Politalks.News/RSS/Bhagwat/MuslimLeaders. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS का नाम जहन में आते ही सबसे पहले संघ और मुस्लिम समुदाय की कट्टर दुश्मनी के क्षण अन्तरप्टल पर घूम जाते हैं, लेकिन ऐसे में जब यह सुनाई और दिखाई दे कि संघ प्रमुख मुस्लिम नेताओं के आग्रह पर उनसे मिल रहे हैं और कट्टर मुस्लिम नेता उनकी शान में कशीदे गढ़ते हुए उन्हें ‘राष्ट्रपिता‘ और ‘राष्ट्र ऋषि‘ कह रहे हैं तो एक बारगी यकीन होना मुश्किल हो जाता है. बता दें, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मुस्लिम नेताओं से मुलाकात ने देशभर की सियासत को हिलाकर रख दिया है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पांच मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ एक बैठक की और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. बताया जा बैठक में गोहत्या से लेकर अपमानजनक संदर्भों के उपयोग तक के मुद्दों पर चर्चा हुई. बैठक के बाद जहां डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी ने मोहन भागवत इस देश का ‘राष्ट्र-पिता’ और ‘राष्ट्र-ऋषि’ तक बता दिया तो वहीं AIMIM सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने संघ प्रमुख से मिलने वाले मुस्लिम नेताओं (Muslim leaders) को लेकर कहा कि, ‘भागवत से मिलने वाले मुस्लिम नेता “कुलीन” हैं और उनका जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है.’
आपको बता दें कि इन सभी मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की पहली बैठक संघ के दिल्ली के झंडेवालान स्थित कार्यालय उदासीन आश्रम में एक महीने पहले हुई थी. इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत के अलावा सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व एएमयू कुलपति और लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ज़मीर उद्दीन शाह, आरएलडी नेता शाहिद सिद्दीकी और व्यवसायी सईद शेरवानी शामिल हुए थे. बताया जा रहा है कि बैठक का समय आधा घंटा निर्धारित था, लेकिन ये बैठक 75 मिनट तक चली. इस दौरान दोनों पक्षों ने दोनों समुदायों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर बातचीत जारी रखने के लिए समय-समय पर मिलने का संकल्प भी लिया.
इसके बाद आज एक बार फिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को कस्तूरबा गांधी मार्ग स्थित मस्जिद पहुंचे, जहां उन्होंने डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी के अलावा मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक की. बता दें कि इलियासी अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य इमाम हैं. इससे पहले भागवत ने मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बंद कमरे में बैठक कर उनसे गोहत्या पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था. इसके अलावा उन्होंने हिंदुओं के खिलाफ ‘काफिर’ (गैर-आस्तिक) और ‘जिहाद’ (पवित्र युद्ध) जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर भी सवाल उठाए, साथ ही सुझाव दिया कि इनके प्रयोग से बचना चाहिए.
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वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात के बाद अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम डॉ इमाम उमर अहमद इलियासी ने कहा कि मोहन भागवत इस देश के ‘राष्ट्र-पिता’ और ‘राष्ट्र-ऋषि’ हैं. अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख ने कहा कि मोहन भागवत जी आज मेरे निमंत्रण पर पधारे, उनकी यात्रा से एक अच्छा संदेश जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि हिंदू और मुस्लिम के पूजा करने के तरीके अलग हैं लेकिन हम सब का धर्म मानवता का है. इमाम प्रमुख ने मानवता को सबसे बड़ा धर्म बताया और कहा कि राष्ट्र का स्थान धर्म से ऊपर है.
दूसरी तरफ बैठक की जानकारी सामने आने के बाद हैदराबाद से AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत से मिलने वाले मुस्लिम नेताओं पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से मिलने वाले मुस्लिम नेता “कुलीन” हैं और उनका “जमीनी हकीकत से कोई लेना-देना नहीं है.” ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख ओवैसी ने कहा कि आरएसएस बीजेपी का वैचारिक गुरु है.
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ओवैसी ने आगे कहा कि “यह अभिजात वर्ग, जो सोचता है कि वह बहुत जानकार है लेकिन उसका जमीनी वास्तविकता से कोई संपर्क नहीं है, वे आराम से रह रहे हैं और वे आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं. हालांकि यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. बता दें कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत अभूतपूर्व रूप से मुस्लिम नेताओं से मिलते रहे हैं. आज, उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के मुख्य मौलवी उमर अहमद इलियासी से दिल्ली के मध्य में एक मस्जिद में मुलाकात की. इसे “बंद दरवाजे की बैठक” के रूप में वर्णित किया गया, जो एक घंटे से अधिक समय तक चली.
जबकि एस वाई कुरैशी और शाहिद सिद्दीकी ने कहा, “बातचीत बेहद सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई. बैठक के बाद आरएसएस प्रमुख भागवत ने नियमित रूप से मुस्लिम समुदाय के संपर्क में रहने के लिए चार वरिष्ठ पदाधिकारियों को नियुक्त किया. अपनी तरफ से हम मुस्लिम बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, लेखकों से संपर्क कर रहे हैं ताकि आरएसएस के साथ इस संवाद को जारी रखा जा सके. मोहन भागवत ने हमें बताया कि लोग गोहत्या और काफिर (गैर-मुसलमानों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले) जैसे शब्दों से नाखुश थे. जवाब में हमने कहा कि हमें भी इससे सरोकार है और अगर कोई गोहत्या में शामिल है तो उसे कानून के तहत सजा मिलनी चाहिए. हमने उनसे कहा कि अरबी में काफिर का इस्तेमाल अविश्वासियों के लिए किया जाता है और यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे सुलझाया नहीं जा सकता. हमने उनसे कहा कि हमें भी दुख होता है जब किसी भारतीय मुसलमान को पाकिस्तानी या जेहादी कहा जाता है.”