांग रही है. यहां विपक्ष ही नहीं, बल्कि देश की जनता भी जानना चाहती है कि आखिर मणिपुर में ये जानलेवा मंजर कब शांत होगा लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस मामले पर चुप्पी साधे बैठे हैं. आखिर इसकी वजह क्या है?

दरअसल, ये लोकसभा में बीजेपी के लिए एक लचर मुद्दा है जो बाद में उन्हें कमजोर करने का काम कर सकता है. यहां सभी विपक्ष मिलकर एक साथ इस मामले पर हंगामा मचा रहे हैं लेकिन लोकसभा में भी राजस्थान में भ्रष्टाचार और बिहार में एकआत घटनाओं का बहाना लगाया जा रहा है. वहीं सत्ताधारी पक्ष अपने बचाव में विपक्ष पर ही आरोप जड़ रहा है कि वो बहस से भाग रहे हैं. सत्ताधारी पक्ष के लिए हमेशा ही बेसिरपैर बयानबाजी अभी भी जारी है जो हमेशा की तरह पार्टी के नेताओं द्वारा दी जा रही है. इसी कड़ी में नया बयान केंद्रीय मंत्री और जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत का आया है जिनके मुताबिक, विपक्ष खुद मणिपुर हिंसा पर चर्चा नहीं करना चाहता बल्कि इस मुद्दे को जीवित रखना चाहता है. इसकी वजह है कि विपक्ष को पता है कि अगर मणिपुर पर बहस हुई तो राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार और छत्तीसगढ़ की घटनाओं पर भी चर्चा होगी.

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एक समाचार एजेंसी से खास वार्ता में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं लेकिन खुद विपक्ष इस चर्चा से भाग रहा है. विपक्ष इस पर चर्चा नहीं करना चाहता और इस मुद्दे को जीवित रखना चाहता है. उन्हें पता है कि इसके बाद राजस्थान, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ की घटनाओं पर भी चर्चा होगी.

मणिपुर दौरे पर पहुंचा ‘INDIA’ गठबंधन का प्रतिनिधिमंडल

गौरतलब है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के 21 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल जमीनी हकीकत का आकलन करने के लिए हिंसा प्रभावित मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर वहां पहुंचा है. विपक्षी दलों के सांसदों का दल राज्य में भड़की जातीय हिंसा के पीड़ितों से मिलने के लिए कई राहत शिविरों का दौरा करने यहां पहुंचा है. प्रतिनिधिमंडल दोपहर बाद चूड़चंदपुर में राहत शिविरों में रह रहे कुकी समुदाय के पीड़ितों से मिलने पहुंचा. दल में शामिल विपक्षी नेताओं ने केंद्र द्वारा यहां हालात का जाजया लेने के लिए प्रतिनिधिमंडल न भेजने की आलोचना की और कहा कि हमारी यात्रा संकट में फंसे लोगों को कुछ मनोवैज्ञानिक राहत प्रदान करने का एक तरीका है.

वहीं प्रतिनिधिमंडल में शामिल और लोकसभा में प्रतिपक्ष नेता अधीर रंजन ने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा ने भारत की छवि को नुकसान पहुंचाया है. उन्होंने कहा कि हम यहां राजनीति करने नहीं आए हैं बल्कि वास्तविकता जानने आए हैं. रंजन ने ये भी कहा कि मणिपुर में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधार खोजने की कोशिश करनी चाहिए.

इधर, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि हम चाहते हैं कि लोगों की मांग सुनी जाएं. हम लोगों की आवाज उठाने आए हैं. उन्होने कहा कि हमने हमेशा कहा है कि अगर प्रधानमंत्री सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहते हैं तो हमें इसका हिस्सा बनने में खुशी होगी. हम चाहते हैं कि शांति स्थापित हो. पश्चिम बंगाल, झारखंड, केरल, तमिलनाडु के राजनीतिक दल लोगों के साथ बातचीत करें और हम चाहते हैं कि उनकी चिंताओं को संसद में प्रस्तुत किया जाए.

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