पॉलिटॉक्स न्यूज़/राजस्थान. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए एक बयान के बाद राजस्थान की राजनीति में सियासी उबाल आ गया है. पीएम मोदी पर कोरोना संकट में राज्य की कोई मदद नहीं करने का आरोप लगाकर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा पूरी तरह से विपक्ष के निशाने पे आ गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रघु शर्मा के बयान को देशवासियों का अपमान बताया है तो प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के बयान की निंदा करते हुए कहा की सत्ता के मद में चूर मंत्री प्रधानमंत्री जैसे प्रतिष्ठित पद की मर्यादा भी भूल गए. झूँठ बोल कर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की पसंद बनने का सपना देख रहे रघु शर्मा (Raghu Sharma) किस प्रमाण के साथ प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे है.
दरअसल, बुधवार को एआईसीसी द्वारा आयोजित एक आॅनलाइन पत्रकार वार्ता में चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना वायरस की महामारी में केंद्र राज्यों की मदद नहीं कर रहा है. पिछले दिनों वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुख्यमंत्रियों ने मदद मांगी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कह दिया कि हमसे कुछ भी मत मांगो और आप भी कुछ मत करो 2 दिन अखबार में छप कर रह जाएगा. अब आप बताइए ऐसे में हम क्या करते. पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी से कांग्रेस व भाजपा सहित सभी राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपए की मदद और राज्यों की सीमा 3 से बढ़ाकर 5 फीसदी करने की मांग की थी.
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चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के बयान पर आपत्ति जताते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि राजस्थान के चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी पर लगाया गया झूठा आरोप बेहद निंदनीय है. प्रधानमंत्री जी पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे व्यक्ति पर मनगढंत आरोप लगाना न केवल मर्यादाहीन है, बल्कि गैर ज़िम्मेदाराना भी है.
राजस्थान के चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी पर लगाया गया झूठा आरोप बेहद निंदनीय है। प्रधानमंत्री जी पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं, ऐसे व्यक्ति पर मनगढंत आरोप लगाना न केवल मर्यादाहीन है, बल्कि गैर ज़िम्मेदाराना भी है।#Rajasthan
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) April 23, 2020
अपने दूसरे ट्वीट में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने कहा कि चिकित्सा मंत्री की प्रधानमंत्री जी पर अमर्यादित टिप्पणी देशवासियों का अपमान है, जो साबित करती है कि राज्य सरकार के पास उपलब्धि के नाम पर बातों के सिवा कुछ भी नहीं है. जबकि हम राजनीति से ऊपर उठकर कोरोना संकट में राज्य सरकार के सहयोग के लिए तैयार हैं.
वहीं बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को चेतावनी देते हुए कहा की वे सरकार का हिस्सा है, जो बयान मंत्री शर्मा ने पीएम मोदी के लिए दिया है, वो सच है तो उस वीडियो कांफ़्रेसिंग की रिकोर्डिंग को सार्वजनिक करें. जिसके आधार पर वो प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे है, साथ ही ये भी बताए की उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कब और कैसे बात हुई. पूनियां ने आगे कहा कि अगर ऐसा नहीं कर सकते है तो अपनी हैसियत में रहकर अपने विभाग का काम ठीक से करें.
इसके साथ ही गुरुवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में सतीश पूनियां, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड की उपस्थिति में आयोजित हुई एक ऑनलाइन प्रेसवार्ता के दौरान सतीश पूनियां ने कहा कि प्रदेश सरकार की तुष्टिकरण की नीति के कारण ही राज्य में कोरोना का प्रकोप बढ़ा है, अपने वोट के लिए सरकार तबलीगी जमात के लोगों के ख़िलाफ़ सख़्ती नहीं कर रही है. यही कारण है की ये संक्रमण प्रदेश के 26 ज़िलों तक पहुँच गया है. पूनियां ने आगे कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार से संरक्षण मिलने के कारण से इनके हौसलें इतने बढ़ गए है की ये अब पुलिसकर्मियों और स्वास्थ्यकर्मियों पर भी हमले कर रहे है. प्रदेश के अधिकारियों के हाथ सरकार ने बाँध रखे है, उनको सरकार की और से स्वतंत्र रूप से काम करने से रोका जा रहा है.
