अलवर जिले के बहुचर्चित मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) केस पहलू खान हत्याकांड में एडीजे कोर्ट का बड़ा फैसला आया है. सेशन कोर्ट ने सभी 6 आरोपियों को बरी कर दिया है. जज सरिता स्वामी ने संदेश का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी करने का फैसला सुनाया. मामला 2017 का है. कोर्ट के फैसले के बाद पीड़ित पक्ष ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही.
गौरतबल है कि एक अप्रैल, 2017 को हरियाणा के नूह मेवात जिले के जयसिंहपुरा गांव निवासी पहलू खान अपने बेटों के साथ जयपुर के पशु हटवाड़ा से गौवंश लेकर अलवर जा रहा था. बहरोड़ में गौतस्करी के संदेह के चलते कुछ लोगों ने पहलू खान और उसके दोनों बेटों उमर व ताहिर की जमकर पिटाई की जिसमें पहलू खान गंभीर रूप से घायल हो गया. 4 अप्रैल को अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
मॉब लिंचिंग मामले में सीबीसीआईडी ने नामजद सुधीर यादव, हुकमचंद यादव, ओम यादव, नवीन शर्मा, राहुल सैनी और जगमाल सिंह सहित 6 व्यक्तियों को आरोपी नहीं माना था. उनकी जगह वीडियो फुटेज और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 9 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें दो नाबालिग भी शामिल हैं. पुलिस ने विपिन, रवींद्र, कालूराम, दयानंद, योगेश कुमार, दीपक गोलियां और भीमराठी के साथ दो नाबालिगों को भी आरोपी बनाया था. फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं.
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मामले में स्वामी ने कहा कि जो वीडियो अदालत में पेश किया गया है, उसमें आरोपियों का चेहरा साफ नहीं दिख रहा. वीडियो बनाने वाला शख्स भी अपने बयान से मुकर गया. ऐसे में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया जाए. मामले में पहलू खान के बेटों की गवाही को भी तवज्जो नहीं मिल पायी.
बता दें, राज्य में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए हाल में राजस्थान सरकार ने विधानसभा में मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग पर कठोर कानून वाले विधेयक को पास कराया है. अब राजस्थान मॉब लिचिंग कानून बनाने वाला मणिपुर के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है. राजस्थान में मॉब लिंचिंग की घटना में पीड़ित की मौत पर दोषियों को आजीवन कारावास और पांच लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 16 जुलाई को बजट भाषण के जवाब के दौरान मॉब लिंचिंग और ऑनर किलिंग को रोकने के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी.