जब से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए हैं, लगता है कांग्रेस की किस्मत सो गई है. कुछ भी पार्टी के लिए सही नहीं हो रहा है. एक तो पहले से ही राहुल गांधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर बैठे हैं, जिससे पार्टी की बागड़ौर कमजोर हो गई है. वहीं दूसरी ओर, लगातार कांग्रेस शासित प्रदेशों में विधायकों पर हो रही डकैती दिल्ली में बैठे नेताओं की नींदे हराम कर रही है. आए दिन कोई न कोई कांग्रेसी विधायक पार्टी से इस्तीफा दे रहा है या फिर गायब हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस पर चुनिंदा राज्यों में सरकार खोने का खतरा भी मंडराने लगा है.

फिलहाल राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और पांडिचेरी में कांग्रेस सरकार है जबकि कर्नाटक में जेडीएस के कुमार स्वामी के साथ साझा सरकार है. मध्यप्रदेश में भी पार्टी की सरकार बसपा विधायकों के सहारे टिकी हुई है. लोकसभा चुनाव में करारी शिख्स्त के बाद करीब-करीब सभी राज्यों में कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे और पार्टी छोड़ने का दौर लगातार जारी है. इनमें से अधिकतर विधायक बीजेपी की ओट में जाकर छिप रहे हैं.

यह घटनाक्रम गुजरात और कर्नाटक में ज्यादा देखा जा रहा है. हाल ही में कर्नाटक में तीन कांग्रेसी विधायकों पार्टी से इस्तीफा दे दिया. शेष बचे विधायकों को बचाने के लिए पूर्व सीएम सिद्धारमैया प्रयासों में लगे हैं. अब यह दिक्कत गुजरात में भी आ खड़ी हुई है. गुजरात विधानसभा से लेकर अब तक कांग्रेस के 7 विधायक पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. अब खबर आ रही है कि 18 अन्य विधायक भी इसी लाइन में खड़े हैं.

हाल ही में कांग्रेस के पूर्व सदस्य अल्पेश ठाकोर ने एक नया बयान देकर कांग्रेस खेमे की मुश्किलों को और हवा दे दी है. दरअसल अल्पेश ने कहा है कि गुजरात में 18 कांग्रेसी विधायक पार्टी छोड़ने का मन बना रहे हैं. इससे कांग्रेसी खेमा एकदम से एक्टिव हो गया है और अपने शेष विधायकों को बचाने की कोशिशों में जुट गया है. इस बयान को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के गुजरात दौरा करने की खबर से और हवा मिल रही है.

बता दें, इसी महीने में गुजरात राज्यसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं. अमित शाह और स्मृति ईरानी के लोकसभा पहुंचने से यह सीटें खाली हुई हैं. पहले भी इन दोनों सीटों पर एक साथ चुनाव कराने को लेकर कांग्रेस हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई. अब बीजेपी कांग्रेसी विधायकों को अपनी तरफ करने का प्रयास कर रही होगी, इस बात में कोई संदेह नहीं है.

राहुल गांधी के कांग्रेस पद से इस्तीफा देने के बाद से पार्टी एक तरह से नेतृत्व विहीन हो चुकी है. ऐसे में पार्टी के दिग्गज़ नेता अहमद पटेल ने कांग्रेस में आए इस प्रवाह को रोकने की जिम्मेदारी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंपी हैं. गहलोत को अनुभवी राजनीतिज्ञ और रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है जिनका कोई वार कभी खाली नहीं गया. गुजरात विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने अपने अनुभव से बीजेपी को कड़ी टक्कर दी थी.

अब अशोक गहलोत ने गुजरात में कांग्रेसी विधायकों की बाड़बंदी गुजरात में नहीं बल्कि राजस्थान में करने की योजना बनाई है. उन्होंने गुजरात में उपस्थित सभी कांग्रेसी विधायकों को माउंट आबू पहुंचने का फरमान सुनाया है. यहां उन्हें सैर सपाटे के लिए बल्कि दो दिन की घेराबंदी के लिए बुलाया है. सभी विधायकों को अचलगढ़ की एक निजी होटल में रखा जाने की सूचना है.

अब गहलोत की यह रणनीति कितनी काम आएगी, इसका तो पता नहीं लेकिन यह पता जरूर चल गया है कि सच में कांग्रेस का अब कोई ठोर-ठिकाना नहीं बचा है. कांग्रेस अध्यक्ष का चयन भी खटाई में पड़ा हुआ है. आगामी कुछ महीनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में कांग्रेस का लोकसभा चुनाव की हार भूल फिर खड़े होकर बीजेपी की आंधी का सामना करना आसान काम नहीं लग रहा है.

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