संघर्षों से भरा है राजनीति की ‘बहनजी’ का जीवन, जानें शिक्षिका से 4 बार की मुख्यमंत्री तक का सफर

मायावती नैनाकुमारी का जन्मदिन आज, बहनजी की राजनीति की देश में अलग पहचान, IAS बनने का सपना देखने वाली मायावती न सिर्फ राजनीति में आईं बल्कि 4 बार बनीं मुख्यमंत्री, पीएम राव ने कहा था मिरिकल ऑफ डेमोक्रेसी, विवादों से भी रहा पुराना नाता, मायावती के जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलू

बनना था IAS, बन गईं मुख्यमंत्री...
बनना था IAS, बन गईं मुख्यमंत्री...

Politalks.News/Mayawati. आज बसपा प्रमुख और उत्तरप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) का जन्मदिन है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) और देश की राजनीति में बड़ी धमक रखने वाली मायावती आज 65 साल की हो गईं है. बड़े दलों में कई दिग्गज नेता होते हैं लेकिन बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का नाम आते ही सबसे पहले एक नाम जेहन में आता है और वह मायावती. वह पार्टी की प्रमुख भी हैं और अपने आप में एक ब्रांड भी. देश में मुख्यमंत्री बनने वाली मायावती पहली दलित महिला हैं. भारतीय राजनीति में किसी महिला के लिए यह ओहदा पाना ही आसान बात नहीं है. लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद मायावती ने ‘बहन जी’ के नाम से अपनी एक अलग पहचान बनाई है. हालांकि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती की सुस्ती चर्चा का विषय बनी हुई है.

एक सामान्य टीचर से राजनीति में आकर मायावती बसपा सुप्रीमो होने के साथ ही उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं. कांशीराम (Kanshiram) ने एक बार इनसे कहा था कि ‘मैं तुम्हे इतना बड़ा नेता बनाऊंगा की एक नहीं बल्कि पूरी की पूरी लाइन में आईएएस अफसर खड़े होंगे और तुम्हारी आज्ञा का पालन करेंगे‘ और ऐसा हुआ भी. यही नहीं देश के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हा राव ने मायावती के राजनैतिक कैरियर को “Miracle of Democracy” कहकर संबोधित किया था. लेकिन क्या आपको पता है कि राजनीति में आने से पहले मायावती एक निजी स्कूल में पढ़ाती थीं. एक शिक्षिका कैसे राजनीति में आ गईं? कैसे मायावती के कंधों पर कांशीराम की राजनीतिक विरासत और पार्टी की जिम्मेदारी आ गई और कैसे टीचर दीदी बहन जी बन गईं? मायावती के जन्मदिन के मौके पर जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक पहलू….

यह भी पढ़ें- किसान, डॉक्टर, मिशनरी व कपड़ा व्यवसायियों के विरोध के सामने मोदी सरकार का चार बार शीर्षासन

मायावती के परिवारिवारिक बैकग्राउंड के बारे में कम ही लोग जानते हैं. दरअसल मायावती के राजनीति में आने के बाद उनके पिता ने मायावती से रिश्ता तोड़ दिया था. मायावती का जन्म 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली के श्रीमती सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था. वह एक साधारण हिंदू जाटव परिवार से ताल्लुक रखती हैं. वैसे तो मायावती का परिवार यूपी के गौतमबुद्ध नगर का रहने वाला था लेकिन मायावती के पिता प्रभु दास दिल्ली में दूरसंचार विभाग में क्लर्क के तौर पर सरकारी नौकरी में थे. वहीं उनकी मां रामरती गृहणी थीं. मायावती के छह भाई और दो बहनें थीं. लेकिन उनकी चर्चा आज कहीं भी नहीं होती है.

Patanjali ads

आपको बता दें कि मायावती का बचपन दिल्ली में ही गुजरा. मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से 1975 में कला में स्नातक किया, उनके बाद 1976 मेरठ विश्वविद्यालय से स्नातक से बीएड किया. इतना ही नहीं 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की भी पढ़ाई पूरी की. मायावती ने बचपन से आईएएस बनने का सपना देखा था. ऐसे में पढ़ाई के बाद मायावती प्रशासनिक सेवा के लिए परीक्षा की तैयारी कर रही थीं. साथ ही दिल्ली के एक निजी स्कूल में पढ़ाती भी थीं.

यह भी पढ़े: आम चुनाव से पहले यूपी को छोड़ 13 राज्यों में सीधी भाजपा-कांग्रेस में है आमने-सामने की टक्कर

इस दौर में मायावती बाबा साहब डॉ.भीम राव आंबेडकर से काफी प्रभावित हुई. वह बचपन में अपने पिता से पूछा करती थीं कि क्या अगर वह बाबा साहब जैसे काम करेंगी तो उनकी भी पुण्यतिथि मनाई जाएगी? उनकी दलित समाज की आवाज बनने और बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलने की दिशा तब तय हो गई जब वह कांशीराम के सम्पर्क में आईं. 1977 में मायावती के घर दलित नेता कांशीराम आए. जिनसे मुलाकात के बाद मायावती का जीवन बदल गया और वो राजनीति में प्रवेश कर गईं. 1984 में कांशीराम ने दलितों के उत्थान के लिए बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की. मायावती के पिता के न चाहने के बाद भी माया ने कांशीराम की पार्टी ज्वॉइन कर ली और बसपा की कोर टीम में शामिल हो गईं.

