Wednesday, January 15, 2025
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राजस्थान विधानसभा में चिकित्सा विभाग की अनुदान मांगों पर बहस

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राजस्थान विधानसभा में गुरुवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य़ विभाग की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने सरकार ने वित्त विभाग को चिकित्सक के 2000 पदों पर नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है. 737 चिकित्सकों की नियुक्ति की स्वीकृति मिली है. उन्होंने कहा कि पिछली भाजपा सरकार के पांच साल के कार्यकाल में चिकित्सा के लिए जो बजट तय किया था, उतना प्रावधान हमारी सरकार ने पहले बजट में किया है. कांग्रेस चुनावी घोषणा पत्र के अनुसार काम कर रही है. चुनावी घोषणापत्र को सरकारी दस्तावेज मानते हुए फैसले किए जा रहे हैं.

रघु शर्मा ने कहा कि सरकार चिकित्सा का अधिकार कानून बनाने की तैयारी कर रही है. उन्होंने पिछली भाजपा सरकार पर भामाशाह कार्ड योजना में करीब 300 करोड़ रुपए की फिजूलखर्ची का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, हम भामाशाह योजना के साथ ही आयुष्मान योजना लागू करेंगे. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली भाजपा सरकार ने निशुल्क दवा योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था, जिसे जनहित में फिर से शुरू कर दिया गया है. इस योजना में 2018 तक राजस्थान के अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में 1.2 करोड़ लोगों को मुफ्त दवा वितरण और अस्पतालों में भर्ती 75 लाख मरीजों को निशुल्क दवा मिलने का आंकड़ा है. इस साल एक जनवरी 2019 से अब तक अस्पतालों के ओपीडी में 4.44 करोड़ से ज्यादा मरीजों को निशुल्क दवा का लाभ मिला है. अस्पतालों में भर्ती 20.31 लाख मरीजों को इस योजना के तहत निशुल्क दवाइयां दी गईं.

रघु शर्मा ने बाताया कि आयुर्वेद और आयुष पर बजट प्रावधान 989 करोड़ रुपए है, जो पिछले वर्ष से 10 फीसदी ज्यादा है. मुख्यमंत्री के बजट भाषण में जनता क्लीनिक खोलने की घोषणा के बारे में उन्होंने कहा कि इसको हमारी सरकार साकार रूप देगी. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के लिए इस वर्ष बजट में प्रावधान पूरे बजट का 5.96 फीसदी है, जो पिछली सरकार के बजट से सात फीसदी ज्यादा है. उन्होंने दावा किया कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम की तैयारी सरकार ने पहले ही कर ली है. कैंसर की रोकथाम के लिए भी हमारी सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.

यह भी पढ़ें: राजस्थान विधानसभा में भाजपा ने फिर किया प्रश्नकाल का बायकाट

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य़ विभाग की अनुदान मांगों पर बहस शुरू करते हुए भाजपा के कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस सरकार पर भामाशाह योजना और मदर मिल्क योजना को अघोषित रूप से बंद करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री गहलोत ने बजट भाषण में कहा था कि कांग्रेस की मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना को भाजपा ने बंद किया, जबकि हकीकत यह है कि भाजपा के शासन के शुरूआती तीन साल में 1129 करोड़ रुपए की दवाएं खरीदी गई, जबकि कांग्रेस ने योजना शुरू करने के तीन साल में मात्र 694 करोड़ रुपए दवाएं खरीदन पर खर्च किए थे.

सराफ ने कहा कि निशुल्क दवा योजना में भाजपा राज में कैंसर रोग की 48 दवाओं को जरूरी मानते हुए अनुशंसा की थी, लेकिन इस सरकार ने उनमें से कटौती कर मात्र 11 दवाओं को स्वीकृति दी है. सराफ ने कहा कि मुख्यमंत्री ने श्रीगंगानगर में मेडिकल कालेज खोलने की घोषणा तो की लेकिन यह बताना भूल गए कि कांग्रेस के 65 साल के राज में मात्र सात मेडिकल कॉलेज बने, जबकि पिछली भाजपा सरकार के समय राज्य में आठ मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई, जिनमें से पांच शुरू हो चुके हैं. बाकी तीन कॉलेजों के बारे में मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि सरकार ने टीकाकरण में 85 फीसदी का लक्ष्य हासिल नहीं किया तो केंद्र सरकार ने 500 करोड़ रुपए का इन्सेंटिव रोक दिया. इसका जिम्मेदार कौन है? स्वाइन फ्लू से देश में जितनी मौतें हुई, उनमें से 26 फीसदी राजस्थान में हुई हैं.

बहस में भाग लेते हुए भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि चिकित्सा विभाग पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है. प्रदेश में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत ढाई हजार पदों पर भर्ती होने वाली थी, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते नहीं हो पाई. इससे करीब 600 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. भर्ती के बारे में चिकित्सा मंत्री ने कहा, मुझे इसकी जानकारी नहीं है. वहीं अतिरिक्त प्रधान सचिव (एसीएस) ने कार्यकारी बैठक की अध्यक्षता की. उसके मिनट्स पर एसीएस ने दस्तखत किए. अगर यह फाइल चिकित्सा मंत्री तक नहीं पहुंची तो इसमें एसीएस की गलती है. लेकिन आपने दूसरे अधीनस्थ सचिव को विभाग से हटा दिया. इसके पीछे लाख-डेढ़ लाख रुपए की रिश्वत की बात सामने आ रही है.

