विजयवर्गीय के निशाने पर आए शिवराज, कहा- अधिकारियों के बजाए कार्यकर्ताओं पर करते विश्वास तो…

नगरीय निकाय में बीजेपी को मिली जीत लेकिन प्रदर्शन पर उठने लगे हैं सवाल, सीएम शिवराज सिंह चौहान का ओवर कॉन्फिडेंस है वजह या फिर अधिकारी, पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय बोले- इस बार की मतदाता सूची ही है अलार्मिंग, इसमें प्रशासन की भूमिका कितनी है, चुनाव आयोग की भूमिका कितनी है, ये देखना पड़ेगा

शिवराज के ओवर कॉन्फिडेंस के कारण हुई गलती!
शिवराज के ओवर कॉन्फिडेंस के कारण हुई गलती!

Politalks.News/MadhyaPradesh. मध्यप्रदेश नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा ने जीत हासिल करते हुए 16 नगर निगमों में से बीजेपी ने 9 पर जीत दर्ज की है. खुशी मानाने के लिए ये जीत काफी है लेकिन जश्न के लिए नहीं. जी हाँ पिछले निकाय चुनाव में बीजेपी ने सभी 16 नगर निगमों में भगवा परचम फहराया था लेकिन अबकी बार ऐसा नहीं हो पाया. सत्ता में रहते हुए भी सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का या तो इस बार जादू नहीं चल पाया या फिर सीएम शिवराज इस बार पहले की तुलना में काफी ओवर कॉन्फिडेंस में थे. ऐसे में सियासी गलियारों और पार्टी के भीतर से जो आवाज निकलकर आई है वो है शिवराज के ओवर कॉन्फिडेंस की. ये हम नहीं कह रहे बल्कि पार्टी के दिग्गज नेता एवं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का कहना है. जी हां उनके बयां से तो ऐसा ही लगता है की प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन उनके ओवर कॉन्फिडेंस के कारण ही गिरा है. विजयवर्गीय ने गुरूवार को कहा कि, ‘शिवराज अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा करते हैं वनिस्पत कार्यकर्ताओं के.’

दो चरणों में हुए मध्यप्रदेश नगर निकाय चुनावों के परिणाम घोषित हो चुके हैं. इसके साथ ही एमपी की ‘शहर सरकार’ की तस्वीर भी साफ हो गई है. 16 नगर निगमों में बीजेपी के 9, कांग्रेस के 5 महापौर प्रत्याशी जीते हैं. भले ही बीजेपी अपने प्रदर्शन से खुश है लेकिन 16 से 9 पर आना भाजपा के लिए कई सवाल खड़े करता है. भाजपा ने इस चुनाव में ग्वालियर, मुरैना में तो मात खाई ही खाई, इसके साथ ही कटनी में अपने ही बागी ने उन्हें हार का स्वाद चखा दिया. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ मुरैना में कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दे दी. नगरीय निकाय चुनाव को कुछ लोग विधानसभा चुनाव से ठीक पहले का सेमीफाइनल कहे रहे हैं. हालांकि विधानसभा चुनावों में कोई ज्यादा असर नहीं पड़ता लेकिन अब पार्टी के अंदर ही ख़राब प्रदर्शन को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

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बीजेपी के दिग्गज नेता एवं पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एक साक्षात्कार में कहा कि, ‘इस बार मतदाता सूची जो बनी है वह हमारे लिए अलार्मिंग है. इसमें प्रशासन की भूमिका कितनी है, चुनाव आयोग की भूमिका कितनी है, ये देखना पड़ेगा और मुख्यमंत्री को इसे गंभीरता से लेना चाहिए था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का स्वभाव ऐसा है कि वो अधिकारियों पर ज्यादा विश्वास करते हैं. लेकिन मेरा मानना है कि उन्हें कार्यकर्ताओं पर भी उतना ही विश्वास करना चाहिए. यदि उन्होंने कार्यकर्ताओं पर विश्वास किया होता तो शायद यह गलती नहीं होती. इसमें चूक कहां हुई है यह हम जरूर देखेंगे, क्योंकि इसमें कही ना कही चुनाव आय़ोग अधिकारी जिम्मेदार हैं.’ विजयवर्गीय के इस बयान के सामने आने के बाद प्रदेश की सियासत के गर्म होने के आसार जरूर हैं लेकिन बीजेपी आलाकमान को विरोध के स्वर शांत कराने में महारत हासिल है.

कुछ सियासी जानकारों का तो ये भी कहना है कि कैलाश विजयवर्गीय मध्यप्रदेश में खुद को और भी ज्यादा मजबूत करने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनाव के परिणाम के आधार पर बीजेपी आलाकमान मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री चेहरा बदल सकता है. इसके कयास तो बहुत दिनों से लगाए जा रहे थे लेकिन निकाय चुनाव के परिणाम इस ओर अधिक इशारा कर रहे हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र तोमर के बाद कैलाश विजयवर्गीय मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में खुद को सबसे आगे मानते हैं. अगर ऐसा होता है तो फिर इस तरह की बयानबाजी कर वे अपने आपको भले मजबूत दावेदार समझ रहे हो लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.

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बता दें कि नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण की मतगणना बीते रविवार को हुई थी. इसमें भाजपा ने सात सीट पर विजय हासिल की थी जबकि कांग्रेस ने तीन और आम आदमी पार्टी (आप) ने सिंगरौली की एक सीट पर जीत दर्ज की थी. मध्य प्रदेश में ‘आप’ की यह पहली जीत थी. नगरीय निकाय के दोनों चरणों के चुनाव परिणामों के बाद कुल 16 नगर निगम के महापौर में से भाजपा ने नौ शहरों भोपाल, इंदौर, बुरहानपुर, खंडवा, सतना, सागर, उज्जैन, देवास और रतलाम के महापौर का चुनाव जीता है.

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