Tuesday, January 21, 2025
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सरदारपुरा में दांव पर गहलोत की ‘सरदारी’! क्या लगा पाएंगे जीत का छक्का

मुख्यमंत्री का क्षेत्र होने के चलते वीवीआईपी सीटों में होती है सुरदारपुरा विस की गिनती, पिछली पांच बार से नहीं हुई कांग्रेस प्रत्याशी की हार, अभेद किले में सेंध लगाने की हर जुगत आजमा रही बीजेपी

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राजस्थान विधानसभा चुनाव अब अंतिम चरण में आ पहुंचा है. आज प्रदेश की 199 सीटों पर मतदान हो रहा है. परिणाम 3 दिसंबर को आएंगे. बात करेंगे प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े शहर जोधपुर की सरदारपुरा विधानसभा सीट की, जिसे वीवीआईपी सीट माना जाता है. यहां से प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार चार बार चुनाव जीत चुके हैं. यह भी एक रोचक तथ्य है कि 1998 में जब अशोक गहलोत पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे, उस समय सरदारपुरा विधानसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता मानसिंह देवड़ा जीते थे.

गहलोत के लिए उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए गहलोत ने 1999 में सरदारपुरा विस से उप चुनाव में 49 हजार मतों से जीत हासिल की. गहलोत ने लगातार 5 बार इस सीट पर कब्जा जमाया है. अब यह सीट फिर से चर्चा में चल रही है. इस बार गहलोत के सामने बीजेपी के महेंद्र सिंह राठौड़ ने ताल ठोकी है.

गहलोत के गढ़ में सेंध लगाने की कोशिश

राज्य की 36 कौमों को साधने का सियासी तजुर्बा रखने वाले अशोक गहलोत का सरदारपुरा एक सुरक्षा कवच है. कांग्रेस यहां से जीत को लेकर आश्वस्त है. उधर, बीजेपी इस अभेद किले में सेंध लगाने के लिए हर तरह के नुस्खे आजमा रही है. इसी कड़ी में बीजेपी ने राजपूत वोट बैंक साधते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे प्रो. महेंद्र सिंह राठौड़ पर दांव खेला है. भारतीय जनता पार्टी सनातन कार्ड और जालोरी गेट उपद्रव के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है.

यह भी पढ़ें: त्रिकोणीय भंवर में फंसी झोटवाड़ा सीट, बीजेपी-कांग्रेस दोनों दलों ने बदले चेहरे

इस सीट पर पिछले 25 सालों में बीजेपी कई जातिगत समीकरण अपना चुकी है लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी है. गहलोत की सोशल इंजीनियरिंग का अब तक कोई तोड़ यहां पर नहीं निकल सका है. चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस क्षेत्र में गहलोत को कोसने वाले बहुत कम लोग मिलते हैं. हां, तेजी से बढ़ते शहर में अस्त व्यस्त यातायात की समस्या यहां जरूर है. लोगों को एडिवेटेड नहीं बनने का भी मलाल है. अशोक गहलोत ने जब से सरदारपुरा विधानसभा सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया है, बस स्टैंड, अस्पताल सहित अन्य आधारभूत काफी विकास इस इलाके में हुआ है.

5 बार विधानसभा, 5 बार लोकसभा चुनाव जीता

  • अशोक गहलोत ने 1999 के विधानसभा का उप चुनाव जीतने के बाद लगातार चार बाद सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता है. इस बार वे छठी बार यहां से जीत का छक्का लगाते हुए दिख रहे हैं.
  • 2003 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत ने बीजेपी के महेंद्र झाबक को 24 हजार वोटों से हराया. इस चुनाव के बाद प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी.
  • 2008 के विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत ने बीजेपी के राजेंद्र गहलोत को 16 हजार वोट से हराया और दूसरी बार मुख्यमंत्री बने.
  • 2013 में अशोक गहलोत ने बीजेपी के शंभू सिंह खेतासर को 18 हजार वोटों से हराया. प्रदेश में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी.
  • 2018 में अशोक गहलोत ने बीजेपी के शंभू सिंह खेतासर को 48 हजार वोटों से हराया. तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने.

इससे पहले अशोक गहलोत ने जोधपुर संसदीय क्षेत्र से पांच बार लोकसभा का चुनाव जीता.

  • 1980 में लोकसभा चुनाव अशोक गहलोत जीते.
  • 1985 में लोकसभा चुनाव अशोक गहलोत जीते.
  • 1990 में जसवंत सिंह जसोल से अशोक गहलोत हारे.
  • 1991 में लोकसभा चुनाव अशोक गहलोत जीते.
  • 1996 में जसवंत सिंह बिश्नोई को अशोक गहलोत ने हराया.
  • 1998 में मध्यवर्ती चुनाव में अशोक गहलोत जीते.

मोदी और सनातन मुद्दे को भुनाने मैदान में राठौड़

राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के कमल का निशान ही चुनाव में कार्यकर्ताओं एवं जनता के सामने मजबूती से रखे गए हैं. पीएम मोदी और सनातन मुद्दे के सहारे ही प्रधानमंत्री के करीबी महेंद्र सिंह राठौड़ चुनावी मैदान में गहलोत को चुनौती दे रहे हैं. एक ओर कांग्रेस 7 गारंटियों का जोर-शोर से प्रचार कर रही है ताकि जनता में सही संदेश जाए. वहीं जालोर गेट उपद्रव मुद्दे को जनता के बीच लाने और इसे सरकार की विफलता बताने में राठौड़ कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे. यहां राठौड़ को बीजेपी समर्थक के साथ-साथ राजपूत समाज का साथ भी मिल रहा है. ऐसे में बीजेपी उम्मीदवार महेंद्र सिंह राठौड़ सरदारपुरा के चुनावी दंगल में अशोक गहलोत को कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं.

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