कैप्टन-सिद्धू के बीच नहीं थमा विवाद, कमेटी से मुलाकात के बाद बोले सिद्धू- योद्धा वहीं जो रण में जूझे

नवजोत सिंह सिद्धू ने तीन सदस्यीय कमेटी के सामने रखी अपनी बात, कहा- 'जो मेरा स्टैंड था, है और रहेगा, सत्य प्रताड़ित हो जाता है, पराजित नहीं होता, योद्धा वही जो जूझे रण के अंदर, 'पंजाब सरकार के मंत्री और MLA अपनी कुर्सियों को बचाने के लिए हाजिरी लगाने पहुंचे हुए हैं दिल्ली दरबार'- आप

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Politalks.News/PunjabPolitics. एक और जहां कांग्रेस शासित राज्यों में प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी, कांग्रेस पर कोरोना महामारी के दौरान राजनीति करने का आरोप लगा रही है, वहीं पंजाब कांग्रेस की आंतरिक कलह सुलझने का नाम ही नहीं ले रही है. 2015 के गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना के बाद हाईकोर्ट ने इस पुरे मामलें की जांच कर रही SIT और उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. जिसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और उन्हीं की कैबिनेट में मंत्री रह चुके नवजोत सिंह सिद्धू आमने-सामने हो गए. हालांकि कांग्रेस आलाकमान ने इसे सुलझाने के लिए 3 सदस्यीय कमिटी बनाई है जो पंजाब कांग्रेस में चल रही खींचतान की रिपोर्ट आलाकमान को देगी. इसी बीच सिद्धू ने आज समिति से मुलाकात की और अपना मत उनके सामने रखा. मुलाक़ात के बाद सिद्धू ने कहा कि योद्धा वही है जो रण के अंदर जूझे, हाईकमान के बुलावे पर आया हूँ. वहीं आम आदमी पार्टी से सांसद भगवंत मान ने कहा कि पंजाब सरकार के मंत्री और MLA अपनी कुर्सियों को बचाने के लिए दिल्ली के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे हुए हैं.

कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी में चल रही इस अंतरकलह को खत्म करने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे, जय प्रकाश अग्रवाल और हरीश रावत को तीन सदस्यीय कमेटी में शामिल किया है. यह कमेटी कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक करके उनका फीडबैक ले रही है. कमेटी की यह बैठक तीन चरणों में शुरू हो चुकी है जिसमें सबसे पहले मंत्री और विधायकों से चर्चा हुई, तो इसके बाद पार्टी के सांसद, राज्यसभा सदस्य और प्रदेश प्रधान के साथ और अंत में कमेटी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी बात कर सकती है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि कमेटी मुख्यमंत्री के साथ कब बैठक करेगी.

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सोमवार को दिल्ली स्थित कांग्रेस भवन में 3 सदस्यीय कमेटी ने मंत्रियों, विधायकों के साथ वन-टू-वन बातचीत की. कमेटी के सामने अधिकतर नेताओं ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की कार्यशैली पर सवाल उठाए. बेअदबी मामले पर चर्चा करते हुए विधायकों ने कहा कि सरकार आरोपियों को सजा नहीं दिला पाई और सही जांच नहीं करने वाले SIT अफसरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. नई SIT 60 दिन में जांच कर दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाए. विधायकों व नेताओं को विजिलेंस के नाम पर धमकाने पर भी नाराजगी जताई गई. कमेटी के सामने कई नेताओं ने रेत, शराब, ट्रांसपोर्ट और लैंड माफिया के खिलाफ भी ठोस कार्रवाई नहीं होने की बात उठाते हुए कहा कि इसी कारण अब कांग्रेस की अकालियों से तुलना होने लगी है.

तो वहीं तीन सदस्यीय कमेटी के साथ आज नवजोत सिंह सिद्धू ने भी मुलाकात की. बैठक के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि ‘मैं यहां हाईकमान के बुलावे पर आया हूं और पंजाब की आवाज पहुंचाने आया हूं. सबसे बड़ी बात कि जो मेरा स्टैंड था, है और रहेगा. पंजाब के लोगों की लोकतांत्रित ताकत जो सरकार को जाती है, टैक्स जो सरकार तक जाती है, वो लोगों तक पहुंचे’. सिद्धू ने आगे कहा कि, ‘सत्य प्रताड़ित हो जाता है, पराजित नहीं होता है. योद्धा वही जो जूझे रण के अंदर. मित्र वही जो समय पर काम आए. पंजाब के सच और हक की आवाज हमने हाईकमान को बुलंद आवाज में बताई है. जीतेगा पंजाब ही.’

