Politalks.News/FarmersProtest. केन्द्र के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के आज 91वें दिन किसान ‘पगड़ी संभाल दिवस’ मानने वाले हैं. किसान पगड़ी संभाल दिवस पर आत्मसम्मान के प्रतीक अपनी क्षेत्रीय पगड़ी को पहन सरकार के तीनों कृषि कानून का विरोध करेंगे. जिसके तहत आंदोलनरत सभी किसान दिल्ली के सिंघु व टिकरी बार्डर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ में आज पगड़ी संभाल दिवस मनाएंगे.
आपको बता दें, किसानों द्वारा यह पगड़ी संभाल दिवस शहीद भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह एवं स्वामी सहजानंद सरस्वती की याद में मनाया जाएगा. 1907 में ‘पगड़ी संभाल ओए जट्टा‘ अभियान अंग्रेज सरकार के खिलाफ चलाया गया था. उस समय भी अंग्रेज सरकार ने किसानों के खिलाफ 3 कानून पास किए थे जिसके विरोध में ये अभियान चलाया गया था. अंग्रेजी सरकार के पास किए तीनों एक्ट में किसानों के ऊपर टैक्स काफी ज्यादा बढ़ा दिए गए थे.
इससे पहले सोमवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं. राकेश टिकैत चेतावनी देते हुए कहा कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मुश्किल हो जाएगा. आपको बता दें, टिकैत इस महीने हरियाणा और राजस्थान में किसान महापंचायत कर रहे हैं. सोनीपत जिले के खरखौदा की अनाज मंडी में किसान महापंचायत में टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा.
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गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने रविवार को अपने ग्वालियर प्रवास के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा था कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार है लेकिन महज भीड़ जमा हो जाने से कानून रद्द नहीं होंगे. तोमर ने किसान संघों से सरकारों को यह बताने का आग्रह किया कि इन नए कानूनों में कौन सा प्रावधान उन्हें किसान विरोधी लगता है.
कृषि मंत्री तोमर के इस बयान पर पलटवार करते हुए राकेश टिकैत ने सोमवार को महापंचायत में कहा, ‘राजनेता कह रहे हैं कि भीड़ जुटाने से कृषि कानून वापस नहीं हो सकते. जबकि उन्हें मालूम होना चाहिए कि भीड़ तो सत्ता परिवर्तन की सामर्थ्य रखती है. यह अलग बात है कि किसानों ने अभी सिर्फ कृषि कानून वापस लेने की बात की है, सत्ता वापस लेने की नहीं.’ टिकैत ने कहा, ‘उन्हें (सरकार को) मालूम होना चाहिए कि अगर किसान अपनी उपज नष्ट कर सकता है तो आप उनके सामने कुछ नहीं हो.’ उन्होंने कहा कि कई सवाल हैं. सिर्फ कृषि कानून नहीं है, लेकिन बिजली (संशोधन) विधेयक है, बीज विधेयक है. वो किस तरह के कानून लाना चाहते हैं?
किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत में एक बार फिर दोहराया कि अब किसान सभी मोर्चों पर डटेंगे. किसान खेती भी करेंगे, कृषि नीतियों पर भी निगाह रखेंगे और आंदोलन भी करेंगे. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए टिकैत ने कहा, ‘जब एमएसपी पर कानून बनेगा तब किसानों का संरक्षण होगा. यह आंदोलन उसके लिए है. यह किसानों के अधिकार के लिए है.’
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गरीब को तबाह कर देंगे ये कृषि कानून
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मौजूदा आंदोलन सिर्फ उस किसान का नहीं है, जो फसल उगाता है, बल्कि उसका भी है, जो राशन खरीदता है. उस छोटे से छोटे किसान का भी है, जो दो पशुओं से आजीविका चलाता है. उन मजदूरों का भी है, जो साप्ताहिक बाजार से होने वाली आय से अपना गुजारा करते हैं. टिकैत ने कहा यह तीनों कानून गरीब को तबाह कर देंगे. यह सिर्फ एक कानून नहीं है, इस तरह के अभी ओर कई कानून आएंगे.
आपको बता दें, किसान संगठनों की ओर से आंदोलन तेज करने के लिए 23 से 27 फरवरी के बीच कई कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की गई है. किसानों ने कहा कि वे प्रदर्शन को लंबे समय तक चलाने के लिए जल्द ही नई रणनीति तैयार करेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया कि 23 फरवरी को ‘पगड़ी संभाल दिवस’ और 24 फरवरी को ‘दमन विरोधी दिवस’ मनाया जाएगा और इस दौरान इस बात पर जोर दिया जाएगा कि किसानों का सम्मान किया जाए और उनके खिलाफ कोई ‘‘दमनकारी कार्रवाई’’ नहीं की जाए. मोर्चा ने कहा कि 26 फरवरी को ‘युवा किसान दिवस’ और 27 फरवरी को ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ मनाया जाएगा.
गौरतलब है कि केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर आंदोलनकारी किसान बीते 26 नवंबर से लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान हैं. सरकार और 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन मुद्दे का समाधान नहीं निकल सका. किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार अविलंब तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे.