अपना इस्तीफा वापिस लेंगे शरद पवार! फिर से बनेंगे पार्टी सुप्रीमो, अजित पवार को करना पड़ेगा इंतजार

पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के चाणक्य अमित शाह को अपनी राजनीतिक फिरकी में फंसाने के लिए फिर एक बार मैदान में होंगे शरद पवार, 5 मई को 15 सदस्यीय कमेटी का भी हो रहा इंतजार, इस्तीफा वापिस लेने और फिर से एनसीपी अध्यक्ष पद संभालने की संभावना 100 फीसदी

sharad pawar
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Maharashtra Politics: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अचानक से पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सभी को चैंका दिया था. अब खबर आ रही है कि शरद पवार अपना इस्तीफा वापिस ले सकते हैं. यानि शरद पवार फिर से एनसीपी के सुप्रीमो बन सकते हैं और उनके भतीजे अजित पवार को गद्दी हासिल करने के लिए थोड़ा समय इंतजार करना पड़ सकता है. शरद पवार ने बीते मंगलवार को अचानक पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. शरद पवार के इस्तीफे के ऐलान के एक दिन बाद जितेंद्र आव्हाड ने पार्टी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया. इसके तुरंत बाद विधायक अनिल पाटिल ने भी शरद पवार को त्यागपत्र भेज दिया था. शरद पवार के इस्तीफे के पीछे उनके और पवार के भतीजे अजीत पवार के बीच मनमुटाव की खबरें भी आई थीं लेकिन खबर ये है कि शरद पवार के फिर से पार्टी अध्यक्ष पद की कुर्सी पर काबिज होना करीब करीब पक्का है.

पवार खुद भी ये कह चुके हैं कि उन पर इस्तीफा वापस लेने के लिए भारी दबाव है. हालांकि, उनके भतीजे अजित ने कहा कि साहब का फैसला पलटता नहीं है. लेकिन माना जा रहा है कि अजीत पवार का दावा गलत साबित होगा और उन्हें अभी इंतजार करना पड़ेगा.

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दरअसल, शरद पवार के अध्यक्ष पद से इस्तीफे का पार्टी कार्यकर्ता लगातार विरोध कर रहे हैं. इधर, पवार ने खुद भी गुरूवार को बयान देते हुए कहा, ‘मुझे दुख है कि कार्यकर्ताओं से बिना बात किए ही मैंने इस्तीफा दे दिया. कार्यकर्ताओं की मांग का सम्मान किया जाएगा. अब 5 मई को 15 सदस्यीय कमेटी जो फैसला लेगी, मुझे मंजूर होगा.’ पवार के बयान से तो यही लगता है कि फिलहाल पार्टी को नया अध्यक्ष पद ढूंढने की कोई जरूरत नहीं है.

एक तरह से देखा जाए तो महाराष्ट्र की राजनीति हो या फिर देश की राष्ट्रीय राजनीति, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का मतलब सिर्फ एक है – शरद पवार. 82 साल के एनसीपी चीफ और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार पिछले 64 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं और विगत 24 वर्षों से पार्टी की बागड़ौर संभाल रहे हैं. पवार इस ओहदे के राजनीतिज्ञ हैं, जिनका तोड़ पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पास भी नहीं है. बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके शरद पवार की गुगली किस ओर जाएगी, इसका अंदाजा तो राजनीति के बड़े बड़े दिग्गज नहीं लगा सके हैं. नरेंद्र मोदी खुद उन्हें अपना राजनीतिज्ञ गुरू मानते हैं. उनका रूतबा इतना है कि राष्ट्रीय राजनीति में सभी दिग्गज नेता उनका सम्मान करते हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2019 में अजीत पवार के नाराज होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश को भी शरद पवार की राजनीति एवं कूटनीति का हिस्सा बताया जाता है. हालांकि इस बात से कभी पर्दा उठ नहीं पाया और शायद कभी उठेगा भी नहीं.

शरद पवार ने अपनी राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से की थी. उन्होंने 14 बार लोकसभा का चुनाव जीता है. उनका कांग्रेस में कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई तो उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाने की बात उठी थी. पवार ने केवल 38 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभाल लिया था. उसके बाद वे चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. 1991-93 के दौरान केंद्र में रक्षामंत्री और 2004-14 के बीच कृषि मंत्री भी रहे. पवार 2005-08 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष और 2010-12 तक आईसीसी के अध्यक्ष भी रहे. 1998 में कांग्रेस छोड़ने के बाद शरद पवार ने एनसीपी का गठन किया और उसके बाद से अब तक वे ही पार्टी के अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं.

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महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत पवार उनके अगले वारिस हो सकते हैं लेकिन उनका राजनीतिक कद शरद पवार के इर्द गिर्द भी नजर नहीं आता है. ऐसे में आगामी लोकसभा चुनावों तक शरद पवार का हर हाल में अध्यक्ष पद पर काबिज रहना जरूरी है.

इधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने भी उनसे फैसला वापस लेने की अपील की थी. बताया जा रहा है कि शरद पवार के इस्तीफे के ऐलान के कुछ घंटों के अंदर ही राहुल गांधी और एमके स्टालिन ने सुप्रिया सुले को फोन करके कहा था कि वे अपने पिता को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाएं.

असल में दोनों नेता यह भी जानना चाहते थे कि पवार ने पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने का फैसला क्यों किया है. दोनों का ही ये मानना था कि शरद पवार को अपने फैसले के बारे में फिर से सोचना चाहिए. कई अन्य गैर-भाजपा पार्टियों के नेताओं ने उन्हें अगले लोकसभा चुनाव पार्टी अध्यक्ष बने रहने की सलाह दी है.

सभी तथ्य और समीकरणों को जोड़कर देखा जाए तो कहना उचित है कि शरद पवार से ही एनसीपी का वर्तमान और भविष्य जुडा हुआ है. आगामी लोकसभा चुनावों में विपक्षी एकता का दारोमदार भी काफी हद तक शरद पवार के जिम्मे होने वाला है. चुनावों में तीसरा धड़ा बनाने की तैयारी कर रही बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मनाने में भी शरद पवार की अहम भूमिका रहने वाली है.

इस सभी बातों को देखते हुए शरद पवार का इस्तीफे पर पुनर्विचार करना और इस्तीफा वापिस लेना 100 फीसदी निश्चित है. यानि आगामी लोकसभा चुनावों तक शरद पवार अपनी राजनीतिक फिरकी से भारतीय जनता पार्टी और पीएम नरेंद्र मोदी एवं बीजेपी के चाणक्य अमित शाह को चारों खाने चित करने के लिए एक बार फिर से तैयार होंगे.

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