Politalks.News/Delhi. क्या कांग्रेस चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपने दल में शामिल करना चाहती है? या खुद प्रशांत किशोर भारत की सबसे पुरानी पार्टी के साथ अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने के मूड में हैं? पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों में सरकार बनवाने वाले प्रख्यात चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने की संभावनाओं पर पिछले काफी दिनों से सियासी चर्चाएं तेज हैं. हाल ही में प्रशांत किशोर की कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के बाद इन अटकलों को काफी बल मिला है. हालांकि वह अपनी ओर से इन अटकलों पर विराम लगाते नजर आए हैं. अब कांग्रेस सूत्रों का दावा कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. सूत्रों की मानें तो इसको लेकर राहुल गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से राय भी मांगी है.
हालांकि कांग्रेस इस बारे में कुछ बोलने से अब तक बचती दिखाई दे रही है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक खबर के अनुसार अब पार्टी के अंदर इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई है. पार्टी में इस मामले से जुड़े तीन लोगों ने बताया है कि 22 जुलाई को राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में इस मामले पर चर्चा की गई थी. बताया गया है कि इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शामिल थे. इनमें एके एंटनी, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, कमलनाथ और अंबिका सोनी सहित और भी नेता मौजूद थे.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर सभी प्रशांत किशोर के नाम को लेकर मान जाते हैं तो कांग्रेस में उन्हें महासचिव (अभियान प्रबंधन) के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. साथ ही ये भी दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर ने बीती 15 जुलाई को कांग्रेस को आगे बढ़ाने के लिए गांधी परिवार के सामने एक प्रेजेंटेशन भी दिया था.
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जानकारी दी गई है कि 22 जुलाई को राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक का मकसद यह जानना था कि प्रशांत किशोर के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता क्या राय रखते हैं. एक कांग्रेस नेता का यहां तक दावा है कि पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अगले कुछ दिनों में इस मामले पर अंतिम निर्णय ले सकते हैं. इसीलिए उन्होंने पहले कांग्रेस के नेताओं से राय मांगी है.
बैठक में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ नेता ने पॉलिटॉक्स को बताया कि, ‘राहुल गांधी ने प्रशांत किशोर के पार्टी में शामिल होने पर भी चर्चा की, यानी सिर्फ एडवाइज़र ना होकर बल्कि एक पार्टी सदस्य के रूप में काम करने को लेकर. बैठक में इस कदम के नफे-नुकसान को भी मापा गया है. बैठक से जो निष्कर्ष सामने आया है, उसके मुताबिक प्रशांत किशोर का पार्टी में आना फायदेमंद हो सकता है लेकिन उनका रोल तय होना चाहिए. जदयू के साथ रहे पीके के सफर को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अपने यहां उनके रोल पर कुछ बाउंड्री तय कर सकती है. बैठक में शामिल एक अन्य नेता के मुताबिक, ‘ये वो वक्त है जब नए आइडिया, रणनीति लाई जानी चाहिए. अगर प्रशांत किशोर को पार्टी में लाया जाता है, तो कोई नुकसान नहीं होगा, वह कैसे आएंगे इसपर चर्चा की जा सकती है. कांग्रेस के पास काफी टैलेंट है, अगर बेहतरी के लिए कुछ बदलाव होता है तो हमें सीखना चाहिए’.
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कांग्रेस नेता का यह भी कहना है कि ‘हम इस बात को लेकर आशांवित हैं. क्योंकि प्रशांत किशोर यह कह चुके हैं कि बिना कांग्रेस के बीजेपी को हराना संभव नहीं है’. वहीं एक अन्य नेता ने बताया है कि 22 जुलाई को बैठक में नेताओं से पूछा गया था कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर वे क्या सोचते हैं. इस पर अधिकांश नेताओं का कहना था कि यह विचार बुरा नहीं है. यानी कि नेताओं की ओर से इस पर हामी भरी गई थी.
पीके ने कांग्रेस को दिए हैं कई अहम सुझाव
प्रशांत किशोर ने कहा है कि, ‘उन्हें कांग्रेस की बैठक के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बता दें कि 15 जुलाई को प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी के साथ किशोर की मुलाकात और राष्ट्रीय पार्टी को आकार देने में उनकी संभावित भूमिका की सूचना दी थी. प्रशांत किशोर द्वारा दिए गए प्रस्तावों में से एक यह है कि राहुल गांधी को नए कांग्रेस संसदीय बोर्ड का नेतृत्व करना चाहिए. बता दें कि जी-23 समूह ने भी इसी बोर्ड की मांग की थी, जो प्रमुख मुद्दों पर पार्टी के रुख पर विचार करेगा. माना जाता है कि पार्टी में बदलाव के सुझावों के अलावा, प्रशांत किशोर की योजनाओं में भाजपा के खिलाफ एक संभावित संयुक्त मोर्चा बनाने का विवरण भी शामिल है, जिसकी शुरुआत 2022 के राष्ट्रपति चुनावों में एक आम विपक्षी उम्मीदवार को स्वीकार करने के साथ हो सकती है इसमें एनसीपी नेता शरद पवार के नाम का उल्लेख किया गया था. बता दें कि प्रशांत किशोर शरद पवार से पिछले महीने में तीन बार मिल चुके हैं.
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जदयू में एक सियासी पारी खेल चुके हैं प्रशांत
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर के कांग्रेस में शामिल होने से पार्टी को एक महत्वपूर्ण रणनीतिकार मिल जाएगा. बता दें कि किशोर इससे पहले जदयू में शामिल हुए थे और उनका सफर काफी मुश्किल भरा रहा था. मगर यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कांग्रेस को कैसे नया आकार दे सकते हैं और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उन्हें कैसे स्वीकार करेंगे, ये आने वाला समय ही बताएगा. आपको बता दें कि सितंबर 2018 में प्रशांत किशोर नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए थे. हालांकि, फरवरी 2020 में जदयू से नाता तोड़ने से पहले उन्होंने 2015 के बिहार चुनावों में पार्टी उपाध्यक्ष के रूप में काम किया था और जदयू के लिए चुनावी रणनीति भी बनाई थी.
लेकिन इस पूरी कवायद के बीच ये भी देखना जरुरी है कि पार्टी के ओल्डगार्ड प्रशांत किशोर के नए फॉर्मूलों को किस हद तक अपना पाते हैं. क्योंकि किसी भी परिस्थिति में प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री होती है तो वो चुपचाप बैठकर काम करने वाले तो हैं नहीं, दूसरा अगर उनके आइडियों पर कांग्रेस के नेताओं ने अमल नहीं किया तो उस स्थिति में क्या होगा. क्या प्रशांत का रोल रहने वाला है पार्टी में इस पर सभी की नजरें रहेंगी.