पॉलिटॉक्स ब्यूरो. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी जिस तरह से उत्तर प्रदेश में पिछले लगभग ढाई साल से सक्रिय हैं, उससे तो यही लग रहा है कि पार्टी ने 2022 के लक्ष्य पर अभी से काम करना शुरु कर दिया है. यूपी में कांग्रेस पिछले साढ़े तीन दशकों से राजनीतिक वनवास झेल रही है. यूपी में कांग्रेस की अंतिम सरकार 1980 से लेकर 1989 तक बनी थी, लेकिन इस दौरान उनके 5 मुख्यमंत्रियों ने सत्ता संभाली. 1989 के बाद स्व कांग्रेस को कभी सत्ता में वापसी का मौका नहीं मिला लेकिन प्रियंका की स्पेशल चेन इस सत्ता के सूखे को खत्म करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही है.
बताना गलत न होगा कि प्रियंका गांधी के दम पर ही देश की सबसे पुरानी पार्टी यूपी के किले में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है. जब से प्रियंका को यूपी का प्रभारी बनाकर कमान सौंपी गई है, उन्होंने सत्ताधारी पार्टी और सीएम योगी पर सटीक वार करने में कोई गलती नहीं की फिर चाहे वो बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर का मामला हो या फिर महिला सुरक्षा से जुड़ा मुदद्दा हो या फिर हो उन्नाव दुष्कर्म केस. साथ ही बीते साल यूपी में 25000 होमगार्डों को दिवाली से कुछ ही दिन पहले नौकरी से निकालने के योगी सरकार के फैसले पर भी उन्होंने जमकर आवाज उठाई. यहां तक कि उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के घर जाकर मिलने और रोकने पर धरना प्रदर्शन करने जैसी घटनाओं को उन्होंने बखूबी अंजाम दिया. यूपी के मुद्दों को उन्होंने जिस कदर उठाया, उसका अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि उन्होंने बीते साल में अपने ट्वीटर हैंडल से 431 ट्वीट किए जिनमें 360 ट्वीट में प्रियंका ने केवल प्रदेश के मसलों को उठाया. प्रियंका के यूपी जीतने के काम में उनकी तीन हजार सदस्यों की एक ‘स्पेशल चेन‘ बखूबी साथ दे रही है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जमीन मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी ने तीन हजार सदस्यों की एक ‘स्पेशल चेन‘ तैयार करी है, जिसे 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों से जोड़कर माना जा रहा है. प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस अजय कुमार लल्लू के अनुसार, प्रियंका प्रत्येक दिन उत्तर प्रदेश के किसी न किसी जिले में कार्यकताओं से फोन पर बात करती हैं और पार्टी के मुद्दों पर चर्चा करती हैं. प्रियंका के पास करीब तीन हजार सदस्यों के फोन नम्बर हैं.
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यही नहीं, प्रियंका ने नए साल के मौके पर लाखों चिट्ठियों के जरिए लोगों से संपर्क साधा है. इस काम में उनकी स्पेशल चेन टीम ने सहयोग किया है. इन चिट्ठियों के जरिए प्रदेश के बुद्धजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, ग्राम प्रधानों, जिला पंचायत सदस्यों, पत्रकारों, लेखकों, महिला नेत्रियों, छात्र नेताओं, कर्मचारियों, कवि और पार्टी के पदाधिकारियों को नए साल की शुभकामनाएं भेजी गई हैं.
2017 के विधानसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस के महागठबंधन के बावजूद जिस तरह की कांग्रेस की दयनीय हालत हुई, उसके बाद कांग्रेस की सत्ता वापसी की संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी, लेकिन प्रियंका की जी तोड़ सक्रियता और उनकी टीम की मेहनत ने अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्ता वापसी की संभावनाओं को प्रबल कर दिया है. गौरतलब है कि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन को 403 में से केवल 54 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. ये तब था जब राहुल गांधी खुद वहां रोड शो करने पहुंचे थे. वहीं बीजेपी के खाते में 325 सीटे आईं थीं. यहां तक की बीते साल हुए आम चुनाव में अमेठी लोकसभा सीट से तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद भी चुनाव हार बैठे.
प्रियंका और उनकी टीम जिस तरह से यूपी में काम कर रही है और मुद्दों को उठाया जा रहा है, उससे साफ तौर पर कहा जा रहा है कि योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. प्रियंका की स्पेशल चेन की भूमिका और खुद कांग्रेस महासचिव के इतने अधिक सक्रियता से बसपा सुप्रीमो मायावती तक डरी हुई हैं. यही वजह है कि मायावती यूपी के साथ-साथ राजस्थान के मुद्दों पर भी सीएम अशोक गहलोत के साथ साथ प्रियंका गांधी पर भी हमला कर रही हैं. गहलोत पर बयानबाजी तो समझ आती है लेकिन प्रियंका पर हमला समझ से बाहर है. इसका तो सीधा सीधा मतलब यही निकलता है कि प्रियंका का यूपी में इस कदर सक्रिय होना मायावती को खटक रहा है और वो प्रियंका का ध्यान यूपी की राजनीति से हटाना चाह रही हैं.
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इसकी एक गहरी वजह यह है कि, प्रियंका एंड कंपनी की मदद से कांग्रेस यूपी में हर वर्ग के वोट साधने के प्रयास में है. कांग्रेस ब्राह्मण परिवारों के साथ दलित वर्ग के वोटों में भी अंदरूनी सेंध लगाने की पूरजोर कोशिश में है और यही मायावती से सहन नहीं हो रहा. पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद यहां कांग्रेस का सबसे बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं और वे भी लगातार सक्रिय हैं. हाल में 4 जनवरी को प्रयागराज में ब्राह्मण परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के बाद परिवार से मिलने कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी पहुंचे. प्रियंका ने भी मैनपुरी कांड में खासी सक्रियता दिखाई. यही नहीं, प्रियंका के पत्र लिखने के बाद सरकार हरकत में आई और पुलिस अमले पर कार्रवाई हुई.
इस तरह प्रियंका एंड कंपनी की ये सक्रियता योगी सरकार के साथ-साथ अन्य दलों के लिए भी परेशानियां बढ़ाने का काम कर रही है. इतनी सक्रियता के बाद सियासी गलियारों में हलचल काफी तेज है कि आगामी 2022 के यूपी विधानसभा चुनावों में प्रियंका गांधी को मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर उतारा जाएगा. अगर ऐसा है तो योगी ही नहीं बल्कि बीजेपी और बसपा के साथ कभी यूपी पर एकछत्र राज करने वाली सपा खेमे में भी खलमची मचना तय है. प्रियंका धीरे धीरे यूपी में लोकप्रिय चेहरा बनती जा रही है. ऐसे में कांग्रेस और उनकी टीम भी अपने कोशिशों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.