डस्टबिन में वैक्सीन पर भास्कर का खुलासा जारी, गहलोत सरकार के खिलाफ बीजेपी को मिली संजीवनी

दैनिक भास्कर ने कल और आज लगातार दो दिन अपनी रिपोर्ट में खुलासा करते हुए बताया कि प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन में 500 वायल में मिली करीब 2500 से भी ज्यादा डोज, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भास्कर की इस रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर को पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक करार दिया, वहीं बैठे-बिठाए बीजेपी को मिले इस मौके को बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने जमकर भुनाया और गहलोत सरकार को लिया आड़े हाथ

“डस्टबिन में वैक्सीन” पर शुरू हुई सियासत
“डस्टबिन में वैक्सीन” पर शुरू हुई सियासत

Politalks.News/Rajasthan. देशभर में लगातार कमजोर पड़ रही कोरोना की दूसरी लहर के बीच सियासी बयानबाजी और आरोप प्रत्यारोप का दौर बदस्तूर जारी है. प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस की गहलोत सरकार के खिलाफ प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने पहले से ही मोर्चा खोल रखा है, इसी बीच देश के साथ साथ प्रदेश के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक भास्कर द्वारा किए गए डस्टबिन में कोरोना वैक्सीन के डोज मिलने के खुलासे ने प्रदेश की सियासत को एक बार फिर से गरमा दिया है. दैनिक भास्कर ने कल और आज लगातार दो दिन अपनी रिपोर्ट में खुलासा करते हुए बताया कि प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन में 500 वायल में करीब 2500 से भी ज्यादा डोज मिली है. हालांकि चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने भास्कर की इस रिपोर्ट पर सवाल खड़ा करते हुए डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर को पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक करार दिया है. वहीं बैठे-बिठाए बीजेपी को मिले इस मौके को बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने जमकर भुनाया और गहलोत सरकार को आड़े हाथ लिया.

दैनिक भास्कर द्वारा किये खुलासे पर सोशल मीडिया पर दिए अपने बयान में चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने इस पुरे खुलासे को भ्रामक करार दिया. रघु शर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा कि, ‘दैनिक भास्कर अखबार में डस्टबिन में वैक्सीन मिलने की खबर पूर्णतः तथ्यों से परे एवं भ्रामक है. वैक्सीन वाइल्स का उपयोग करने के बाद इन्हें नियमानुसार सम्बंधित चिकित्सा संस्थान में ही जमा करवाया जाता है.’ भास्कर के दावे डस्टबिन में मिली वैक्सीन को गलता बताते हुए रघु शर्मा ने कहा कि इस खबर के लिए संबंधित पत्रकारों ने स्वयं को गलत तरीके से स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान का उच्चाधिकारी एवं WHO का प्रतिनिधि बताया एवं संबंधित कर्मचारियों पर दबाव डालकर उनसे इन वाइल्स को प्राप्त किया. यह वाइल्स किसी डस्टबिन में नहीं मिली हैं.

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रघु शर्मा ने आगे कहा कि ऐसी झूठी अफवाह फैलाने एवं स्वयं की गलत पहचान बताने के लिए संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी. स्वास्थ्य विभाग ने उक्त अखबार के प्रबंधन को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट उपलब्ध करवाकर उचित कार्रवाई के लिए अवगत कराया है.

वहीं दैनिक भास्कर के इस खुलासे के बाद बीजेपी को तो जैसे कांग्रेस को घेरने के लिए संजीवनी बूटी मिल गई. समाचार पत्र के खुलासे के बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया. शेखावत ने कहा कि जितनी वैक्सीन राज्य में खराब हुई हैं, उससे 10 लाख से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन हो सकता था. सोमवार को मीडिया से रू-ब-रू होते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सबसे पहले राजस्थान के मुखिया ने आगे बढ़कर कहा था कि हमें अनुमति दें, हम 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन स्वयं लगा लेंगे. फिर ग्लोबल टेंडर का नाटक किया. जब इसमें सफल नहीं हुए तो केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ रहे हैं, जबकि आज ही राज्य में कूड़े में वैक्सीन फेंकने की खबर छपी है.

