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Bihar Politics: पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्षी दलों का खड़ा हुआ विपक्षी गठबंधन अब तक न तो पीएम फेस खोज पाया, न ही सीटों का बंटवारा कर पाया. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी से कांग्रेस की खटपट के चलते सहयोगी दलों के साथ आगामी लोकसभा चुनावों के लिए सीटों पर बंटवारा फाइनल नहीं हो पाया है. लेकिन इससे पहले बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टियों से समझौता लगभग फाइनल कर लिया है. यूपी और बिहार और पूर्वोत्तर के राज्यों में सीटों पर समझौता पूरा हो चुका है. एनडीए के सभी दलों से इस पर सहमति भी बन गयी है. हालांकि नीतीश कुमार के चलते बिहार में एनडीए का सियासी गणित अभी भी अटका हुआ है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों नीतीश कुमार की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं.

सूत्रों के अनुसार, बिहार की अधिकांश सीटों पर सहयोगी दलों में समझौते को लेकर सहमति बन गई है. लोजपा को एक करते हुए पार्टी को एक बार फिर छह सीटें दी जा सकती हैं. जीतनराम मांझी को एक से दो सीटें मिल सकती हैं. दो सीटों पर अभी अंतिम सहमति नहीं बन पाई है कि इन सीटों पर किस दल को चुनाव लड़ने का अवसर दिया जाएगा. इन सीटों पर विपक्षी खेमे के दल-उम्मीदवार की स्थिति साफ होने के बाद अंतिम निर्णय किया जाएगा.

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वहीं बिहार में बीजेपी का गणित नीतीश कुमार के कारण अटक सकता है, क्योंकि अभी भी इस बात की आशंका जताई जा रही है कि वे पासा पलट कर बीजेपी के खेमे में आ सकते हैं. सियासी गलियारों से खबरें भी आ रही है कि नीतीश कांग्रेस से नाराज चल रहे हैं. यदि बिहारी बाबू एक बार फिर एनडीए में आते हैं, तो सीटों के बंटवारे में बड़ा उलटफेर हो सकता है. सीटों के चयन पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत पड़ सकती है. ऐसे में बीजेपी भी इस घटनाक्रम के लिए इंतजार कर रही है.

यूपी में दलों में बनी अंतिम सहमति

सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने अपनी सहयोगी पार्टियों के साथ गठबंधन सीटों पर अंतिम सहमति बना ली है. इस बार भी अनुप्रिया पटेल को पूर्वांचल की दो सीटें मिलेंगी. अपना दल (एस) को इस बार भी मिर्जापुर और रॉबर्ट्सगंज की सीट मिलेगी. पिछले चुनाव में अपना दल (एस) ने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए पूरी मशक्कत की थी, लेकिन बीजेपी ने उनकी बात नहीं मानी. इस बार भी बीजेपी उनकी सीटों की संख्या नहीं बढ़ाएगी और इस पर दोनों दलों में सहमति बन गई है.

यूपी में बीजेपी के भरोसेमंद सहयोगी बनकर उभरी निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद को इस बार भी भाजपा के टिकट पर मैदान में उतारा जा सकता है. वहीं, अखिलेश यादव से खटपट के बाद बीजेपी के खेमे से मजबूती से बैटिंग कर रहे ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को एक टिकट मिल सकता है. उनकी पार्टी के उम्मीदवार को वाराणसी के पास की एक राजभर जाति बहुल सीट से बीजेपी के टिकट पर उतारा जा सकता है. राजभर को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ज्यादा हिस्सेदारी देकर उनको संतुष्ट करने की कोशिश की जा सकती है.  

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इसी बीच यूपी में विपक्षी दलों के बीच से दो प्रतिष्ठित नेता बीजेपी ज्वाइन कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में इन सीटों पर उन्हीं उम्मीदवारों को भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उतारा जा सकता है. ये दोनों सीटें पूर्वांचल की हैं.

इसी प्रकार दक्षिण और पूर्वोत्तर में भी सहयोगियों से सीटों पर बातचीत लगभग अंतिम दौर में पहुंच चुकी है. मकर संक्रांति के बाद सीटों की पहली सूची घोषित की जा सकती है. विधानसभा चुनावों की रणनीति पर चलते हुए जिन सीटों पर बीजेपी को अब तक सबसे ज्यादा मुश्किल आती रही है, उन पर सबसे पहले उम्मीदवारों की घोषणा की जा सकती है.

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