Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान में पंचायत समिति और जिला परिषद की बाकी बची सीटों के परिणाम भी हुए घोषित, कुल मिलाकर बीजेपी का पलड़ा रहा भारी, कांग्रेस को है अब गहन चिंतन की है जरूरत, देश और प्रदेश में जारी कृषि कानूनों के विरोध के बीच हुए थे पंचायत चुनाव, ऐसे माहौल में भी सत्ताधारी कांग्रेस के चुनाव हारने के हैं कई मायने, मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा कोविड के बेहतरीन प्रंबंधन और कई लाभकारी योजनाओं के बाद भी जनता के दिल में जगह नहीं बना पाना है चिंता का विषय, अब अगले साल 3 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बचानी होगी कांग्रेस को अपनी लाज.
ये रहा फाइनल परिणाम
खैर जारी हुए परिणामों के अनुसार 21 जिला परिषदाें की 636 सीटाें में से भाजपा ने 353 सीटों पर मारी बाजी तो कांग्रेस ने 252 सीटों पर जमाया कब्जा, वहीं निर्दलीय 18, आरएलपी 10 व सीपीआईएम ने 2 सीटों पर की जीत की हासिल, वहीं कुल 4371 पंचायत समितियों में से बीजेपी ने 1989, कांग्रेस ने 1852, आरएलपी ने 60,बसपा ने 5, CPIM ने 16 और निर्दलीयों ने 439 सीटों पर जीत की है दर्ज.
दिग्गजों की स्थिति
बात करें कांग्रेस के दिग्गजों की पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के टोंक विधानसभा क्षेत्र की पंचायत समिति में 19 में से 9 सीटों पर भाजपा और 7 पर कांग्रेस और 3 प्रतिनिधियों ने जीत दर्ज की है. चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा की अजमेर में 11 पंचायत समितियों में 9 पर भाजपा को बढ़त मिली तो कांग्रेस केवल दो पर सिमट कर रह गई है. मंत्री उदयलाल आंजना के क्षेत्र निंबाहेड़ा पंचायत समिति की 17 में से 14 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की तो कांग्रेस केवल 3 पर ही चुनाव जीत पाई. खेल मंत्री अशोक चांदना के क्षेत्र हिंडोली में 23 में से 13 पंचायत समितियों पर भाजपा ने अपना कब्जा जमाया है. वहीं विधानसभा के उप मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी के क्षेत्र में समितियों में भाजपा ने अपना कब्जा तो जमाया ही खुद सचेतक महेंद्र चौधरी की पत्नी वहां से चुनाव हार गई है.
हार के कारण
कांग्रेस की हार की बड़ी वजह: 1. संगठन की गैर माैजूदगी – न तो प्रदेश और न ही जिला स्तर पर कांग्रेस का संगठन नजर आया 2. विधायकों पर अतिविश्वास – विधायकों को सिंबल दे दिए गए, जबकि पिछले दिनों जयपुर, कोटा और जोधपुर नगर निगम चुनावों में भी इसका खामियाजा उठाना पड़ा था. 3. टिकट बंटवारे में जमकर छाया परिवारवाद – विधायकों ने ज्यादातर टिकट रिश्तेदारों को बांटे, इससे नाराजगी बढ़ी, टिकट बेचने के भी लगे आरोप.
यह भी पढ़ें: राजस्थान में दिग्गजों के गढ़ में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त, टूटा 10 साल का मिथक
खतरे की घण्टी क्यों
पंचायत व जिला परिषद के निराशाजनक चुनाव परिणामों के बाद अब हतोत्साहित कांग्रेस नेताओं के लिए इन नतीजों ने खतरे की घंटी बजा दी है. वहीं चुनाव के इन नतीजों ने भाजपा में उत्साह भर दिया है. ऐसे में अगले साल प्रदेश में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा. इसके लिए कांग्रेस को अभी से एक खास रणनीति के तहत करना होगा काम.
गौरतलब है कि प्रदेश में सहाड़ा, राजसमंद और सुजानगढ़ विधानसभा सीट के लिए अगले साल उपचुनाव होने हैं. सहाड़ा सीट कांग्रेस के कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद खाली हुई है, तो राजसमंद सीट भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी और सुजानगढ़ सीट कांग्रेस प्रदेश के3 कैबिनेट मंत्री रहे मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के बाद खाली हुई है.