केन्द्र सरकार के संस्कृति विभाग के अंतर्गत चलने वाले तमाम संगठनों में चल रही प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं की जांच करने की तैयारी कर रही है. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने ऐसे संगठनों का तत्काल लीगल ऑडिट शुरू करने के निर्देश दिए हैं. उनका कहना है कि राष्ट्रीय महत्व के प्रमुख संस्थानों में भारी गड़बड़ियों की शिकायतें मिल रही हैं. इनका लीगल ऑडिट कराना जरूरी है.
इस संबंध में संस्कृति मंत्रालय की ओर से 17 जुलाई को सभी संबंधित विभागों को सर्कुलर जारी कर दिया गया है. इसमें विभिन्न विभागों और मंत्रालय से संबंधित स्वायत्तशासी संस्थानों के लीगल ऑडिट की प्रक्रिया तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. इनमें संस्कृति मंत्रालय से संबद्ध राष्ट्रीय अकादमियां, संग्रहालय, सांस्कृतिक केंद्र और अन्य संस्थान शामिल हैं.
प्रहलात पटेल का कहना है कि इन संस्थानों प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताएं चिंता का विषय हैं. मंत्रालय की ओर से अब तक इस तरह का कोई ऑडिट नहीं किया गया है. राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों में इस तरह की गड़बड़ियां नहीं होनी चाहिए. इन संस्थाओं के बेहतर संचालन के लिए मौजूदा नियमों के तहत लीगल ऑडिट होना चाहिए.
पटेल ने स्पष्ट किया कि लीगल ऑडिट की जिम्मेदारी नए ऑडिटरों या नई फर्मों को सौंपी जाएगी. इल मुद्दे पर एक प्रमुख अखबार ने पटेल और संस्कृति मंत्रालय से संपर्क करने का प्रयास किया था, लेकिन कोई भी उपलब्ध नहीं हो सका. यह स्पष्ट नहीं है कि प्रहलाद पटेल किन संस्थाओं की बात कर रहे हैं. किस संस्था में वित्तीय या प्रशासनिक धांधली चल रही है, इसका खुलासा पटेल ने नहीं किया है.
गौरतलब है कि संस्कृति मंत्रालय पिछले कुछ वर्षों से विभिन्न प्रमुख संस्थानों को लेकर विवादों में रहा है. इनमें ललित कला अकादमी शामिल है, जहां से कई कीमती पेंटिंग रहस्यमय तरीके से गायब हो चुकी हैं. सरकार को इस अकादमी को अपने अधीन लेना पड़ा और धांधली की जांच सीबीआई ने भी की थी. कलाक्षेत्र के पुनर्गठन की योजना जांच-पड़ताल के कारण 2017 से खटाई में है.
सांस्कृतिक संसाधन एवं प्रशिक्षण केंद्र (सीसीआरटी) और क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों में धांधलियों की शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं. पिछले साल राजस्थान ओरियंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट से दुर्लभ पांडुलिपियों की चोरी के पीछे भी बड़ी साजिश की खबरें मिली थी. सीएजी की रिपोर्ट है कि संस्कृति मंत्रालय के तहत चल रही स्वायत्तशासी संस्थाओं का हिसाब-किताब ठीक नहीं है. अब मोदी सरकार इन संस्थाओं को जिम्मेदार बनाने के प्रयास शुरू करने वाली है.