देवनानी ने एसएमएस अस्पताल की लाइफलाइन में आग लगने का मामला उठाते हुए कहा कि इसमें कार्रवाई के नाम पर एक जूनियर को सस्पेंड और एक-दो को नोटिस जारी करके मामला समाप्त कर दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि इसमें बड़ा भ्रष्टाचार है और सत्ता में बैठे लोगों पर शक की सुई जा रही है. इस कारण इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

देवनानी ने कहा कि फार्मासिस्ट और चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं. सरकार ने जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा कर दी लेकिन चिकित्सकों के 45 फीसदी पद खाली हैं. एसएमएस अस्पताल की इमारत 80 साल पुरानी है. एनएनआईटी के इंजीनियरों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस इमारत को जर्जर स्थिति में बताया है. रोजाना अस्पताल में प्लास्टर गिर रहा है. फिर भी वहां मरीज भर्ती हैं. अस्पताल का ड्रेनेज और सीवरेज सिस्टम भी पूरी तरह नष्ट हो चुका है.

निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने बहस में भाग लेते हुए पिछली सरकार में चिकित्सा विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और पूर्व चिकित्सा मंत्री पर उनका नाम लिए बगैर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में पेट्रोल पंप चर्चित रहा था. कहा जाता था कि आशीष हो तो विवेक से काम हो जाए. इस दौरान 20-20 लाख रुपए के लेन-देन के आडियो वायरल हुए थे. पिछली सरकार ने भले ही स्वच्छता अभियान चलाया, लेकिन प्रदेश के चिकित्सा मंत्री सड़क पर लघुशंका करते हुए कैमरे में कैद हुए.

संयम लोढ़ा के इतना कहते ही कालीचरण सराफ भड़क गए. इस पर लोढ़ा ने कहा कि मैंने किसी का नाम नहीं लिया है. सराफ ने कहा कि नियमों के तहत आरोप लगाओ तो मैं जवाब दूंगा. विवाद बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने हस्तक्षेप किया कि जो भी आरोप लगाने हों, नियमों के तहत लगाएं और अगर कार्यवाही में कुछ गलत हुआ तो उसे हटा दिया जाएगा. इसके बाद संयम लोढ़ा ने कहा कि कोई गलत फिल्म लग जाए या गाय की बात हो तो हजारों लोग सड़क पर आ जाते हैं, लेकिन बदहाल चिकित्सा व्यवस्था के मुद्दे पर कोई नहीं बोलता. सिरोही जिले में चिकित्सा व्यवस्था बिगड़ी हुई है. वहां पहाड़ों से मरीजों को खाट पर लेकर आना पड़ता है. यह जिला गुजरात से लगा हुआ है. वहां रोज सुबह गाड़ी लगती है. उनमें बैठकर क्षेत्र के मरीज इलाज कराने गुजरात चले जाते हैं. सिरोही वन, पर्यटन और खनिज वाला जिला है, लेकिन यहां वैसी शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था नहीं है. सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व भी इसी जिले से मिलता है.

सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों और निजी अस्पतालों के बीच मिलीभगत का उल्लेख करते हुए लोढ़ा ने कहा कि मरीज सरकारी अस्पतालों में भर्ती होते हैं, उनका ऑपरेशन निजी अस्पतालों में होता है. सवाई मानसिंह अस्पताल की व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि सब जगह धक्के खाकर मरीज जयपुर के इस सबसे बड़े अस्पताल में आता है. मरीज को भर्ती करने के बाद एक आदमी को उसके साथ रुकने दिया जाता है. रात को उसके परिजन बाहर सड़क पर सोते हैं. जहां से कभी मोबाइल चोरी हो जाता है, कभी कुछ.

विधायक सुमित गोदारा ने बीकानेर के सीएमएचओ पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कहा कि वह दस साल से एक ही पद पर बने हुए हैं. गठजोड़ के जरिए सिस्टम चला रहे हैं. दिव्या मदेरणा ने कहा कि सरकार को चिकित्सा का बजट बढ़ाना चाहिए. उन्होंने चिकित्सा का अधिकार कानून बनाने की भी मांग की. सरकार की जनता क्लिनिक योजना पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि बजट में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है. स्वास्थ्य क्षेत्र में पीपीपी मॉडल पर दिव्या मदेरणा ने कहा कि निजीकरण की धारणा कभी भी जन कल्याण के बारे में नहीं हो सकती.

भाजपा विधायक ज्ञानचंद पारख ने मुख्यमंत्री निशुल्क दवा एवं जांच योजना चलाने पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद दिया. कांग्रेस विधायक अमीन खान ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोल देते हैं, लेकिन पद खाली पड़े रहते हैं. बजट प्रस्तावों के अनुरूप ही इन्हें शुरू करना चाहिए. बहस में भाजपा विधायक अनिता भदेल, कांग्रेस की शकुंतला रावत, कृष्णा पूनिया, लक्ष्मण मीणा सहित कई विधायकों ने भाग लिया.

 

 

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