सीएम गहलोत ने मांगी सोनिया से माफ़ी, नहीं लड़ेंगे अध्यक्ष का चुनाव, मुख्यमंत्री चेहरे पर संशय बरक़रार

पिछले दिनों की घटना ने हम सब को हिलाकर रख दिया, पूरे देश में मैसेज गया कि मैं बना रहना चाहता हूं मुख्यमंत्री इसलिए ये सबकुछ हुआ, मुझे दुःख है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री और CLP लीडर होने के बावजूद भी कांग्रेस की परंपरा के अनुसार पहली बार एक लाइन का प्रस्ताव मैं पारित नहीं करवा पाया- अशोक गहलोत

मुख्यमंत्री चेहरे पर संशय बरकरार
मुख्यमंत्री चेहरे पर संशय बरकरार

Politalks.News/Rajasthan. राजस्थान के साथ साथ पुरे देश में पिछले दो दिनों से जो सबसे बड़ा सवाल गूंज रहा था कि क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरेंगे या नहीं? लेकिन गुरूवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकत के बाद खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ने का एलान कर दिया है. गुरुवार को 10 जनपथ पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच करीब 1.30 घंटे तक बातचीत हुई. सीएम गहलोत इस बैठक में जाने के लिए एक पत्र भी अपने साथ लेकर गए थे जिसमें साफ लिखा था कि, ‘जो हुआ बहुत दुखद है, मैं भी बहुत आहत हूं’. वहीं सीएम गहलोत के अध्यक्ष पद की रेस से हटने के बाद राजस्थान में नए सीएम को लेकर पेंच फंस गया है कि अब इसकी जरूरत भी रहेगी या नहीं. वहीं गहलोत गुट के विधायक लगातार कह रहे हैं कि अगर सचिन पायलट खेमे से किसी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो हम इस्तीफा दे देंगे.

आपको बता दें, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई बार और हाल ही में कुछ दिन पहले भी कहा था कि राजनीति में जो होता है वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं. उनके ये कथन स्पष्ट रूप से आज चरित्रार्थ होते दिख रहे हैं. पिछले सप्ताह राहुल गांधी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का एलान किया था. यही नहीं उसके बाद तो ये भी साफ़ हो गया था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही कांग्रेस के अध्यक्ष बनने वाले हैं लेकिन पिछले 4 दिनों में हुए सियासी घटनाक्रम ने सबकुछ बदल दिया. बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव से पहले राजस्थान में मुख्यमंत्री चेहरे को बदलने की कवायद ही शुरू हुई थी कि गहलोत गुट ने बगावत कर दी. यही नहीं उसने सीधे आलाकमान को चुनौती देते हुए कहा कि अगर मानेसर जाने वालों में से किसी को भी मुख्यमंत्री बनाया जाता है तो हम इस्तीफा दे देंगे. इस सियासी घमासान के बाद भले ही आलाकमान ने सीएम गहलोत क्लीनचिट दे दी लेकिन उनके करीबियों को कारण बताओं नोटिस जारी कर दिया, बावजूद इसके विधायकों के तेवर नरम नहीं हुए.

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इस पुरे घटनाक्रम के 4 दिन बीत जाने के बाद गुरुवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 जनपथ जाकर सोनिया गांधी से मुलाक़ात की. दोनों के बीच करीब 1.30 घंटे तक चली मुलाकात के बाद सीएम गहलोत ने बाहर आकर कांग्रेस अध्यक्ष पद चुनाव ना लड़ने का बड़ा एलान कर दिया. सीएम गहलोत ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि, ‘पिछले दिनों की घटना ने हम सब को हिलाकर रख दिया. पूरे देश में मैसेज गया कि मैं मुख्यमंत्री बना रहना चाहता हूं, इसलिए ये सबकुछ हुआ. लेकिन ऐसा नहीं है. जो कुछ हुआ उसके लिए मैंने सोनिया गांधी से माफी मांगी है. मैंने पिछले 50 साल तक कांग्रेस के लिए वफादारी के साथ काम किया, मैं सोनियां गाधी के आशीर्वाद से तीसरी बार सीएम बना. मुझे दुःख है कि दो दिन पूर्व राजस्थान में जो हुआ उसके लिए मैंने सोनिया गांधी से माफ़ी मांगी है. प्रदेश का मुख्यमंत्री और CLP लीडर होने के बावजूद भी कांग्रेस की परंपरा के अनुसार पहली बार एक लाइन का प्रस्ताव मैं पारित नहीं करवा पाया. ये मेरी जिम्मेदारी और इसलिए मैंने फैसला किया है कि मैं अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ रहा हूँ.’

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गुरुवार को जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मुलाक़ात चल रही थी उस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी और उनके हनुमान कहे जाने वाले RTDC चैयरमेन धर्मेंद्र राठौड़ और विधायक गोविंद राम मेघवाल ने पत्रकार वार्ता कर पायलट कैंप पर जमकर निशाना साधा. पत्रकारों से बात करते हुए गोविंद राम मेघवाल ने आलाकमान से दो टूक कहा कि, ‘यदि दूसरे गुट के नेता को सीएम बनाया गया तो हम सभी विधायक इस्तीफा दे देंगे. ऐसा पहली बार हुआ था. जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे शख्स ने दूसरे दल के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की थी.’ खैर ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा है कि कौन सिटीफा देता है और कौन नहीं. अब आलाकमान को फैसला करना है कि राजस्थान की कमान किसे सौंपी जाए.

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