विपक्षी एकता की खुली पोल! TMC का दावा- राहुल फेल, ममता हैं विकल्प, बेइज्जती से झल्लाई कांग्रेस

विपक्षी एकता के दावों की खुली पोल!, मोदी का विकल्प राहुल नहीं ममता!, तृणमूल कांग्रेस ने मुखपत्र में दावा ठोका, कहा- राहुल फेल हुए, ममता बनर्जी मोदी से मोर्चा लेने में रहीं सफल, कांग्रेस ने बताया 'जल्दबाजी, राहुल 2014 से मोदी के खिलाफ उपयुक्त चेहरा', हालांकि बंगाल चुनाव के बाद TMC के हौसले हैं बुलंद, पहले भी बता चुकी है कांग्रेस को साथ लड़ने वाला योद्धा

राहुल गांधी विफल, ममता हैं विकल्प
राहुल गांधी विफल, ममता हैं विकल्प

Politalks.News/Westbengal.  एक ओर जहां लोकससभा चुनाव 2024 से पहले पूरा विपक्ष एक एंटी-बीजेपी मोर्चा बनाने की कवायद में है, ऐसे वक्त में टीएमसी ने एक बड़ा सियासी बम फोड़ दिया है. कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच संबंध उस समय टूट गया, जब तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनकर उभरी हैं. टीएमसी ने कहा कि पीएम मोदी का वैकल्पिक चेहरा बनने में राहुल गांधी विफल रहे हैं. इसलिए ममता को ही विपक्ष का नेतृत्व करना चाहिए.

हालांकि, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस के दावे को ज्यादा महत्व देने से इनकार करते हुए कहा कि यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि मोदी का वैकल्पिक चेहरा कौन बनेगा?. कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि, ‘राहुल गांधी 2014 से ही मोदी सरकार के खिलाफ पक्ष के सबसे उपयुक्त नेता के तौर पर पहचान बनाए हुए हैं’. हालांकि TMC की ओर से डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहा है कि, ‘उनकी पार्टी का मकसद न तो कांग्रेस का अपमान करना है और न ही वह कांग्रेस के बिना दिल्ली में बीजेपी के विकल्प पर बात करना चाहती है’. लेकिन विपक्षी एकता के दावों की पोल तो खुली दिख रही है.

तृणमूल का दावा- राहुल गांधी विफल, ममता हैं विकल्प
दरअसल तृणमूल के मुख पत्र अखबार ‘जागो बांग्ला’ ने शुक्रवार को एक आर्टिकल पब्लिश किया है जिसकी हेडिंग है- ‘राहुल गांधी विफल, ममता हैं विकल्प’...इस लेख में तृणमूल के लोकसभा सांसद सुदीप बंधोपाध्याय, प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते हुए लिखते हैं कि, ‘देश विकल्प तलाश रहा है. मैं राहुल गांधी को लंबे समय से जानता हूं, लेकिन कह सकता हूं कि वे मोदी के विकल्प के तौर पर पहचान बनाने में नाकाम रहे हैं. वहीं ममता बनर्जी इस मोर्चे पर सफल रही हैं’.

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कांग्रेस का जवाब- अभी विकल्प की बात करना जल्दबाजी
तृणमूल के दावे पर अब विवाद शुरू हो गया है. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पश्चिम बंगाल कांग्रेस ने कहा है कि, ‘ऐसे बयानों को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है, अभी ये कहना जल्दबाजी है कि मोदी का विकल्प कौन होगा?’. बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि, ‘हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते कि कौन सफल है और कौन नहीं. अभी 2021 चल रहा है और लोकसभा चुनाव 2024 में होने हैं’. अधीर रंजन का कहना है कि, ‘राहुल गांधी 2014 से ही मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के सबसे उपयुक्त नेता के तौर पर पहचान बनाए हुए हैं’.

वहीं कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि, ‘विपक्ष को सबकी सहमति से तय करना चाहिए कि उनका आम नेता कौन होगा? भारतीय राजनीति का इतिहास गवाह है कि गठबंधन में सहयोगी दलों ने हमेशा सर्वसम्मति से ही नेता चुना है. इसलिए इस मुद्दे पर कई विचार हो सकते हैं, लेकिन इनमें से किसी को आखिरी फैसला नहीं कह सकते’.

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तृणमूल की सफाई- जनता ही राहुल को विकल्प नहीं मान रही
तृणमूल के सीनियर लीडर कुनाल घोष ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करते हुए कहा है कि, ‘उनकी पार्टी का मकसद न तो कांग्रेस का अपमान करना है और न ही वह कांग्रेस के बिना दिल्ली में बीजेपी के विकल्प पर बात करना चाहती है’. घोष ने सफाई दी है कि, ‘सुदीप बंधोपाध्याय ने कांग्रेस के बिना किसी विकल्प की बात नहीं की है. उन्होंने तो सिर्फ अपने अनुभव बताए हैं कि जनता राहुल को मोदी का विकल्प नहीं मान रही और राहुल अभी इसके लिए तैयार भी नहीं हैं’.
घोष का कहना है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल खुद को साबित नहीं कर पाए, लेकिन बंगाल में इस साल हुए विधानस चुनाव में तृणमूल की जीत के बाद ममता बनर्जी, मोदी का विकल्प बनकर उभरी हैं’.

TMC नेता का बयान माना जा रहा अहम
जहां विपक्षी दलों के एक साथ आने की अटकलें तेज हो रही हैं, तो ऐसे समय में टीएमसी नेता के इस बयान को काफी अहम माना जा रहा है और इससे आपस में रार और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. आपको बता दें कि, ‘बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद टीएमसी का इस बात पर जोर दिया था कि 2024 चुनाव में कांग्रेस अगुवा नहीं, साथ लड़ने वाला योद्धा है’. इसी साल बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की तमाम कोशिशों के बावजूद ममता बनर्जी सरकार बचाने में सफल रहीं. ऐसे में टीएमसी के हौसले बुलंद हैं. पार्टी का मानना है कि पूरे देश में मोदी के विकल्प के तौर पर ममता को चेहरा बनाया जा सकता है.

 

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