भारत की अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को लेकर मोदी सरकार (Narendra Modi Government) लंबे समय से विपक्ष के निशाने पर रही है. अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (Randeep Surjewala) ने एक बार फिर केंद्र की बीजेपी सरकार पर फिर तीखा हमला किया. अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल पर सुरजेवाला ने सरकार पर अपनी नाकामी और देश में छाई भारी मंदी के हालातों को ढकने के लिए RBI से फंड लेने का आरोप लगाया. सुरजेवाला ने देश के मौजूदा हालातों को ‘आर्थिक आपातकाल’ (Economic emergency) की संज्ञा दी. बता दें, हाल में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने सरकार को एक लाख 76 हजार करोड़ रुपये देने की बात कही.
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रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘RBI का ‘इमरजेंसी फ़ंड’ गिर कर 6 साल के निचले स्तर पर क्योंकि अपनी नाकामियों व घोर आर्थिक मंदी को छुपाने के लिए भाजपा सरकार ने ज़बरन RBI के ₹1,76,000 करोड़ लिए. भाजपा सरकार ने देश को ‘आर्थिक आपातकाल’ में धकेल दिया‘
RBI का ‘इमरजेंसी फ़ंड’ गिर कर 6 साल के निचले स्तर पर क्योंकि अपनी नाकामियों व घोर आर्थिक मंदी को छुपाने के लिए भाजपा सरकार ने ज़बरन RBI के ₹1,76,000 करोड़ लिए।
भाजपा सरकार ने देश को ‘आर्थिक आपातकाल’ में धकेल दिया है। pic.twitter.com/vR9zA620JU
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 30, 2019
सुरजेवाला ने दैनिक समाचार पत्र की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया कि केंद्र सरकार को सरप्लस देने के बाद रिजर्व बैंक के आपातकालीन फंड में कमी आई है जो पिछले 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है. 2013-14 में आपात फंड 2.21 लाख करोड़ रुपये था जो 2018-19 के दौरान 25 हजार करोड़ रुपये घटकर 1.96 लाख करोड़ रुपये रह गया.
गौरतलब है कि आरबीआई आकस्मिक संकट से निपटने के लिए कॉन्टिंजेंसी फंड रखता है. यह फंड सरकार को ट्रांसफर किया जाता है. वर्तमान सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के बाद यह फंड केवल 1.96 लाख करोड़ रुपये रह गया है जो पिछले सालों में सबसे कम है. 2017-18 में यह फंड 2.32 लाख करोड और 2016-17 में 2.28 लाख करोड़ रुपये था जो 6 सालों में सबसे अधिक रहा. इन सभी 6 सालों में केंद्र में मोदी सरकार का कब्जा रहा.
वहीं अपने एक अन्य ट्वीट में सुरजेवाला ने एक दैनिक समाचार पत्र के हवाले से जानकारी दी कि आरबीआई की जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों से धोखाधड़ी के 6,801 के मामले सामने आए हैं जिनमें 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है. पिछले साल की तुलना में ये आंकड़े 74 फीसदी बढ़े हैं. 2017-18 में ये 41,167 करोड़ रुपये रहा था.
Bank Frauds up by 74%!
2017-18 – ₹41,167 Cr
2018-19 – ₹71,542 Cr‘Loot & Scoot’ in ‘New India’ as a complicit BJP Govt looks the other way and common man is taxed! pic.twitter.com/LiDTevwDkn
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) August 30, 2019
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी है और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है. आरबीआई ने आईएल एंड एफएस संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 प्रतिशत की गिरावट आयी है.