बदले बदले से दिखाई दिए महाराज के तेवर, बोले- पार्टी विरोधी गतिविधि में कभी नहीं रहा शामिल

पार्टी से निलंबन खत्म होते ही बदले विश्वेंद्र सिंह के विरोधी बोल, लीडरशिप चेंज करने की मांग से किया इनकार, कहा- नहीं था सरकार गिराने का मकसद, मुख्यमंत्री गहलोत को बताया लीडर

Vishvendra Singh
Vishvendra Singh

PoliTalks.news/Rajasthan. गहलोत सरकार में मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह का निलंबन आज खत्म हो गया है. उनके साथ विधायक भंवरलाल शर्मा का निलंबन भी समाप्त कर दिया गया. इसके तुरंत बाद जनाब विश्वेंद्र सिंह के तेवर काफी कुछ बदले हुए दिखाए दे रहे हैं. एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में विश्वेंद्र सिंह ने कहा ‘मैं वफादार कांग्रेसी हूं और अशोक गहलोत परिवार के मुखिया हैं.’ यहां तक की विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे द्वारा लीडरशिप चेंज की कोई मांग नहीं थी. हम तो केवल कांग्रेस लीडरशिप को समस्या से अवगत कराना चाहते थे. उन्होंने यह भी कहा कि रचनात्मक आलोचना को सही तरीके से लिया जाना चाहिए.

वर्तमान सरकार में मंत्री रहे विश्वेंद्र सिंह (Vishvendra Singh) का कहना है कि उनका मकसद अशोक गहलोत सरकार को गिराना नहीं था. वे पार्टी हाईकमान के सामने अपनी बात रखना चाहते थे. उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान की ओर से मिलने में हुई देरी के कारण हम इतने समय तक दिल्ली में डेरा डाले रहे. विश्वेंद्र ने ‘मैं कांग्रेसी हूं और अशोक गहलोत हमारे नेता हैं’ की बात भी दोहराई. उन्होंने कहा कि मैं पार्टी विरोधी गतिविधियों में कभी शामिल नहीं रहा.

राजस्थान में लीडरशिप में परिवर्तन के बारे में विश्वेंद्र ने कहा कि लीडरशिप चेंज की कोई मांग नहीं थी. केवल कांग्रेस लीडरशिप को समस्या से अवगत कराना था और हम इसे लेकर हाईकमान से मिलना चाहते थे. भाजपा से नजदीकियों के आरोपों पर विश्वेंद्र ने कहा कि अगर हमारी भाजपा से नजदीकियां होतीं तो आज हम जयपुर में नहीं होते. हम जयपुर में हैं लेकिन आप अन्य विधायकों के बारे में पूछेंगे तो उनके बारे में मुझे नहीं पता. उन्होंने कहा कि भंवरलाल शर्मा एक दिन पहले ही जयपुर लौट आए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिले. इससे साफ जाहिर होता है कि हम किसी कैंप में नहीं थे जैसा कि आरोप लगाए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें: सचिन पायलट खेमे की वापसी का राज – गांधी परिवार के बड़े वफ़ादार केसी वेणुगोपाल के पास

राजस्थान कांग्रेस में दो गुटों के बारे में विश्वेंद्र ने कहा कि मेरी दृष्टि में कोई कैंप नहीं है. गहलोत मुख्यमंत्री हैं और परिवार के मुखिया हैं. वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं और हम उनका समर्थन करते हैं लेकिन, रचनात्मक आलोचना को सही तरीके से लिया जाना चाहिए.

विश्वेंद्र सिंह ने राजस्थान के सियासी पटल पर उभरी इस तकरार की वजह पार्टी एवं सरकार के बीच संवादहीनता को बताया. कांग्रेसी विधायक ने कहा कि पार्टी और सरकार के बीच किसी तरह का कोई संवाद नहीं होने के कारण समस्या शुरू हुई. सचिन पायलट जहां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम थे, वहीं मैं कैबिनेट मंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष था. हम दोनों ही सरकार और पार्टी में शामिल थे. पार्टी और सरकार में कोई संवाद नहीं होने के कारण चुनाव में जनता से किए गए वादे पूरे नहीं हो पा रहे थे. इसे हम हाईकमान के ध्यान में लाना चाहते थे, जैसा कि हमने किया.

बता दें कि विश्वेंद्र सिंह पायलट गुट के नेता हैं और उन 19 बागी विधायकों में से एक हैं जो गहलोत खेमा छोड़ मानेसर होटल में चले गए थे और सोशल मीडिया पर तीखे तीर चला रहे थे. अपने प्रवासकाल के दौरान विश्वेंद्र सिंह ने ट्वीट कर कहा था, ‘मुख्यमंत्री जी यदि आप पिछले 18माह में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं, प्रदेश की जनता के कामकरते जो आज आप 5 स्टार होटल में बैठकर कर रहे हो, तो ना प्रदेश की जनता विरोध करती, ना सरकार अल्पमत में होती, ना हम दिल्ली आते.’

11

यह भी पढ़ें: मानेसर से राहुल गांधी के घर का सफर पूरा करने में लगे 32 दिन? क्या सचिन पायलट देंगे जवाब?

वहीं एक अन्य ट्वीट में विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि आज जब सरकार अल्पमत में है तब आपने पर्यटन विभाग के कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान दिया, काश यह काम आप थोड़ा पहले कर देते गहलोत जी, तो ना यह सरकार अल्पमत में होती ना हमें दिल्ली आना पड़ता.’

22

Leave a Reply