विस चुनावों से पहले शिकायतों की राजनीति! कर्नाटक में शाह तो मप्र में दिग्गी राजा की बढ़ी मुश्किलें

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री भूपेन्द्र सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा पर भी दर्ज हैं मानहानि से जुड़े मामले, राहुल गांधी की सदस्यता जाने वाले फैसले के बाद पलटवार की कोशिशों में कांग्रेस

congress on amit shah
congress on amit shah

Politics of grievances before elections: राहुल गांधी के मानहानि के एक मामले में दोषी साबित होने और उसके बाद लोकसभा सदस्यता जाने के बाद शिकायत और मानहानि के मामले दर्ज कराने की राजनीति ने जल्दी जल्दी पैर पसारे हैं. चूंकि इस साल आधा दर्जन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते जनता का ध्यान भटकाने या ध्यान भंग करने के लिए मानहानि जैसे मामले दर्ज कराए जा रहे हैं. इनमें से अधिकांश चुनावी रैलियों में मंच से दिए गए हैं. राहुल गांधी के मोदी सरनेम मानहानि मामले में दोषी साबित होने के बाद बीजेपी हर किसी के बयान पर मानहानि मामला दर्ज करा रही है, वहीं कांग्रेस भी इस हथियार को आजमाने की कोशिश कर रही है. हाल में बीजेपी ने जहां मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद दिग्गविजय सिंह पर मानहानि का मामला दर्ज कराया है, वहीं कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कर्नाटक में अमित शाह की रैली के दौरान विरोधाभाषी टिप्पणी को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है.

शुरूआत करते हैं दिग्गी राजा से, जहां बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कोर्ट में दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है. इस मामले को लेकर अगली सुनवाई 1 जुलाई को होगी. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा पर व्यापम मामले आरोप लगाने के बाद सिंह पर मानहानि का मामला दर्ज कराया गया था. इस मामले में दिग्विजय सिंह पर आरोप तय हो गए हैं और दिग्गी राजा आईपीसी की धारा 500 के तहत घिर गए हैं. ये वही धारा है जिसके तहत राहुल गांधी घिरे थे. सियासी गलियारों में माना जा रहा है कि राहुल गांधी की तरह दिग्गी राजा की राज्यसभा सदस्यता रद्द हो सकती है. अगर ऐसा होता है तो आगामी मध्यप्रदेश विस चुनावों में कांग्रेस को एक जोर का झटका लगेगा जिससे कांग्रेस या पूर्व सीएम कमलनाथ उबर नहीं पाएंगे और पार्टी को नुकसान होगा. वहीं इसको लेकर प्रदेश की सियासत भी गर्माने लगी है.

यह भी पढ़ेंः  किसान सम्मेलन में मोदी सरकार पर गरजे CM गहलोत, कहा- देश में लोकतंत्र और संविधान हैं खतरे में

इसी कड़ी में कांग्रेस ने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक में अमित शाह के खिलाफ शिकायत दी है. कांग्रेस ने शाह के खिलाफ भड़काऊ बयान देने का आरोप लगाया है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि शाह भड़काऊ बयान देने के अलावा लोगों में दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं. शाह पर विपक्ष को बदनाम करने का भी आरोप लगाया गया है. कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला, डॉक्टर परमेश्वर और डीके शिवकुमार ने थाने पहुंचकर गृह मंत्री के खिलाफ शिकायत की.

चुनाव आयोग को की गई शिकायत में कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि अमित शाह ने कहा था कि अगर कर्नाटक में कांग्रेस सत्ता में आई तो सांप्रदायिक अधिकार होंगे. वह यह कैसे कह सकते हैं. हमने उनके खिलाफ चुनाव आयोग के पास भी शिकायत दर्ज कराई है.

वहीं, कांग्रेस के कर्नाटक प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि हमने शाह के खिलाफ शिकायत दी है और कार्रवाई की मांग की है. वह कांग्रेस को बदनाम कर रहे हैं. शाह विभिन्न वर्गों और धर्मों के बीच नफरत फैला रहे हैं. साथ ही वह कर्नाटक के शांतिपूर्ण राज्य की सद्भावना को भंग करले, भ्रष्ट आचरण और जानबूझकर गलत बयान दे रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः  सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अटकी निगाहें! क्या सच में शिंदे सरकार के लिए साबित होगा डेथ वारंट?

दूसरी ओर, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री भूपेन्द्र सिंह और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा की मुश्किलें भी मानहानि के मामले में बढ़ सकती हैं. राज्यसभा सदस्य और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा द्वारा इन सभी बीजेपी नेताओं पर दायर 10 करोड़ की मानहानि के मुकदमे पर 29 अप्रैल को यानी दो दिन बाद न्यायालीन कार्यवाही शुरू हो रही है.

मानहानि के इस मामले में तंखा के पक्ष में पैरवी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल कोर्ट में हाजिर रहेंगे. पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने का आदेश आने के बाद बीजेपी नेताओं ने तंखा को ओबीसी विरोधी नेता बताया था. बता दें साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी. इस दौरान विवेक तंखा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन और परिसीमन को लेकर पैरवी की थी.

मानहानि मामले में राहुल गांधी की सांसदी जाने के बाद यह हथियार अब पहले से कहीं मजबूत और कहीं ज्यादा धारदार नजर आने लगा है. अगर आरोप साबित हो गए तो कुर्सी जा सकती है. ऐसे में बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस भी इस हथियार का सोच समझकर उपयोग कर रही है. विधानसभा चुनावी साल होने के चलते अब कई राज्यों में इस तरह की शिकायतें देखने को मिलेंगी. हालांकि इन मानहानि के मामलों में कितने बीजेपी नेताओं को सजा होगी और कितनों की कुर्सी जाएगी, ये देखने वाली बात होगी.

Leave a Reply