मीटिंग के बाद पंजाब कांग्रेस प्रभारी और कमेटी के सदस्य हरीश रावत ने कहा कि कई नेताओं ने बेअदबी का मुद्दा उठाया. हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोगों को झटका लगा है. जहां तक मुख्यमंत्री द्वारा ढील बरतने का सवाल है तो न्यायाधीशों के दिमाग में क्या चल रहा है इसे कोई नहीं पढ़ सकता. सरकार द्वारा अच्छी टीम लगाई गई थी. अब सभी लोग करेक्टिव स्टेप्स चाहते हैं. रावत ने आगे पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कहा कि नेतृत्व में बदलाव का कोई मुद्दा नहीं है, लोगों की हमसे अपेक्षाएं ज्यादा हैं. इसलिए शिकायतें भी ज्यादा हैं. पिछले दिनों दोनों पक्षों की तरफ से जो बयान आए, वाे ठीक नहीं थे.

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वहीं पंजाब कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच AAP से लोकसभा सांसद और पंजाब प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने कांग्रेस पर निशाना साधा. मान ने कहा कि आज पंजाब सरकार के मंत्री और MLA अपनी कुर्सियों को बचाने के लिए दिल्ली के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचे हुए हैं. कांग्रेस सरकार को राज्य के लोगों की मुश्किलों को खत्म करने का समय नहीं मिल रहा. अब वे अपनी कुर्सी को लेकर ही ज्यादा काम कर रहे हैं. मान ने कहा कि CM कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने महल में ठंडी हवा खा रहे हैं और इधर, राज्य की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने 125 पेज के मेनिफेस्टो में कई तरह के वायदे किए थे, लेकिन अब तक कोई भी वायदा पूरा नहीं कर पाए. पंजाब का अब तक का सबसे नाकाम मुख्यमंत्री कैप्टन साहब है. भगवंत मान ने आगे कहा कि उन्हें खुशी तब होती जब कांग्रेस के मंत्री और विधायक किसानों के मसले का हल करने के लिए दिल्ली जाते या फिर वैक्सीन के लिए दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के सामने अपनी बात को रखते. पंजाब 17 जिलों में आईसीयू या फिर कोरोना संक्रमण से बचने के ज्यादा उपाय नहीं है. आज यहां लोग सरकारी अस्पताल में जाने से डरते है, क्योंकि उन्हें विश्वास ही नहीं रहा कि वहां उनका इलाज हो पाएगा.

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आखिर क्या है पूरा मामला
गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और 2015 में कोटकपूरा में निहत्थे सिखों पर पुलिस फायरिंग हुई थी. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बेअदबी मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी द्वारा की गई जांच को खारिज कर दिया और एसआईटी को भी नए सिरे के गठित करने के आदेश जारी किए. पंजाब में 2017 में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के गठन के साथ ही बेअदबी और कोटकपुरा फायरिंग मामलों की जांच की मांग उठने लगी थी. कांग्रेस ने भी चुनाव प्रचार के दौरान सूबे के लोगों से यह जांच कराने का वादा किया था. कैप्टन सरकार ने आईजी कुंवर विजय प्रताप सिंह के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया, जिसने जांच शुरू करते हुए तत्कालीन गृह मंत्री और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, तत्कालीन पुलिस प्रमुख सुमेध सैनी, फायरिंग में शामिल रहे पुलिस अधिकारियों को कठघरे में ला दिया.

इसके तुरंत बाद यह पूरा मामला राजनीतिक रंग भी लेने लगा और पंजाब भर में बादल परिवार और शिरोमणि अकाली दल को उक्त कांड के लिए दोषी के रूप में देखा जाने लगा. हालात यहां तक पहुंचे कि सुखबीर बादल, हरसिमरत कौर बादल समेत अकाली दल के शीर्ष नेताओं को सार्वजनिक स्थलों पर सिख समुदाय के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा. अब हाईकोर्ट के फैसले ने बादल परिवार को तो राहत दी ही है, साथ ही सिद्धू को कैप्टन सरकार पर वार करने का मौका दे दिया

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