गजेंद्र सिंह शेखावत ने आगे केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि इस राज्य ने वैक्सीनेशन में अच्छा काम किया है. यहां बेहद कम डोज बर्बाद हुई हैं. राजस्थान को इनसे सीखने की जरूरत है. वैक्सीन की उपलब्धता के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन को लेकर प्रोटोकॉल तय किया है. पूरा रोडमैप तैयार है, जनसंख्या और प्रदर्शन के अनुसार राज्यों को वैक्सीन दी जा रही है. बाहर की कंपनियों को भी देश में वैक्सीन बनाने की अनुमति दी गई है. जैसे-जैसे वैक्सीन का उत्पादन बढ़ेगा, वैक्सीनेशन की चुनौती खत्म हो जाएगी. अगस्त तक 30 करोड़ वैक्सीन और उपलब्ध होंगी.

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जब तक ये सरकार चलेगी, जनता का दर्द बढ़ेगा
गहलोत सरकार पांच साल चलेगी या नहीं, के सवाल पर शेखावत ने कहा कि मैं न तो भविष्यवक्ता हूं और न ही भविष्यवाणी में विश्वास करता हूं, लेकिन पहले दिन से यह सरकार विग्रह का शिकार है, मनभेद और मतभेद में उलझी है. जनता के काम करने से ज्यादा इसे अपने अस्तित्व को बनाने रखने में रुचि है. शेखावत ने कहा कि जब तक भी यह सरकार चलेगी, तब तक राज्य के लोगों का दर्द ही बढ़ेगा. गरीब, महिला, किसान, बेरोजगार, युवा इस सरकार से खुश नहीं है. भगवान इस सरकार को सद्बुद्धि दे.

वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार ने वैक्सीनेशन में राजनीति की, जो वैक्सीन इनको 18-44 वर्ष की आयु के लोगों को लगानी थी, जिसको लेकर खबरें आई हैं कि किस तरीके से वैक्सीन कबाड़ में मिलीं, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण व दुखद है, इनके सदुपयोग से काफी संख्या में लोगों को वैक्सीनेशन का मौका मिलता, राज्य सरकार ना कालाबाजारी पर नियंत्रण कर पा रही है, ना वेस्टेज पर, ये वेस्टेज की सरकार है, इससे और क्या उम्मीद की जा सकती है?. वैक्सीन का कबाड़ में मिलना, राज्य सरकार द्वारा कोरोना टीकाकरण पर की जा रही सियासत का भंडाफोड़ है.

सतीश पूनियां ने कहा कि, कोरोना की पिछली लहर में प्रदेश के बड़े अस्पताल में 2.5 लाख से अधिक मास्क चोरी हुये, इस बार कांवटिया अस्पताल में वैक्सीन की चोरी हुई और वेंटिलेटर्स शौचालय व कबाड़ में दिखे, कुल मिलाकर ये सारी चीजें यह इंगित कर रही हैं कि, राजस्थान की गहलोत सरकार कोरोना के मैनेजमेंट को लेकर गंभीर नहीं थी.

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वहीं राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किये. राजेंद्र राठौड़ ने ट्वीट करते हुए लिखा कोरोना महामारी से बचाव के लिए वैक्सीन एक संजीवनी है, जो लोगों के प्राण के रक्षार्थ उपयोग की जा रही है. लेकिन दुर्भाग्य है कि राज्य सरकार की लापरवाही व कोरोना कुप्रबंधन के कारण आमजन के हक की वैक्सीन की डोज कचरे में फेंकी जा रही है. राजस्थान सतर्क नहीं है.

एक अन्य ट्वीट करते हुए राठौड़ ने लिखा कि गहलोत सरकार के कोरोना प्रबंधन का चिट्ठा इस प्रकार है – कचरे में वैक्सीन, कबाड़ में वेंटिलेटर, फाइलों में ऑक्सीजन प्लांट, इंजेक्शन व दवाइयों की कालाबाजारी, कोरोना से मौत के आंकड़ों की जादूगरी, चिरंजीवी योजना में निःशुल्क इलाज का झूठा दावा. राठौड़ ने आगे कहा कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं है. दुर्भाग्य है कि राज्य सरकार की लापरवाही व कोरोना कुप्रबंधन के कारण आमजन के हक की हजारों वैक्सीन की डोज कचरे में फेंकी जा रही है.

वहीं वैक्सीन के खुलासे को लेकर चिकित्सा मंत्री के बयान पर तंज कसते हुए राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि शायद मंत्री जी चाहते हैं कि कोरोना काल में सरकार के कुप्रबंधन व कमियों को लेकर पत्रकार ना छापे और सिर्फ सरकारी भोंपू की तरह ही काम करें, लेकिन स्वतंत्र लोकतंत्र में ऐसा होना नामुमकिन है. गहलोत सरकार किसी भी पत्रकार की आवाज को दबा नहीं सकती.

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