Wednesday, January 22, 2025
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लंगड़ी सरकार चलाने वाले बताएंगे कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा…!

बिहार की सियासत में फिर से आने लगा उबाल, रणनीतिकार से नेता बने पीके ने बिहारी बाबू और लालू को दिखाई जमीन, वार के पलटवार का हो रहा इंतजार

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Bihar Politics: इस समय बिहार हो या देश की राजनीति, राजद प्रमुख बने नीतीश कुमार ही छाए हुए हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने का सपना आंखों में सजोए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूरे विपक्ष को एक जाजम पर लाने की जी जान कोशिश कर रहे हैं. इस बीच, रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को अपने मुंह मियां मिट्ठू कहा है. पीके ने तो यहां तक कह दिया कि जदयू का राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में कोई महत्व नहीं है. जदयू को कौन पूछ रहा है.

दरभंगा में एक जन संवाद के दौरान जन सुराज के मुखिया प्रशांत किशोर ने अपने पुराने दोस्त और पुरानी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि जो विपक्ष की राजनीति है, उसमें सबसे बड़ा दल कांग्रेस है, हारे या जीते..ये अलग बात है. दूसरा टीएमसी और तीसरे नंबर पर डीएमके है. जदयू को पूछ कौन रहा है.

जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं, वो नेता कैसे..

पीके ने आगे कहा कि बिहार के लोगों को नीतीश कुमार बहुत बड़े नेता दिखते हैं लेकिन हकीकत ये है कि 42 विधायकों की लंगड़ी सरकार चलाने वाले दल के नेता, जो कभी उछलकर कमल के साथ तो कभी लालटेन के साथ चलते जाते हैं. जिन्हें खुद पर भरोसा नहीं है कि कब वह कहां रहेंगेख् उनको देश में कौन नेता बना रहा है.

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दरअसल राजद प्रमुख लालू यादव ने कुछ समय पहले कहा था कि देश के प्रधानमंत्री नीतीश कुमार बनेंगे. इस पर तंज कसते हुए पीके ने कहा कि जिस पार्टी के सांसद जीरो हैं, वो बता रहा है कि देश का प्रधानमंत्री कौन होगा.

बड़ा पद न मिलने से नाराज हैं नीतीश

गौरतलब है कि विपक्षी एकता की नींव रखने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है. नीतीश ने खास तौर पर दक्षिण में सभी विपक्ष के नेताओं से संपर्क साध उन्हें गठबंधन की एक जाजम के नीचे खड़े करने का मुश्किल काम को अंजाम दिया है. तब ऐसा लग रहा था कि गठबंधन बनने के बाद इन्हें कोई बड़ा ओहदा कोई बड़ा पद दिया जाएगा. ऐसी भी संभावना जताई जा रही थी कि नीतीश को गठबंधन में संयोजक बनाया जाएगा. हालांकि ऐसा हुआ नहीं.

गठबंधन की चार मीटिंग के बाद भी गठबंधन में इन्हें कोई बड़ा पद नहीं दिया गया. इसके बाद नीतीश के नाराज होने की खबरों की चर्चा ने जोर पकड़ा था. नीतीश का ललन सिंह को हटाकर खुद पार्टी मुखिया बनना भी इसी कड़ी का हिस्सा बताया जा रहा है. हालांकि पीके और नीतीश के बीच लंबे समय से नोंकझोंक चल रही है. हालांकि काफी महीनों से सब कुछ शांत चल रहा था. अचानक पीके की ओर से आए वार के बाद बिहारी बाबू का पलटवार कब आता है, इसका इंतजार रहेगा.

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