‘महाराष्ट्र में लग सकता है राष्ट्रपति शासन’ बयान पर भड़की शिवसेना, कहा – ‘राष्ट्रपति जेब में रखा है क्या?’

उद्धव ठाकरे की शरद पवार से वार्ता ने मचाया घमासान, संजय राउत भी कर चुके हैं एनसीपी चीफ से मुलाकात, वहीं सामना के जरिए भाजपा नेता मुनगंटीवार पर किया करारा प्रहार

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने की कवायत पर भाजपा और शिवसेना में घमासान चल रहा है. इसी बीच भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार के ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन’ वाले बयान पर शिवसेना ने भड़कते हुए अपने मुखपत्र ‘सामना’ में भाजपा की जमकर खिंचाई की. वहीं दूसरी ओर, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एनसीपी चीफ शरद पवार से फोन पर बात की. बताया जा रहा है कि ये वार्ता शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर प्रदेश में सरकार बनाने के बारे में थी. खबर ये भी आ रही है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने शरद पवार दिल्ली जा रहे हैं. इससे पहले शरद पवार ने साफ तौर पर कहा था कि वे जनाधार को स्वीकारते हुए विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे.

बता दें, भाजपा और शिवसेना में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 50-50 फॉर्मूले को लेकर तनातनी चल रही है. इससे पहले शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में मुख्यमंत्री उनकी पार्टी से ही होगा चाहे तो भाजपा लिखित में ले ले.

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इसी बीच BJP के नेता सुधीर मुनगंटीवार ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर राज्य में सात नवंबर तक नई सरकार नहीं बनती है तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है. मुनगंटीवार ने ये भी कहा, ‘सरकार गठन में मुख्य बाधा शिवसेना ने ढाई साल के लिए सीएम पद की मांग की है. हमने पहले ही देवेंद्र फड़णवीस को नामित कर दिया है. हम राज्य स्तर पर गतिरोध को तोड़ने के रास्ते तलाशने के लिए साथ बैठेंगे. अगर आवश्यक हुआ तो बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व हस्तक्षेप करेगा.’

भाजपा नेता के बयान पर शिवसेना भड़की हुई है और पलटवार करते हुए ‘सामना’ में लिखा, ‘शिवसेना ने कहा, ‘राष्ट्रपति की मुहरवाला रबर स्टैंप राज्य के बीजेपी ऑफिस में ही रखा हुआ है और बीजेपी शासन नहीं आया तो इस स्टैंप का प्रयोग करके महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन का आपातकाल लाद सकते हैं, इस धमकी का जनता ये अर्थ समझे क्या?

शिवसेना ने कहा, ‘महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन की धमकी मत दो. कानून, संविधान और संसदीय लोकतंत्र की प्रथा और परंपरा हमें पता है. कानून और संविधान किसी का गुलाम नहीं. महाराष्ट्र में फिलहाल जो झमेला चल रहा है. उसकी चिंगारी हमने नहीं फेंकी है, जनता ये जानती है. सार्वजनिक जीवन में नैतिकता निचले पायदान पर पहुंच चुकी है.’

सामना में शिवसेना ने कहा, ‘लोकतंत्र में बहुमत का आंकड़ा हो या न हो, किसी और को सत्ता में नहीं आने देने वाले घमंड की हार हो चुकी है. यही लोग राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की चेतावनी दे रहे हैं. ऐसी धमकियों से महाराष्ट्र को फर्क नहीं पड़ता. राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देनेवाले पहले सरकार बनाने का दावा तो पेश करें! फिर आगे देखेंगे. राष्ट्रपति संविधान की सर्वोच्च संस्था हैं. वे व्यक्ति नहीं बल्कि देश हैं.’

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इससे पहले शिवसेना राज्यसभा सांसद राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र (Maharashtra) का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना से ही होगा. उन्होंने कहा कि भाजपा को कोई अल्टिमेटम नहीं दिया गया. वे बड़े लोग है. अगर शिवसेना कोई फैसला लेती है तो उसे महाराष्ट्र में स्थिर सरकार के गठन के लिए जरूरी संख्या बल मिल जाएगा. प्रदेश की जनता ने 50:50 फॉर्मूले के आधार पर सरकार बनाने के लिए जनाधार दिया था. इस पर महाराष्ट्र के लोगों के समक्ष सहमति बनी थी.

बता दें, हाल में हुए 288 सीटों वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. बीजेपी के पास 105 सीटें हैं जबकि शिवसेना के पास 56 विधायक हैं. एनसपी के 55 और कांग्रेस के 44 विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं. भाजपा-शिवसेना ने एलाइंस के तहत मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन परिणाम के बाद शिवसेना आधे समय के लिए मुख्यमंत्री बनाने की शर्त पर अड़ गयी. (Maharashtra)

हालांकि वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले से इस मांग से इनकार कर चुके हैं. उन्होंने शिवसेना को डिप्टी सीएम और मंत्रालय में 13 मंत्री पद का ऑफर दिया है जिसे शिवसेना ने मना कर दिया. ऐसे में कांग्रेस ने शिवसेना और एनसीपी को सरकार बनाने का ऑफर देते हुए सारे समीकरण और भी पेंचिदा बना दिए हैं. फिलहाल भाजपा का केंद्र नेतृत्व इस मामले में दखलअंदाजी से दूर है.

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