पॉलिटॉक्स ब्यूरो. राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनियां ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की जयपुर यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रियंका गांधी यहां कांग्रेस नेता के बेटे के निकाह में शामिल होकर चली गईं. कोटा में जिन माताओं ने अपने नवजात बच्चों को खोया है उनसे मिलती तो अच्छा होता. जिनकी कोख गहलोत सरकार की लापरवाही से उजड़ गई. प्रियंका गांधी को ऐसे परिवारों से मिलकर ढांढस बंधाना चाहिए था जिनके आंसू अभी सुखे भी नहीं थे. लेकिन वो केवल जयपुर आकर ही वापस दिल्ली चली गई. दरअसल प्रियंका गांधी शुक्रवार को एआईसीसी सचिव जुबेर खान के पुत्र के निकाह में शामिल होने अल्प समय के लिए जयपुर आईं थीं.
यह ठीक है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने प्रियंका गांधी के जयपुर आने और कोटा में मृतक बच्चों के परिजनों से मिलने नहीं जाने पर सवाल उठाया, लेकिन अगर यही सवाल सतीश पूनियां से पूछा जाये कि 3 जनवरी को CAA के समर्थन में सभा को सम्बोधित करने देश के गृह मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह जोधपुर आये और कोटा मामले पर केवल बयानबाजी करते हुए सीएम गहलोत पर निशाना साध कर चल दिये. क्या कोटा के पीड़ित परिजनों को ढांढस बंधाने का श्रम देश के गृहमंत्री और विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के अध्यक्ष को नहीं करना चाहिए था. जबकि उस समय कोटा अस्पताल का यह ज्वलंत मुद्दा देशभर में सुर्खियां में था.
वहीं प्रियंका गांधी पर सवाल उठाते समय सतीश पूनियां जी यह भी भूल गए शायद कि अमित शाह के बाद 5 जनवरी को देश की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भी CAA के समर्थन में घर-घर जन जागरण अभियान के तहत जयपुर आईं थीं. क्या वित्तमंत्री जी को भी कोटा जाने की फुर्सत नहीं थी? चलो मान लेते हैं उनके पास भी बहुत सी जिम्मेदारियां हो सकती हैं इसलिए जाने की फुर्सत नहीं रही होगी, लेकिन आप अपना ये घर-घर जन जागरण अभियान का प्रोग्राम जयपुर के बजाए कोटा में ही रख लेते तो वो जब कोटा जातीं तो दोनों काम हो सकते थे. हां लेकिन कोटा मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी करने में उन्होंने भी चूक नहीं की और प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर हुई पत्रकार वार्ता में इस मुददे को लेकर गहलोत सरकार पर अपने शब्द बाण जरूर छोड़े.
इसके साथ ही अमित शाह के जोधपुर दौरे के समय प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में टिड्डी दलों के हमले से हजारों किसानों की फसलें चौपट होने का मुद्दा भी जबरदस्त सुर्खियों में था तो क्या अमित शाह को इस मुद्दे पर किसानों के लिए कोई बड़ी घोषणा या कम से कम सहानुभूति के दो शब्द नहीं बोलने चाहिए थे, जबकि फसलों से सम्बंधित एनडीआरएफ विभाग केंद्र सरकार के अधीन आता है और अमित शाह खुद उसके मुखिया हैं. और अगर किसानों के आंसू पौंछनें के लिए थोड़ा सा वक़्त देश के गृहमंत्री निकाल पाते तो फिर बात ही क्या थी. जबकि CAA समर्थित इस सभा में प्रदेश से तीनों केन्द्रीय मंत्री सहित प्रदेश के सभी बड़े नेता मौजूद थे और पूनियां का यह कहना कि मैंने खुद शाह को किसानों की फसल खराब के बारे में बताया था और उन्होंने उसी समय मंत्रियों को आदेश दिया इस बारे में, तो यह बात इसलिए मानने में नहीं आती की अमित शाह जैसा राजनीति का चाणक्य इतने सवेंदनशील मुद्दे पर कुछ आदेश देंऔर उस पर सभा में उपस्थित जनसमूह से तालियां बटोरे बिना चले जाएं.
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आपको बताते है कि आखिर क्यों सतीश पूनियां ने प्रियंका गांधी की जयपुर यात्रा पर सवाल उठाए, दरअसल पूनियां ने सवाल नहीं उठाए बल्कि उन्होंने हिसाब बराबर किया है क्योंकि की जब 3 जनवरी को अमित शाह ने जोधपुर की सभा में टिड्डी दलों के हमले से हुए फसल खराबे पर कोई बात नहीं बोली तो इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सवाल उठाए की प्रदेश का किसान परेशान है और देश के गृहमन्त्री जोधपुर आए लेकिन किसानों की चौपट हुई फसलों पर एक शब्द भी नहीं बोले जबकि अमित शाह एनडीआरएफ विभाग के मुखिया हैं. सीएम गहलोत ने एक नहीं बल्कि दो बार पत्रकारों के बीच इस मुद्दे को लेकर अमित शाह पर निशाना साधा.
सीएम अशोक गहलोत के भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर किए गये सवालों का भाजपा के पास कोई माकूल जवाब उस समय नहीं था. अब जब प्रियंका गांधी जयपुर आईं और कांग्रेस नेता के पुत्र के निकाह में शामिल होकर ही वापस चली गयीं तो भाजपा नेताओं को जवाब भी मिल गया ओर एक मुददा भी, इसीलिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पूनियां ने आज अपने अजमेर दौरे के दौरान प्रियंका गांधी की निजी यात्रा को कोटा मामले से जोड़ते हुए अपना हिसाब बराबर करने की कोशिश की है.
यह बात पॉलिटॉक्स अपने मन से नहीं कह रहा है बल्कि प्रियंका गांधी की जयपुर यात्रा पर सवाल उठाते हुए खुद सतीश पूनियां ने अपने बयान में आगे बताया कि देश के गृहमंत्री जब जोधपुर दौरे पर आए थे तो मुख्यमंत्री गहलोत ने उन पर अनर्गल बयानबाज़ी की थी. जबकि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जोधपुर रैली में आए थे तब उन्हें खुद मैंने टिड्डी दलों के हमले की पूरी जानकारी दी थी. गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत इस विषय पर संज्ञान लेते हुए राजस्थान से केंद्रीय सरकार के तीनों मंत्री को इस पर कार्य करने के लिए कहा था.
वहीं पूनियां ने इसी के साथ ही केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के जयपुर दौरे पर भी सफाई देते हुए कहा कि जब वित्तमंत्री जयपुर दौरे पर आईं तो उन्हें इस पूरे विषय की जानकारी दी गई थी और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा से इस संबंध में फोन के माध्यम से बात की थी. मैंने भी दिल्ली जाकर इस संबंध में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रकाश जावड़ेकर, नित्यानंद रॉय, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी, अर्जुन राम मेघवाल से मुलाकात की थी. जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री पीड़ित किसानों के बीच केवल घूम कर, उनकी जेब टटोल के आ जाते हैं. राजस्थान की कांग्रेस सरकार किसानों के हित की बात तो करती है, लेकिन केवल झूठे वादे करके उनका वोट लेना चाहती है.
अब यहां कौन सही है और कौन गलत ये हम पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं लेकिन हमारा प्रयास है कि इस तरह के सवेंदनशील मुद्दों पर राजनीतिक छींटाकशी के बजाए अगर दोनों राजनीतिक पार्टियां किसानों और गरीबों के आंसू पौंछते हुए उनकी भलाई के कामों में जुट जाएं तो प्रदेश की साख भी बनी रहे और विकास भी अनवरत चलता रहे.