पॉलिटॉक्स न्यूज. नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पहले नेपाल की जनता का ध्यान भटकाने और अपनी सरकार बचाने के लिए भारत पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया. इससे पहले नेपाली सरकार ने भारत के तीन हिस्सों को अपने क्षेत्राधिकार में दिखाया. अब ओली एक अलग ही अयोध्या राग अलाप रहे हैं. ओली के अनुसार, राम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या यूपी में न होकर नेपाल में है. ओली ने दावा किया कि भारत ने सांस्कृतिक अतिक्रमण के लिए नकली अयोध्या का निर्माण किया है जबकि असली अयोध्या नेपाल में है.
कवि भानुभक्त की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में ओली ने भारत पर फर्जी अयोध्या बनाकर सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया. ओली ने कहा कि वास्तविक अयोध्या भारत में न होकर नेपाल के वीरगंज के पान ठोरी जगह पर है. ओली के इस बयान पर कई लोगों सहित अयोध्या के संतों ने भी आपत्ति जताते हुए ओली के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. नेपाल के कुछ संघों ने भी ओली के इस दावे का खंडन किया है.
ओली का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और नेपाल के बीच पहले से कई मुद्दों पर तनाव चल रहा है. ओली यही नहीं रूके. उन्होंने कहा कि भारत ने नकली अयोध्या को खड़ा कर नेपाल की सांस्कृतिक तथ्यों का अतिक्रमण किया है. लोग आज तक इस भ्रम में हैं कि सीताजी का विवाह जिस भगवान श्रीराम से हुआ है, वो भारतीय हैं बल्कि सच्चाई ये है कि भगवान श्रीराम नेपाल के हैं.
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ओली के आपत्तिजनक बयान से नाराज अयोध्या के संतों ने ओली के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. राम दल ट्रस्ट के अध्यक्ष रामदास महाराज ने वेद और पुराण में वर्णन का जिक्र करते हुए कहा कि नेपाल में सरयू है ही नहीं. इधर धर्मगुरू महंत परमहंस का कहना है कि केपी शर्मा खुद नेपाली नहीं हैं और वो नेपाल की जनता को धोखा दे रहे हैं. महंत ने कहा कि नेपाल के दो दर्जन से अधिक गांवों पर चीन के कब्जे को छिपाने के लिए पीएम ओली भगवान राम के नाम का सहारा ले रहे हैं.
वहीं अयोध्या शोध संस्थान में निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह ने भी ओली के इस बयान और जानकारी पर कड़ी आपत्ति जताई है. योगेंद्र प्रताप ने ओली के दावे को अपने शोध के जरिए खारिज किया है. योगेंद्र प्रताप का कहना है कि हम संस्कार और संस्कृति को नहीं बदल सकते. नेपाल की संस्कृति और संस्कार मां जानकी से जुड़ी हुई है और अयोध्या की संस्कृति और संस्कार भगवान राम जी से जुड़ी हुई है.
शोध संस्थान निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि रामायण में जो मिथिला का हिस्सा है, वह जनकपुर नेपाल का है, जो माता जानकी (सीता) का जन्म स्थान है. यही वजह है कि नेपाल में न तो राम के जन्म के गीत नहीं गाए जाते हैं और न ही वहां की रामलीला में राम के जन्म से जुड़ा कोई प्रसंग दिखाया जाता है. नेपाल की रामलीला में केवल सीता के जन्म का वर्णन दिखाया जाता है. उसी तरह अयोध्या के रामलीला में मां जानकी का जन्म नहीं दिखाया जाता है. अयोध्या के रामलीला में लोकगीतों में रामचंद्र जी का जन्म कार्यक्रम होता है.
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ओली को चुनौती देते हुए योगेंद्र प्रताप कहते हैं कि अगर वो एक भी प्रसंग बता देंगे कि भगवान रामचंद्र जी का जन्म नेपाल में हुआ है तो हम उसे मान लेंगे. शोध का हवाला देते हुए योगेंद्र प्रताप के आधार पर अगर हम बात करें तो दक्षिण भारत में राम वन गमन मार्ग है जिसे राम जानकी मार्ग भी कहा जाता है. वहीं प्रभु राम से जुड़े दो रास्ते हैं, एक जिधर से राम जी गोरखपुर होते हुए जनकपुर गए थे और दूसरा जब वह धनुष यज्ञ के बाद बलिया होते हुए लौटे थे. ये दोनों मार्ग उत्तर प्रदेश और नेपाल से जुड़े हुए हैं.
वहीं वहीं पद्म भूषण से सम्मानित अमेरिकी वैदिक विद्वान डेविड फ्रॉली ने भी अयोध्या पर पीएम ओली के दावे पर अपनी राय रखी है. डेविड ने ट्विटर के जरिए ओली को कम्युनिज्म छोड़कर राम राज्य को गले लगाने की सलाह दी है. डेविड फ्रॉली ने तो ये तक लिखा कि भगवान राम ने अपने घर के रूप में पूरे भारत की यात्रा की इसलिए नेपाल को भारत में फिर से शामिल हो जाना चाहिए.
दूसरी ओर, ओली की टिप्पणी से अयोध्या के संत नाराज हो गए हैं और उन्होंने ओली के खिलाफ पूरे भारतवर्ष सहित नेपाल में भी अपने अनुयायियों सहित प्रदर्शन का ऐलान किया है.