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लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए मतदान 25 मई को होना है. चुनाव प्रचार का शोर थम चुका है और अब बाकी है वोट करने की. छठे चरण में 8 राज्यों की 58 सीटों पर मतदाता देश के कई दिग्गजों का भाग्य तय करेंगे. चुनाव आयोग के मुताबिक, छठे चरण में 58 लोकसभा सीटों से 889 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं. इनमें दिल्ली की 7 सीटों पर 162, उत्तर प्रदेश की 14 सीटों पर 162, हरियाणा की 10 सीटों पर 223, जम्मू-कश्मीर की 1 सीट पर 20, बिहार की 8 सीटों पर 86, झारखंड की 4 सीटों पर 93, पश्चिम बंगाल की 8 सीटों पर 79 और ओडिशा की 6 सीटों पर 64 उम्मीदवार हैं. इस दौरान मेनका गांधी, संबित पात्रा और धर्मेंद्र प्रधान सहित कई दिग्ग्जों की साख दांव पर लगी हुई है.

इन दिग्गजों की साख दांव पर :-

मेनका गांधी

मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुकी मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर त्तर प्रदेश की सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतरी है. यह संसदीय क्षेत्र पिछले दो बार से बीजेपी के कब्जे में रहा है. पिछली बार यहां से मेनका गांधी ने बसपा के चंद्र भद्रा सिंह को करीब मुकाबले में करीब साढ़े चौदह हजार वोटों से हराया था. इस बार भी बीजेपी ने मेनका गांधी पर दांव खेला है. 2014 में वरूण गांधी ने यहां से बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इस बार सुल्तानपुर सीट से सपा के राम भुआल निषाद बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं. निषाद गोरखपुर जिले की कौड़ीराम सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं.

कन्हैया कुमार बनाम मनोज तिवारी

कांग्रेस के प्रत्याशी कन्हैया कुमार और भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार मनोज तिवारी उत्तर-पूर्वी दिल्ली से आमने सामने हैं. दोनों के बीच मुकाबला काफी रोचक है. ​तिवारी पर बीजेपी ने लगातार तीसरा बार भरोसा जताया है. साल 2019 के लोकसभा चुनावों में मनोज तिवारी ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शिक्षा दीक्षित को हराकर अपने आप को साबित किया था. कन्हैया कुमार जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे हैं और उनकी गिनती अच्छा वक्ता के रूप में होती है. कांग्रेस में शामिल होने से पहले कन्हैया कुमार लेफ्ट का चेहरा रहे हैं.

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2019 में लेफ्ट ने कन्हैया को मोदी सरकार के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ​के खिलाफ बेगुसराय से उम्मीदवार बनाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इस बार दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में कन्हैया का दावा काफी मजबूत है.

बांसुरी स्वराज

सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को बीजेपी ने इस बार नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया है. ​फिलहाल इस सीट पर मीनाक्षी लेखी सांसद हैं. बीजेपी ने उनका पत्ता काटकर इस बार बांसुरी स्वराज को दे दिया है. नई दिल्ली में बीजेपी और कांग्रेस बारी बारी से कब्जा जमाती आयी हैं. इस बार कांग्रेस की ओर से सोमनाथ भारती को मैदान में उतारा गया है. आम आदमी पार्टी के गठबंधन से भारती काफी मजबूत नजर आ रही हैं. वहीं बांसुरी स्वराज को अपनी साख बचाने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ रही है.

संबित पात्रा

पिछली बार करीबी मुकाबले में लोकसभा चुनाव हारे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा इस बार भी ओडिशा के पुरी संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. 2019 के आम चुनाव में संबित पात्रा पुरी से 12 हजार वोटों से हार गए थे. तब बीजेडी के पिनाकी मिश्रा ने संबित पात्रा को शिकस्त दी थी. 1998 से पुरी में केवल बीजू जनता दल का एकछत्र दबदबा रहा है. यहां 1998, 99 व 2004 में बीजेडी के बृज किशोर त्रिपाठी और 2009, 2014 व 2019 में पार्टी के ही पिनाकी मिश्रा ने जीत दर्ज की है.

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इस बार बीजेडी ने अरूप पटनायक और कांग्रेस ने जय नारायण पटनायक को यहां से उतारा है. पिछला चुनाव हार चुके पात्रा की यहां साख पूरी तरह से दांव पर लगी हुई है.

धर्मेंद्र प्रधान

ओडिशा की संबलपुर संसदीय क्षेत्र में वैसे तो बीजू दल और कांग्रेस का दबदबा माना जाता है. यहां बीजेपी ने केवल एक बार जीत दर्ज की है. 1998, 99, 2004 में बीजेडी के प्रशादना आचार्य ने जीत दर्ज की. 2009 में कांग्रेस के अमरनाथ प्रधान और 2014 में बीजेडी के नागेंद्र प्रधान जीतकर सदन में पहुंचे. पिछले चुनाव में बीजेपी के नीतेश गर्ग ने यहां पहली बार जीत का भगवा फहराया. इस बार केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान संबलपुर संसदीय सीट से चुनावी मैदान में हैं. धर्मेंद्र प्रधान के सामने बीजेडी के टिकट पर प्रणब प्रकाश दास चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों के बीच रोमांचक मुकाबला है. 2014 में बीजू दल से चुनाव जीते नागेंद्र प्रधान इस बार कांग्रेस के टिकट पर दोनों उम्मीदवारों के समक्ष चुनौती पेश कर रहे हैं.

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