Politalks.News/Rajasthan. भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश मुख्य प्रवक्ता एवं विधायक रामलाल शर्मा ने प्रेसवार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के कोरोना संक्रमण के समय से लेकर आज तक प्रबन्धन से सम्बन्धित आंकड़े मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जो मीडिया के समक्ष पेश किये गये हैं, वह धरातल पर नहीं है, सिर्फ कागजों एवं आंकड़ों में हैं. विधायक शर्मा ने कहा कि जैसलमेर, बीकानेर, जयपुर सहित कई जिलों में सरकारी अस्पतालों में लापरवाही की वजह से कई कोविड मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी. जैसलमेर में पिछले दिनों अस्पताल के बाथरूम में एक कोविड मरीज की मौत हो जाना गंभीर चिंता का विषय है, जो प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है.
पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है, जिसमें विधायक पब्बाराम विश्नोई, जोगेश्वर गर्ग, प्रदेश आईटी सेल प्रभारी अविनाश जोशी सदस्य हैं, जो जैसलमेर जाकर इस मामले की जांच पड़ताल कर सतीश पूनियां को रिपोर्ट सौंपेंगे.
रामलाल शर्मा ने कहा कि जयपुर के अन्दर पेट्रोल पम्प मालिक की दिनदहाड़े हत्या हो जाना, बीकानेर में बदमाशों द्वारा नाकाबन्दी तोड़कर भाग जाना यह सब स्पष्ट होता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है, सरकार कानून व्यवस्था को संभालने में विफल है.
विधायक शर्मा ने सरकारी दांवों को धता बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने सरकारी अस्पतालों में 3 हजार आॅक्सीजन बैड की उपलब्धता का दावा किया है जिसमें से केवल 900 ही काम आ रहे हैं. एक हजार आइसीयू बैड में से 300 और 500 वैंटिलेटर में से 250 ही उपयोग में आ रहे हैं जबकि वर्तमान स्थिति में देखने में यह आया है कि सरकारी मेडिकल काॅलेजों में एवं जिला अस्पतालों में आॅक्सीजन बैड, आइसीयू बैड, वेंटिलेटर बैड की आवश्यकता अनुसार उपलब्धता नहीं है. अधिकांश कोरोना मरीजों को दो-तीन दिन में बैड उपलब्ध करने को कहा जाता है.
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रामलाल शर्मा ने आगे कहा कि निजी मेडिकल काॅलेज एवं अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए निर्धारित दर से अधिक अवैध वसूली की जा रही है, जिसके समाधान को लेकर सरकार गंभीर नहीं है. शर्मा ने कहा कि आज कोरोना के अन्दर सरकारी चिकित्सालयों की तो बात छोड़ दीजिए, निजी चिकित्सालयों के अन्दर भी उचित सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. जयपुर के अन्दर कोविड सेन्टर रूप में जो निजी चिकित्सालय घोषित किये गये हैं, उन चिकित्सालयों में भी दो-तीन दिन बाद बैड उपलब्ध हो पा रहे है. तीन महीने पहले जब किसी मोहल्ले, कस्बे, गांव में कोविड का मरीज आता था तो उस इलाके में कफ्र्यू लगाया जाता था, बेरिकेट लगाये जाते थे, उस पूरे मोहल्ले को सैनेटाइज किया जाता था और सुरक्षा का जाब्ता लगाया जाता था. आज पूरे प्रदेश के अन्दर इस प्रकार के हालात बने हुए हैं कि राज्य सरकार गंभीरता से कोरोना कुप्रबन्धन को सही करने पर ध्यान नहीं दे रही है.
बीजेपी नेता ने कहा कि कई स्थानों पर यह देखने को मिला है कि कोविड मरीज होने के उपरान्त तीन-तीन दिन तक उसके परिवार की जांच रिपोर्ट नहीं आती है. जब जांच रिपोर्ट आती है तो कई मामलों में पूरा परिवार ही संक्रमित पाया जाता है. ऐसे में और भी लोग संक्रमित हो जाते हैं. आज प्रदेश में तेजी से बढ़ते मामलों के कारण कोरोना विस्फोट हो रहा है, लेकिन सरकार के तमाम वाह-वाही लूटने वाले दावे, सिर्फ खुद का प्रचार करने के लिए किये जा रहे हैं.