कश्मीर के कुलगाम इलाके के कटरासू में मंगलवार रात करीब 8 बजे एक आतंकी हमला हुआ जिसमें कुछ दहशतगर्दियों ने छह बाहरी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी. पांच की मौत हो गयी और एक गंभीर रूप से घायल है. ये सभी मजदूर पश्चिमी बंगाल के रहने वाले बनाए जा रहे हैं. सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है. गौर करने वाली बात ये सामने आ रही है कि आखिर ये हमला तब क्यों हुआ जब यूरोपियन सांसदों का एक डेलिगेट वहां के हालातों को करीब से जानने और स्थानीय लोगों से बात करने आया था. इसके दूसरी ओर, 5 अगस्त को यहां से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने के बाद सुरक्षाबलों से पूरे प्रदेश को सीलपैक कर दिया गया था और वक्त-वक्त पर इसमें छूट दी जा रही थी. अब वातावरण धीरे धीरे सामान्य होने लगा, स्कूल-कार्यालय खुलने लगे और रोजमर्रा की जिंदगी ट्रेक पर आने लगी, तब तक कुछ नहीं हुआ लेकिन जैसे ही बात आयी देश के हालातों की दुनिया के सामने लाने की तो पड़ौसी देश की शह पर पलने वाले इन दहशतगर्दियों ने ये कारनामा कर देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया. (Terrorist attack in Kashmir)
बता दें, देश में दो नए केंद्र शासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने से 48 घंटे पहले यूरोपियन संघ के 27 सांसदों का एक ग्रुप कश्मीर के दौरे पर पहुंचा. इनमें से 23 सदस्य घाटी पहुंचे, डच झील की सैर की और सरपंचों एवं स्थानीय लोगों से मुलाकात की. इस ग्रुप को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत आने का और यहां के हालातों से रूबरू होने होने का निमंत्रण दिया था. कश्मीर में 370 को निष्क्रिय करने के बाद किसी भी विदेशी डेलिगेस्ट का यह पहला दौरा रहा. वैसे तो ये दौरा विपक्ष के निशाने पर रहा लेकिन लगता है कि विदेशों से देश के संबंध सुदृढ़ करने की दिशा में की यह पहल आतंकवादियों की आंखों में खटक रही थी. शायद इसी के चलते मंगलवार रात को ही ये हमला हो गया. (Terrorist attack in Kashmir)
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इस क्रम में संयुक्त राष्ट्र ने भी केंद्र की मोदी सरकार से कश्मीर में लोगों के सभी अधिकारों को पूरी तरह से बहाल करने की अपील भी की. इस संबंध में मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले ने कहा, ‘भारत का सर्वोच्य न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण, आने-जाने की स्वतंत्रता और मीडिया पर प्रतिबंधों से संबंधित याचिकाओं से निपटने में काफी धीमा है’.
कोलविले के अनुसार, ‘हमें कश्मीर में सशस्त्र समूहों के संचालन की रिपोर्ट मिली है जो कश्मीरियों को अपने सामान्य व्यवसाय चलाने या बच्चों को स्कूल भेजने पर धमकी दे रहे हैं. बात न मानने पर लोगों के साथ हिंसा की खबरे हैं. ऐसी खबरों की स्वतंत्र और तेजी से जांच होनी चाहिए.’ कोलविले ने ये भी कहा कि हम इस बात से चिंतित हैं कि कश्मीर में लोगों को तमाम मानवाधिकारों से वंचित रखा गया है. घाटी के एक बड़े हिस्से में अभी भी तालाबंदी है जिसमें उनके स्वास्थ्य, शिक्षा व धर्म के अधिकार सीमित हो गए हैं.
देखा जाए तो कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद केंद्र सरकार लगातार वहां शांति व्यवस्था बहाल करने में जुटी हुई है. तर्क भी यही दिए जा रहे हैं कि वहां सुरक्षा व्यवस्था एकदम सटीक है और समय समय पर पाबंदियों में ढील दी जा रही है. लेकिन जिस तरह विपक्ष के नेताओं को यहां दौरे करने की इजाजत तक न देना और दूसरी ओर विदेशी डेलिगेस्ट को यहां घूमने से लेकर स्थानीय लोगों से बात करने की अनुमति खुद प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से न केवल मिलना बल्कि निमंत्रण देना सारे मामले में कुछ न कुछ झोल तो दिखाता है.
खैर वो मामला अलग है लेकिन जिस तरह विदेशी आगंतुकों के आने के समय आतंकियों की ये शर्मनाक घटनाक्रम घटित हुआ है, देश की सुरक्षा व्यवस्था और थोथले दावों को दफा करता है. विपक्ष के बेहद तीखे बोल भी देश की गुटभरी राजनीति की छवि को दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं. (Terrorist attack in Kashmir)
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अचानक से आतंकियों का ये हमला तो हमारी नजर में इसी ओर इशारा कर रहा है कि अंतराष्ट्रीय संघ के कश्मीर मुद्दे से हाथ खींचने के बाद इस तरह की आतंकी घटनाओं से फिर से ध्यान इस ओर केंदित करने की कोशिश हो रही है. अब ये कोशिश कितनी सफल हो पाती है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन कहना गलत न होगा कि पड़ौसी मुल्क एक बाद फिर एयर स्ट्राइक जैसे गतिविधियों के लिए देश को उकसा रहा है.