केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को अब प्रधानमंत्री बनाने की मांग उठ रही है. ये मांग उठी है छत्तीसगढ़ से, जहां प्रदेश के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने ये मांग की है. मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग के लिए गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विपक्ष को पत्र लिखे जाने के बाद छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टीएस सिंह देव ने ये टिप्पणी की है. मणिपुर में हो रही जानलेवा हिंसा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर टीएस सिंह ने अमित शाह पर ये तंज कसा है.
डिप्टी सीएम ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर प्रधानमंत्री (मणिपुर घटना की) जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं, तो उन्हें गृह मंत्री अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए और शाह को देश को जवाब देना चाहिए. मणिपुर की घटना को बेहद संवेदनशील बताते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस समेत विपक्ष इस मुद्दे पर गृह मंत्री के बजाय प्रधानमंत्री से जवाब चाहता है.
यह भी पढ़ें: राजस्थान की पानी पॉलिटिक्स! प्रदेश के सियासी नक्शे पर ईआरसीपी मुद्दा डूबा न दे बीजेपी की नैया
मणिपुर मुद्दे पर चर्चा में सहयोग के लिए गृह मंत्री अमित शाह द्वारा विपक्ष को पत्र लिखे जाने के बाद टीएस ने कहा कि कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. महिलाओं के साथ क्रूर और अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. एफआईआर होने के 77 दिन बाद कार्रवाई हो रही है तो जवाबदेह कौन है. देव ने आगे कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों को इसके बारे में पता होगा. अगर पीएम मोदी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं तो अमित शाह को प्रधानमंत्री बना दें. फिर अमित शाह जवाब दे सकते हैं.
सीएम बीरेन सिंह को किया जाए बर्खास्त
डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव ने मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को बर्खास्त करने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि यह असंभव है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को मणिपुर की स्थिति के बारे में जानकारी न हो. कांग्रेस नेता ने मणिपुर सरकार और केंद्र सरकार से सवाल किया है कि मणिपुर में हुई जघन्य घटना पर कार्रवाई में देरी के लिए कौन जिम्मेदार होगा.
टीएस सिंह देव ने आगे कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को अपने पद से हट जाना चाहिए और यदि वह अनिच्छुक हैं तो केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें हटाने में संकोच नहीं करना चाहिए. टीएस ने कहा कि अगर वह (बीरेन सिंह) स्थिति को नियंत्रण में लाने में सक्षम नहीं हैं, तो उनके मुख्यमंत्री बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.