परिवार का साथ छोड़ राजनीति में दलितों की आवाज बनी मायावती को उत्तरप्रदेश की जनता का भी पूरा साथ मिला. वह एक या दो नहीं बल्कि चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. मायावती सबसे पहले जून 1995 में उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं, लेकिन ज्यादा दिन सीएम नहीं रह सकीं और अक्टूबर 1995 में उनको इस्तीफा देना पड़ गया. उसके बाद 1997 में एक बार फिर मायावती के हाथ में यूपी की सत्ता आई. साल 2002 में प्रदेश की मुखिया बनी मायावती ने लखनऊ को बदल डाला, जिसके बाद साल 2007 में जनता ने एक बार फिर पूर्ण बहुमत के साथ मायावती को मुख्यमंत्री के तौर पर चुना. मायावती ने ही अपनी सरकार में अंबेडकर नगर का गठन किया. मायावती ने बाद में पांच अन्य जिलों का गठन किया जिसमें गौतम बुद्ध नगर से गाजियाबाद को अलग किया. इलाहाबाद से कौशांबी और ज्योतिबा फूले नगर को मुरादाबाद से अलग कर दिया.
मायावती से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियां
मायावती का पूरा नाम मायावती नैना कुमारी है. मायावती को गुलाबी रंग इतना ज्यादा पसंद है की उनकी साड़ी से लेकर घर तक के रंग गुलाबी हैं.
मायावती को साल 2014 में बसपा के मंच पर स्वागत के दौरान पैसों से सजे हार पहनाये गए थे, जिसमे केवल 1000 रुपये के नोट शामिल थे और उस माला की कीमत 21 लाख रुपये थी. ऐसा माना जाता है कि मायावती बुद्धिज़्म से काफी ज्यादा प्रभावित हैं. मायावती ने अपना पहला लोकसभा चुनाव मुज़्ज़फ्फरपुर के कैराना सीट से लड़ा था. साल 1995 में जब ये पहली बार उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तब यह सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनने वाली प्रदेश की पहली महिला थी और देश मे पहली दलित महिला मुख्यमंत्री बनीं थी. मायावती जीवन में शादी न करने का मन बनाया था और आज भी ये कुंवारी हैं.
मायावती की राजनीतिक यात्रा

  • मायावती वर्ष 1984 में एक सदस्य के रूप में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हुईं.
  • वर्ष 1989 में उन्हें बिजनौर से सांसद चुना गया.
  • वर्ष 1994 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया.
  • वर्ष 1995 में वह पूर्व मुख्य मंत्री मुलायम सिंह यादव को हराकर उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.
  • वर्ष 1996 में उन्हें फिर से लोकसभा सदस्य के रूप में चुना गया.
  • वर्ष 1997 में वह दोबारा से उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.
  • वर्ष 2002 में वह तीसरी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.
  • वर्ष 2003 में उन्हें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया.
  • वर्ष 2007 में वह चौथी बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.
  • यह भी पढ़े: मैं छोड़ता हूं जिसका साथ नहीं रहता उसका अस्तित्व- मौर्या ने किये बड़े दावे तो अखिलेश ने लिया आड़े हाथ

मायावती से जुड़े विवाद

  • वर्ष 2002 में सीबीआई ने ताज कॉरिडोर मामले में वित्तीय अनियमितताओं के लिए उनके खिलाफ केस दर्ज किया था.
  • वर्ष 2007 और 2008 में उन्हें आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में सीबीआई जांच से गुजरना पड़ा था.
  • मार्च 2019 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उनसे हाथी की मूर्तियों और स्वयं की मूर्तियों पर खर्च किए गए धन को स्पष्ट करने के लिए कहा था.
  • 15 अप्रैल 2019 को चुनाव आयोग (ECI) ने आचार संहिता (MCC) के उल्लंघन के लिए BSP प्रमुख मायावती पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया था. चुनाव आयोग ने मायावती को मुस्लिम मतदाताओं से वोट की अपील करते हुए पाया था.

प्राइवेट जेट से मंगवाती थीं सैंडल?
मायावती का कार्यकाल विवादों से भी भरा रहा. उन पर टिकट बेचने के तो आरोप लगे है साथ ही यह भी कहा गया कि उन्होंने प्राइवेट जेट भेजकर मुंबई से अपने लिए सैंडल मंगवाए. आस्ट्रेलियन इंटरनेट एक्टिविस्ट जूलियन असांजे की वेबसाइट विकीलीक्स ने 2011 में मायावती को लेकर कई खुलासे किए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि उन्होंने घर से दफ्तर जाने के लिए विशेष सड़क बनवाईं. साथ ही पंसदीदा ब्रांड के चप्पल मंगवाने के लिए सरकारी विमान को लखनऊ से मुंबई भेजने के आरोप भी मायावती पर लगे थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि सैंडल की कीमत तो सिर्फ एक हजार थी, लेकिन उसे लाने के लिए दस लाख खर्च किए गए थे.

Leave a Reply