सात महीने पहले राजस्थान विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ एक नाम बड़ा सुर्खियों में रहा था. वो नाम था रामेश्वर डूडी. पिछले पांच साल राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस के कम सदस्य होने के बावजूद भी सदन में सरकार को घेरने के लिए जिस व्यक्ति अपनी ताकत दिखाई वो नाम था रामेश्वर डूडी.
विधानसभा चुनाव में श्रीगंगानगर जिले और जयपुर की फुलेरा सीट को लेकर सचिन पायलट से एआईसीसी में राहुल गांधी के सामने भिड़ने और बाद में नोखा से विधायक रहे कन्हैयालाल झंवर को बीकानेर पूर्व से टिकट दिलाने और बाद में झंवर का टिकट कटने के बाद खुद के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने वाले डूडी ने आलाकमान तक को उनके आगे झुकने को मजबूर कर दिया था.
इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में किसान मुख्यमंत्री की मांग करते हुए खुद को गहलोत और पायलट के समकक्ष बताते हुए कहीं ना कहीं डूडी ने खुद को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट तक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन विधानसभा चुनाव में नोखा से चुनाव हारना डूडी के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी क्षति साबित हुई.
वे विधानसभा चुनाव के बाद पूरी तरह से राजनीतिक गलियारों में अचानक ही गायब हो गए. लेकिन लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने अपने आलोचकों को जवाब दे दिया. अपनी पसंदीदा व्यक्ति मदनगोपाल मेघवाल को बीकानेर लोकसभा से टिकट दिलाकर डूडी ने जिले में अपने धुर विरोधियों को भी यह मैसेज दे दिया कि वे हारने के बाद भी कमजोर नहीं है.
दरअसल जिले में खाजूवाला से विधायक गोविन्द डूडी विरोधी माने जाते हैं और गोविन्द अपनी पुत्री सरिता के लिए बीकानेर लोकसभा का टिकट मांग रहे थे. लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने डूडी को तवज्जो देते हुए उनकी सिफारिश पर मदनगोपाल को टिकट दिया. लेकिन लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस में मची उथलपुथल से सब समीकरण बिगड़ गए.
डूडी के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद पिछले पांच सालों से उनके समर्थक उन्हें किसानों का सच्चा हितैषी बताते हुए उन्हें किसान केसरी की उपाधि देते हुए उनके जन्मदिन को जोरशोर से मनाते हैं. लेकिन इस बार एक जुलाई को डूडी के जन्मदिन पर उनके समर्थकों ने प्रदेशभर में पौधारोपण किया. साथ ही बीकानेर में भी पौधरोपण किया और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री और डूडी के प्रबल समर्थक माने जाने वाले भंवर सिंह भाटी, जिला प्रमुख सुशीला सींवर की अगुवाई में पीबीएम अस्पताल के कैंसर वार्ड में पंखे और कूलर भेंट किए.
इस बार डूडी का जन्मदिन मनाकर उनके समर्थकों ने आलाकमान को डूडी की ताकत होने का संकेत दिया. बताया जा रहा है कि डूडी समर्थक फिर से डूडी को राजनीतिक मुख्यधारा में देखना चाहते हैं और इसके लिए डूडी को राजनीतिक रूप से सरकार में भागीदारी दिलाने के लिए बड़ी राजनीतिक नियुक्ति की जल्द घोषणा हो ऐसी उनकी इच्छा है. वहीं सोशल मीडिया में उनके समर्थक उन्हें हाल ही में नागौर की खींवसर और झुंझुनूं की मंडावा विधानसभा सीट के खाली होने पर उन्हें उपचुनाव में उम्मीदवार बनाने को लेकर सक्रिय हो गए हैं. उनका मानना है कि उपचुनाव में जीतकर डूडी विधानसभा में पहुंचेंगे तो फिर से राजनीतिक रूप से मजबूत हो जाएंगे. वहीं कुछ समर्थक उन्हें राजनीतिक नियुक्ति देने की मांग भी कर रहे हैं।
दरअसल कांग्रेस में राहुल गांधी के इस्तीफे की घोषणा के बाद कांग्रेस में उथलपुथल मची हुई है और प्रदेश में भी सियासी पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा है ऐसे में उनके समर्थकों को लगता है कि इस भूमिका में डूडी का होना जरूरी है और इसके लिए उन्हें राजनीतिक रूप से मजबूत होना होगा.
प्रदेश में आने वाले समय में निकाय के चुनाव हैं और उसके बाद फरवरी तक पंचायतराज के चुनाव होने हैं, प्रदेश में जाट राजनीति में डूडी का एक बड़ा कद है और पंचायत चुनाव में पार्टी को इसका लाभ मिले इसको लेकर डूडी समर्थक आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए और इसलिए इस बार जन्मदिन को ताकत दिखाते हुए मनाया गया. अब डूडी के समर्थकों की इच्छा कब पूरी होगी या आलाकमान की क्या मर्जी है यह तो वक्त बताएगा लेकिन डूडी के समर्थक जल्द ही उनकी ताजपोशी की कवायद में जुट गए हैं