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पूनियां ने आगे कहा कि कांग्रेस प्रदेश में विद्वेष की राजनीति कर रही है, उसकी अकर्मण्यता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने पर वो भाजपा के विधायकों और कार्यकर्ताओं पर मुक़दमे दर्ज कर रही है. पीएम मोदी की सरकार ने डॉक्टर्स पर हो रहे हमलों के ख़िलाफ़ क़ानून बना कर शानदार काम किया है. अपनी जान को दांव पर लगा कर स्वास्थ्यकर्मी लोगों का इलाज कर रहे है और कुछ जाहिल उनके पर ही हमला करते है, इस क़ानून से स्वास्थ्यकर्मियों का हौसला बढ़ेगा.
वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं की अब तक उनकी सरकार ने राज्य सरकार के पैसे से कितने लोगों को गेहूं बांटा, भारत सरकार की ओर से जो 40 हज़ार मेट्रिक टन गेहूँ आया उसका वितरण कैसे किया. भारत सरकार ने 10 हज़ार करोड़ रुपए मनरेगा में, उज्ज्वला योजना में प्रदेश की 62 लाख महिलाओं को तीन महीने तक फ़्री रिफ़िलिंग की सुविधा पर प्रतिमाह 478 करोड़, किसान सम्मान निधि में प्रदेश के 64 लाख किसानों को 2 हज़ार रुपए के हिसाब से 870 करोड़, जनधन खाता धारक प्रदेश के 1 करोड़ 52 लोगों को 500 रुपए, आपदा राहत में 970 करोड़ रुपए, चिकित्सा में आवंटित 1883 करोड़ में से 1780 करोड़ अब तक दिया है, इनको कैसे खर्च किया ये बताएँ.
कटारिया ने आगे कहा कि गहलोत सरकार ने दावा किया कि वो श्रमिकों के खाते में 2500 रुपए डाल रही है. सरकार बताये की अब तक उसने कितने लोगों के खाते में कितने रूपये डालें है. केन्द्र ने सबसे अधिक पैसा राजस्थान को दिया है, जिससे प्रदेश सरकार राहत अभियान चला रही है. सीएम गहलोत ये बता दे कि राज्य सरकार के खुद के ख़ज़ाने से कितना पैसा राहत के काम पर खर्च किया है. कटारिया ने आगे कहा की एसएमएस अस्पताल के स्वास्थ्यकर्मियों को धर्मशाला में रुकवाया जा रहा है, उनके लिए कोई सुविधा नहीं है. मुख्यमंत्री एक बार खुद उस धर्मशाला का दौरा करके आएं जिसमें ये स्वास्थ्यकर्मी रोके गए है.
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इसके साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा की प्रदेश की कांग्रेस सरकार अपनी विफलता को केन्द्र के माथे डालना चाहती है. गहलोत सरकार की नीतियों की वजह से प्रदेश के किसानों का बुरा हाल है, उनकी रबी की फ़सल तैयार पड़ी है, लेकिन सरकार की और से ख़रीदने की कोई तैयारी नहीं है. प्रदेश में 1 मई से सरकार फ़सल ख़रीदने की प्रक्रिया शुरू करेगी लेकिन उसकी तैयारी के हिसाब से 20 से 25 ग्राम पंचायतों के ऊपर एक ख़रीद केंद्र बनाया जा रहा है, जबकि ये 4 से 5 ग्राम पंचायतों के बीच एक होना चाहिए.
राठौड ने आगे कहा कि प्रदेश की 342 पंचायत समितियों में केवल 800 ख़रीद केन्द्र पर्याप्त है. भारत सरकार ने किसानों की परेशानी को देखते हुए प्रतिदिन 25 क्विंटल तुलाई की सीमा को बढ़ा कर 40 क्विंटल किया. इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा सूची भेजने के तीसरे दिन खातों में पैसा डालने की घोषणा की, जबकि राज्य सरकार ने फ़सल बीमा के प्रीमियम का अपना हिस्सा ही अभी तक जमा नहीं करवाया, उसकी वजह से किसानों की मुआवज़ा राशि रुकी हुई है.