सेनेटरी पैड के सवाल पर ‘कॉन्डोम’ की टिप्पणी करने वाली IAS को नोटिस जारी, अधिकारी ने मांगी माफी

एक स्कूली छात्रा ने एक महिला आईएएस अधिकारी से सीधा सा सवाल पूछा कि क्या सरकार 20 से 30 रुपये में सेनेटरी पैड्स भी दे सकती है? इस पर आईएएस अधिकारी ने अजीब जवाब देते हुए कहा, "कल को आप कहेंगी-सरकार जींस भी दे सकती है. और इसके बाद सुंदर जूते क्यों नहीं? फिर आप सरकार से परिवार नियोजन के तरीकों और कंडोम्स की भी उम्मीद करेंगी

अधिकारी के बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान
अधिकारी के बयान पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान

Politalks.News/Bihar. हाल ही बीजेपी का साथ छोड़कर राजद से हाथ मिलाकर सरकार बनाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज बीते दिनों एक सा वाक्या हुआ जो कि सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ. बिहार की एक स्कूली छात्रा ने एक महिला आईएएस अधिकारी से सीधा सा सवाल पूछा कि, “क्या सरकार 20 से 30 रुपये में सेनेटरी पैड्स भी दे सकती है?” इस सवाल का आईएएस अधिकारी हरजोत कौर भामरा ने अजीब जवाब दिया. अधिकारी ने कहा, “कल को आप कहेंगी-सरकार जींस भी दे सकती है और इसके बाद सुंदर जूते क्यों नहीं?” इसके बाद उन्होंने कहा, “अंत में आप सरकार से परिवार नियोजन के तरीकों, कंडोम्स की भी उम्मीद करेंगी और कहेंगी सरकार कंडोम उपलब्ध कराएगी क्या? इस पर जब इस स्कूली छात्रा ने कहा कि लोगों के वोट से सरकार बनती है, तो इस IAS अधिकारी ने कहा कि, “यह मूर्खता की पराकाष्ठा है तो वोट मत करो, पाकिस्तान बनो, क्या आप पैसे और सेवाओं के लिए वोट करते हैं?” हालांकि अब राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने घटना पर संज्ञान लिया है और टिप्पणी के लिए लिखित स्पष्टीकरण मांगा है. इसके लिए आईएएस अधिकारी को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करना होगा.

आपको बता दें यह चौंकाने वाला सवाल-जवाब का सेशन, एक झुग्गी बस्ती में ‘सशक्त बेटी, समृद्ध बिहार’ (सशक्त बेटियां, समृद्ध बिहार) पर आयोजित हुई एक कार्यशाला के मंच पर हुआ. प्रोजेक्ट की टैगलाइन थी ‘टुवर्ड्स एनहेंसिंग द वैल्यू ऑफ गर्ल्स. यहां आपको बता दें कि हरजोत कौर भामरा राज्य के महिला एवं बाल विकास निगम की प्रमुख हैं, जिसने यूनिसेफ और अन्य संगठनों के सहयोग से मंगलवार को इस कार्यक्रम का आयोजन किया. बाद में इस अधिकारी ने अपनी टिप्पणी को ‘सुधारने’ की कोशिश की. उपस्थित लोगों से मुखातिब होते हुए आईएएस अधिकारी ने कहा, “आपको सरकार से कुछ भी लेने की ज़रूरत क्यों है? यह सोचने का तरीका गलत है, इसे स्वयं करें.” कार्यक्रम की दर्शकदीर्घा में मुख्य रूप से कक्षा 9 और 10 की छात्राएं उपस्थित थीं.

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हालांकि इसी कार्यक्रम में चौंकाने वाले सवाल-जवाब का यह सिलसिला आगे भी जारी रहा. जब एक स्टूडेंट ने पूछा कि लड़कियों का टॉयलेट टूटा हुआ है और लड़के इससे अकसर आ जाते हैं तो महिला आईएएस अधिकारी ने जवाब दिया कि, ‘मुझे बताएं, क्या आपके घर में अलग टॉयलेट्स हैं? यदि आप अलग-अलग जगहों पर बहुत सी चीजें मांगते रहेंगे, तो यह चलेगा?’ यही नहीं आईएएस अधिकारी हरजौत कौर के पाकिस्तान संबंधी कमेंट पर जब छात्रा ने पलटवार किया कि, ‘मैं भारतीय हूं न कि पाकिस्तानी,’ तो वहां एक बारगी तो सब छात्रा की बेबाकी को देखने लगे. वहीं हरजोत कौर भामरा से जब पूछा गया कि फिर सरकार की योजनाएं क्यों हैं? तो उन्होंने जवाब में कहा, “सोच में बदलाव करने की जरूरत है.” इसके बाद लड़कियों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा कि आपको फैसला करना होगा कि आप भविष्य में खुद को कहां देखना चाहती हैं? यह निर्णय आपको खुद करना होगा.

हालांकि, मामला मीडिया में आने और महिला आयोग के संज्ञान लेने के बाद बिहार की इस आईएएस हरजोत कौर भामरा अपने बयान को लेकर खेद प्रकट किया है. उन्होंने एक पत्र जारी करते हुए लिखा, ‘कार्यक्रम में कही गई कुछ शब्दों के कारण अगर किसी बालिका या प्रतिभागी के भावनाओं को ठेस पहुंची हो तो इसके लिए मैं हरजोत कौर अध्यक्ष सह प्रबंधन निदेशन खेद व्यक्त करती हूं. इसका उद्येश्य किसी को नीचा दिखाने या किसी के भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि उन्हें आगे बढाने के लिए प्रोत्साहित करना था.’

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वहीं आईएएस अधिकारी अधिकारी से सवाल जवाब करने वाली छात्रा रिया कुमारी से जब मीडिया ने बात की तो रिया ने कहा कि मैंने ये सवाल किया था हमारी सरकार हमे हर तरह की सुविधा देती है. लेकिन क्या ये सरकार हमे 20 से 30 रुपये का सेनेटरी पैड नहीं दे सकती है. इसी सवाल पर आईएएस अधिकारी मैडम ने वो जवाब दिया जो देने से पहले उन्हें सोचना चाहिए था. हम वहां झगड़ा करने नहीं गए थे, हम तो सिर्फ अपनी बात रखने गए थे. मैडम को ऐसी बातें करने से पहले सोचना समझना चाहिए था वो किस प्रोग्राम में क्या बोल रही हैं. सरकार ही कहती है बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ. मैडम तो खुद एक लड़की है, उन्हें ऐसा जवाब नहीं देना चाहिए था. वो एक आईएएस अधिकारी हैं, उन्हें ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए थी.

छात्रा ने रिया ने आगे कहा कि हम लोग एक स्लम बस्ति के रहने वाले हैं. तो हमारे पास इतने पैसे नहीं होते कि हम सेनेटरी पैड अलग से खरीद सकें. इसलिए मैंने मुझ जैसी तमाम लड़कियों को ध्यान में रखकर ही सवाल पूछा था. मैं तो कहना चाहूंगी कि किसी को भी एक मौका जरूर मिलना चाहिए ताकि वो अपनी गलती सुधार सकें. मैं उनको माफ कर चुकीं हूं. मैं मैडम को बस इतना कहना चाहती हूं कि अगर आप मदद ना कर सकें तो कम से कम किसी को गलत ना बोलें.

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