वल्लभनगर-धरियावद में सियासी ‘तड़का’, कांग्रेस-भाजपा की मुश्किलें बढ़ाएंगी BTP, RLP व जनता सेना

वल्लभनगर और धरियावद उपचुनाव का घमासान हुआ तेज, BJP-कांग्रेस के गले की फांस बनने जा रही BTP और RLP, वल्लभनगर में तो जनता सेना के भिंडर ने ठोकी ताल, बड़े दलों के समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में छोटे दल, गियर चेंज कर बदलने पड़ सकते हैं समीकरण, बीटीपी को बढ़ाना है प्रभाव तो RLP आदिवासी अंचल में देना चाहती है दस्तक, वल्लभनगर में जनता सेना के उतरने से कटारिया दिखे 'खुश', बुजुर्ग नेता की जान में आई जान लेकिन भाजपा का समीकरण बिगड़ना तय!

वल्लभनगर-धरियावद उपचुनाव में सियासी तकड़ा
वल्लभनगर-धरियावद उपचुनाव में सियासी तकड़ा

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के उदयपुर जिले की वल्लभनगर और प्रतापगढ़ की धरियावद विधानसभा सीट के लिये होने जा रहे उपचुनाव का घमासान चरम पर है. बीजेपी और कांग्रेस में जहां टिकट को लेकर माथापच्ची और खींचतान जारी है वहीं आदिवासी समुदाय की भारतीय ट्राइबल पार्टी और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने भी ताल ठोक दी है. बीटीपी और आरएलपी दोनों ही पार्टियों ने बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने की तैयारी कर ली है तो वल्लभनगर में जनता सेना के रणधीर सिंह भींडर ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. यहां सबसे बड़ी बात यह है दोनों ही सीटें आदिवासी अंचल की है और इस ट्राइबल बेल्ट में बीटीपी का अच्छा खासा प्रभाव है. बीटीपी ने 2018 में पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और दो सीटों पर जीत दर्ज करायी थी. जबकि रालोपा यहां राजनीतिक जमीन की तलाश कर रही है. तो वहीं जनता सेना के प्रत्याशी भींडर तो भाजपा से ज्यादा वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे थे. ऐसे में इन अब दोनों सीटों पर रोचक मुकाबला होने की पूरी संभावना बन गई है.

अपना प्रभाव बढ़ाने की फिराक में भारतीय ट्राइबल पार्टी
आपको बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राइबल पार्टी ने चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए आदिवासी क्षेत्र में 2 सीटें जीतीं थी. चौरासी से राजकुमार रोत और डूंगरपुर से रामप्रसाद डिंडोर ने पार्टी का झंडा गाड़ा था. ध्यान रहे ये दोनों वहीं विधायक हैं जो गहलोत सरकार पर आए सियासी संकट के दौरान ‘सारथी’ बने थे. पहली बार चुनाव में उतरी इस पार्टी ने दूसरी कुछ सीटों पर भी अच्छे वोट बटोरे थे. अब दो सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव के जरिए पार्टी अपना दायरा फैलाने का प्रयास करेगी. भारतीय ट्राइबल पार्टी दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. जिन दोनों सीटों पर उपचुनाव होने हैं वो दोनों ही सीटें आदिवासी क्षेत्र की है. इस आदिवासी क्षेत्र में बीटीपी का अच्छा खासा प्रभाव है. वल्लभनगर में बीटीपी पहली बार चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारेगी जबकि धरिवायद सीट पर उसने पिछले विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारा था. हालांकि धरियावद सीट पर पार्टी प्रत्याशी को 2.27 प्रतिशत वोट ही मिले थे लेकिन अब पार्टी को लगता है कि उपचुनाव में वह अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. भारतीय ट्राइबल पार्टी भले ही खुद जीतने की स्थिति में नहीं हो लेकिन वह बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने में समक्ष है. खासतौर से कांग्रेस को बीटीपी के चुनाव में उतरने का नुकसान होगा.

