राहुल गांधी ने किया ‘भारत बंद’ का समर्थन, मोदी सरकार पर साधा निशाना

सरकार की जनविरोधी के खिलाफ 10 मजदूर संगठनों ने किया देशव्यापी हड़ताल का आव्हान, 249 किसान संगठन, 6 बैंक यूनियंस और 80 विद्यार्थी संगठनों ने भी दिया बंद को समर्थन

पॉलिटॉक्स ब्यूरो. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लेफ्ट समेत 10 मजदूर संगठनों के बुधवार को ‘भारत बंद’ का समर्थन किया है. एक ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (पीएसयू) को कमजोर करने का आरोप लगाया है. राष्ट्रव्यापी हड़ताल में 25 करोड़ लोगों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है. हालांकि सुबह बंद का असर कम था लेकिन सूरज चढ़ने के साथ साथ हड़ताल का असर दिखने लगा है.

वहीं ट्वीट में वायनाड सांसद राहुल गांधी ने लिखा, ‘मोदी-शाह सरकार की जनविरोधी, श्रमिक विरोधी नीतियों ने भयावह बेरोजगारी पैदा की है और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को कमजोर किया जा रहा है, ताकि इन्हें मोदी के पूंजीपति मित्रों को बेचने को सही ठहराया जा सके. आज 25 करोड़ कामगारों ने इसके विरोध में भारत बंद बुलाया है. मैं उन्हें सलाम करता हूं’.

बता दें, आज हड़ताली समर्थकों ने 16 मांगों को लेकर रैलियां निकालीं जिसमें आंदोलन में बैंकिंग, कोयला, तेल, डिफेंस, पब्लिक सेक्टर और ट्रांसपोर्ट क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हुए. बंद का असर बंगाल में ज्यादा देखने को मिला. यहां उत्तर 24 परगना जिले में सड़कों और रेलवे पटरियों को रोक दिया. हालांकि, पुलिस ने तत्काल वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए उन्हें हटा दिया. बंगाल के कांचरापाड़ा में प्रदर्शनकारियों के ट्रैक बंद कर रेल रोकने की सूचना मिली है. वहीं सिलीगुड़ी में सुरक्षा के चलते ड्राइवरों ने हेलमेट पहनकर बस चलाई. मुंबई में भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कर्मचारियों ने भारत पेट्रोलियम में विनिवेश के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया. वहीं, चेन्नई में माउंट रोड पर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया. हरियाणा, पंजाब और केरल में भी हड़ताल का असर देखने को मिला.

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भारत बंद को भारतीय व्यापार संघ, ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), स्व-रोजगार महिला संघ, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन शामिल हैं। इसके अलावा (एलपीएफ), यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) और ट्रेड यूनियन कोऑर्डिनेशन सेंटर ने समर्थन दिया है. 6 बैंक यूनियंस ने भी हड़ताल का समर्थन किया है, जिसके कारण बैंकिंग कामकाज पर असर हुआ. महाराष्ट्र में शिवसेना ने भी ट्रेड यूनियन के भारत बंद को समर्थन दिया. उप्र में जेईई मेन 2020, यूपी टीईटी 2019 और आईसीएआर नेट 2020 प्रवेश परीक्षाएं भी प्रभावित हुईं. देशभर में 249 किसान संगठन और 80 विद्यार्थी संगठनों ने इस बंद को समर्थन दिया.

कर्मचारियों की ये हैं मांगें

  • सभी के लिए न्यूनतम वेतन 21 हजार प्रति माह से कम न हो और इसे मूल्य सूचकांक से जोड़ा जाए.
  • स्थायी/ बाहर मासी कामों के लिए ठेका प्रथा बंद हो। ठेका / संविदा / आउटसोर्सिंग कर्मचारी, जो नियमित कर्मचारी का कार्य कर रहे हैं, उन्हें नियमित किया जाए. जब तक उन्हें नियमित नहीं किया जाता नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन भत्ता दिया जाए.
  • बोनस और और प्रोविडेंट फंड की अदायगी पर से सभी बाध्‍यता सीमा हटायी जाए. ग्रेच्‍युटी का भुगतान 45 दिन प्रतिवर्ष के हिसाब से किया जाए.
  • सबके लिए पेंशन सुनिश्चित किया जाए. ईपीएफओ द्वारा सभी को एक हजार की जगह कम से कम दस हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाए.
  • केंद्रिय राज्‍य सरकार के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन नीति को बहाल किया जाए. केंद्र व राज्‍य कर्मचारियों को एक समान वेतन व भत्‍ते दिए जाए.
  • रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाया जाए. केंद्र व राज्‍य सरकार के रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती किया जाए.
  • नियमित प्रकृति के कार्यों में कार्यरत सभी उद्योग के संविदा आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को नियमित किया जाए और कार्य के आधार पर आवश्यकतानुसार नई भर्ती की जाए, ताकि बेरोजगारी दूर हो. स्थाई प्रकृति के काम पर स्थाई कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए.
  • महंगाई पर रोक लगाने के लिए योजना बनाई जाए. सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत किया जाए एवं खाद्य पदार्थों पर वायदा कारोबार पर रोक लगाई जाए.
  • श्रम कानून को सख्ती से लागू किया जाए. श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी संशोधनों को वापस किया जाए. असंगठित क्षेत्र के लिए मजदूरों के लिए क्षेत्र के मजदूरों के लिए सर्वव्यापी सर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा कानून बनाया जाए एवं राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा कोष का निर्माण किया जाए.

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