Politalks.News/Delhi/Congress/GulamNabi. बिहार विधानसभा और अन्य राज्यों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस के लचर प्रदर्शन के बाद पार्टी की कार्यशैली और नेतृत्व को लेकर मचा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा. कपिल सिब्बल के बाद अब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर पार्टी के कामकाज के तरीके पर सवाल उठाए हैं. गुलाम नबी ने रविवार को पार्टी में पदाधिकारियों के चुनाव कराने पर जोर देते हुए नेताओं में पनप रहे 5 स्टार कल्चर और चुनाव में मिली हार पर भी तीखे कमेंट किए.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम सभी हारों से चिंतित हैं, खासतौर से बिहार और उपचुनावों के नतीजों से. आजाद ने कहा मैं हार के लिए लीडरशिप को जिम्मेदार नहीं मानता हूं. हमारे लोगों ने जमीनी स्तर पर जुड़ाव खो दिया है.’ उन्होंने कहा ‘किसी को भी अपनी पार्टी से प्यार होना चाहिए.’
‘5 स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते’
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 5 स्टार कल्चर से चुनाव नहीं जीते जा सकते. आज नेताओं के साथ यह दिक्कत है कि अगर उन्हें टिकट मिल जाता है तो वे सबसे पहले 5 स्टार होटल बुक करते हैं. अगर सड़क खराब है तो वे उस पर नहीं जाएंगे. जब तक इस 5-स्टार कल्चर को छोड़ नहीं दिया जाता, तब तक कोई चुनाव नहीं जीता जा सकता. पार्टी पदाधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए. जब तक पदाधिकारी नियुक्त किए जाते रहेंगे, वे ग्राउंड पर नहीं जाएंगे. अगर सभी पदाधिकारी एक प्रक्रिया के तहत चुने जाते हैं, तो वे अपनी जिम्मेदारी समझेंगे. अभी, किसी को भी पार्टी में कोई भी पद मिल जाता है.
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पार्टी में पदों के लिए चुनाव कराने की जरूरत है
गुलाम नबी ने कहा कि पिछले 72 साल में कांग्रेस सबसे निचले पायदान पर है. कांग्रेस के पास पिछले दो कार्यकाल के दौरान लोकसभा में विपक्ष के नेता का पद भी नहीं है. आजाद ने आगे कहा कि जब तक हम हर स्तर पर अपने कामकाज के तरीके नहीं बदलेंगे, चीजें नहीं बदलेंगी. लीडरशिप को पार्टी कार्यकर्ताओं को एक प्रोग्राम देने और पदों के लिए चुनाव कराने की जरूरत है. किसी को भी इस लायक होना चाहिए कि उसके न होने पर लीडरशिप उसके बारे में पूछे.
पार्टी ढांचे को फिर से तैयार करने की जरूरत है
आजाद ने आगे कहा कि हमारी पार्टी का ढांचा ढह गया है, हमें इसे फिर से तैयार करने की जरूरत है. फिर कोई नेता उस स्ट्रक्चर के हिसाब से चुना जाता है, तो यह तरीका काम करेगा, लेकिन यह कहना कि सिर्फ नेता बदलने से हम बिहार या यूपी, एमपी जीत लेंगे तो यह गलत है. हां लेकिन एक बार जब हम सिस्टम बदल देंगे तो ऐसा होने लगेगा.
‘गांधी परिवार को क्लीन चिट‘
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मैं कोरोना के कारण गांधी परिवार को क्लीन चिट दे रहा हूं. वे अभी बहुत कुछ नहीं कर सकते. हमारी मांगों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. वे हमारी ज्यादातर मांगों पर सहमत हो गए हैं. देश में विकल्प बनना चाहते हैं और पार्टी को फिर जिंदा करना चाहते हैं तो हमारी लीडरशिप को पार्टी में पदों के लिए चुनाव करना चाहिए.
पार्टी में लीडरशिप का क्राइसिस नहीं- सलमान खुर्शीद
गुलाम नबी आजाद के बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद का बयान सामने आया है. खुर्शीद ने कहा कि पार्टी के अंदर लीडरशिप का क्राइसिस नहीं है. सभी सोनिया गांधी और राहुल के सपोर्ट में हैं, जो अंधा नहीं है, उसे यह दिख जाएगा. एक इंटरव्यू में खुर्शीद ने कहा कि पार्टी की लीडरशिप मेरी बात सुनती है, मुझे मौका दिया जाता है. उन्हें भी मौका दिया जाता है, जो कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व किसी की सुन नहीं रहा है. चुनावों में हार पर पार्टी के बड़े नेताओं कपिल सिब्बल और पी चिदंबरम की टिप्पणियों पर खुर्शीद ने कहा कि उन्होंने जो कहा उससे असहमत नहीं हो सकते, लेकिन कोई भी यह बात बाहर जाकर मीडिया और दुनिया को क्यों बताता है कि हमें ऐसा करने की जरूरत है.
सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी उठी थी मांग
गौरतलब है की कुछ महीने पहले हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक में पार्टी में चुनाव कराने की मांग को लेकर पार्टी के 23 नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी भी लिखी थी. इनमें कपिल सिब्बल के साथ गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे. चिट्ठी में पार्टी में ऊपर से नीचे तक बदलाव करने की मांग की गई थी. बैठक में चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की भाजपा से मिलीभगत का आरोप लगाए जाने से ये दोनों नाराज हो गए थे. बिहार चुनाव में हार के बाद कपिल सिब्बल ने तो यहां तक कह दिया था कि पार्टी ने शायद हर चुनाव में हार को ही नियति मान लिया है. इसे पार्टी के टॉप लीडरशिप यानी सोनिया और राहुल गांधी पर निशाना माना गया था.