आदिवासी अंचल में दस्तक देने की तैयारी में ‘उत्साही’ RLP

प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद के उपचुनाव साथ ही पंचायतीराज चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाली नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हौसले भी बुलंद हैं. हनुमान बेनीवाल ने इस उपचुनाव के जरिए आदिवासी अंचल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का प्रयास करेगी. RLP ने दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दिया है. हालांकि राजनीति के जानकारों की माने तो बीटीपी और रालोपा दोनों ही दल फिलहाल क्षेत्र में अपने समीकरणों को समझने में लगे हैं और जल्द ही प्रत्याशियों का ऐलान किया जाएगा. बीटीपी जहां आदिवासी क्षेत्र होने के चलते अपना दबदबा कायम करने के सपने संजो रही है तो आरएलपी नए क्षेत्र में अपनी दस्तक देना चाहती है. इन दलों के दखल से बीजेपी-कांग्रेस समीकरण बिगड़ सकते हैं.

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वल्लभनगर में जनता सेना से भिंडर ने ठोकी
ताल

इधर वल्लभनगर में जनता सेना ने उपचुनाव में उतरने का ऐलान कर दिया है. उदयपुर में हुई पार्टी की बैठक के बाद पार्टी के कर्ता धर्ता और पूर्व सीएम मैडम राजे के खास सिपहसालार माने जाने वाले रणधीर सिंह भींडर ने 8 अक्टूबर को पर्चा भरने का ऐलान कर दिया है. रणधीर सिंह भीण्डर ने घोषणा की है कि वह जनता सेना से ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं और आगामी आठ अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे. वहीं आपको रोचक जानकारी दे दें कि भींडर की पत्नी दीपेंद्र कुंवर भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष हैं. भींडर को लेकर कटारिया पहले कह चुके हैं कि इन्हें टिकट दिया जाता है तो पहले मुझे पार्टी से निकाला जाए. वहीं भींडर की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से दो बार मुलाकातों ने भाजपा का सियासी पारा हाई कर दिया था.

भाजपा के टिकट पर लड़ने की थी अटकलें

भींडर के चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही उनके भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकलों को विराम लग गया है. हालही में जयपुर में हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में वल्लभनगर के पूर्व विधायक एवं जनता सेना के मुखिया रणधीर सिंह भींडर को टिकट देने को लेकर हुई चर्चा के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि भाजपा उन्हें टिकट दे सकती है. लेकिन खुद भींडर ने आगे आकर घोषणा की है कि वह जनता सेना से ही चुनाव लड़ने जा रहे हैं और आगामी आठ अक्टूबर को अपना नामांकन दाखिल करेंगे.

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भींडर और शक्तावत परिवार का दबदबा रहा है वल्लभनगर में

वल्लभनगर का चुनाव गणित आपको बताएं तो यहां रणधीर सिंह भींडर और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे गुलाबसिंह शक्तावत, इन दो राजनीतिक घरानों के पास ही सत्ता की चाबी रही है. पिछले चार दशक के परिणाम देखे जाएं तो दो बार रणधीर सिंह भींडर विधायक रहे, जबकि सात बार शक्तावत परिवार के सदस्य. भींडर शुरू से भाजपा नेता थे लेकिन मेवाड़ में भाजपा के दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया से अदावत के चलते उन्हें भाजपा छोड़नी पड़ी. जिसका परिणाम यह रहा कि वल्लभनगर में भाजपा तीसरे नंबर पर खिसक गई. साल 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस और भींडर की गठित जनता सेना के बीच मुकाबला हुआ और भाजपा की जमानत जब्त हो गई. इसी तरह साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जनता सेना के बीच ही हुआ और इस बार भी भाजपा उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा. इस बार भी यही संभावना जताई जा रही है कि यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जनता सेना के बीच ही होगा. इससे भाजपा मुश्किल में है कि वह ऐसे किस उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतारें जो जीत दर्ज कर सके. इसी के चलते अंदरखाने यह चर्चा भी थी कि यदि भाजपा को यहां चुनाव जीतना है तो उन्हें रणधीर सिंह भींडर को फिर से पार्टी में शामिल करने के साथ टिकट देना होगा.

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