Politalks.News/Punjab/NavjotSingh Sidhu. आखिरकार पूर्व क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. इससे पहले आज सुबह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट सरेंडर से राहत की अर्जी पर तुरंत सुनवाई की मांग की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने इनकार करते हुए सिद्धू को झटका दे दिया था. अब इसे संयोग कहें या नियति, विधानसभा के सभागार से लेकर विधानसभा चुनाव और सियासी मैदान में जो दो नेता एक दूसरे को चुनौती देते थे वह अब जेल में भी आमने-सामने होंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को पटियाला की उसी जेल में रखा जाएगा जहां पर ड्रग्स मामले में अकाली दल के पूर्व विधायक बिक्रम सिंह मजीठिया बंद हैं. आपको बता दें, 1988 के एक मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल जेल की सख्त सजा सुनायी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत नवजोत सिंह सिद्धू को आज पटियाला कोर्ट में सरेंडर करना था, लेकिन अब उन्होंने हेल्थ प्रॉब्लम का हवाला देते हुए इसके लिए समय मांगा था. वहीं, सिद्धू की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई करते हुए बेंच की तरफ से कहा गया है कि इसको चीफ जस्टिस की बेंच के सामने रखा जाए. चीफ जस्टिस के पास सिद्धू के वकील ने इस पर तुरंत सुनवाई की मांग की, लेकिन चीफ जस्टिस ने इसकी इजाजत नहीं दी और कहा कि वह रजिस्ट्री के पास जाकर पहले याचिका दें. सुप्रीम कोर्ट द्वारा तुरंत सुनवाई से इनकार के बाद आदेश के तहत आज शाम 5बजे तक सिद्धू को कोर्ट में सरेंडर करना ही था.
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दरअसल, 34 साल पुराने यानी साल 1998 के मामले में पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल जेल की सख्त सजा सुनायी है. सिद्धू के हमले में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 हजार रुपए का जुर्माना देकर छोड़ दिया था लेकिन पीड़ित पक्ष के गुहार की वजह से कोर्ट ने यह सख्त फैसला सुनाया है. बता दें, सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला 34 साल पुराना है. दिसंबर 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया था.
विस्तार से जानिए क्या था मामला: आपको बताएं कि नवजोत सिंह सिद्धू और उनके सहयोगी रूपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरांवाला गेट क्रॉसिंग के पास एक सड़क के बीच में खड़ी एक जिप्सी में थे. उस समय गुरनाम सिंह और दो अन्य लोग पैसे निकालने के लिए बैंक जा रहे थे. जब वे चौराहे पर पहुंचे तो मारुति कार चला रहे गुरनाम सिंह ने जिप्सी को सड़क के बीच में पाया और सिद्धू और संधू को इसे हटाने के लिए कहा. इससे दोनों पक्षों में बहस हो गई और बात हाथापाई तक पहुंच गई. गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई. सिद्धू पर आरोप है कि उन्होंने बुजुर्ग के साथ मारपीट की बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई. पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ भी गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था. इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू पर केस चला सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव में छोड़ दिया गया है.
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इसके बाद पीड़ित परिवार इस मामले को लेकर सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुना दी. इस सजा के खिलाफ नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये. सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया. IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में सिद्धू को दोषी ठहरा दिया गया. सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया. सिद्धू के खिलाफ दायर की गयी पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है.
आज नवजोत सिंह सिद्धू के पटियाला कोर्ट ने सरेंडर के बाद अब सिद्धू की अपने सबसे बड़े सियासी दुश्मन बिक्रम सिंह मजीठिया से मुलाकात जेल में ही होगी. सिद्धू और मजीठिया का विवाद बहुत पुराना है. दोनों ही अमृतसर जिले से चुनाव लड़ते रहे हैं. विधानसभा में भी दोनों ही नेता एक दूसरे के खिलाफ खासे आक्रामक होते रहे हैं. मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामले में केस दर्ज करने को लेकर सिद्धू ने पिछली कांग्रेस सरकार पर खासा दबाव बनाया था.
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पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद कोर्ट के फैसले के मुताबिक बिक्रम सिंह मजीठिया को जेल जाना पड़ा. इस समय वह पटियाला की सेंट्रल जेल में बंद हैं. अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू को भी वहीं जाना होगा. राजनीतिक रूप से एक दूसरे के धुर विरोधी रहे मजीठिया और सिद्धू को समय ने एक बार फिर मिलवा दिया है. यह अलग बात है कि इस बार दोनों ही एक साथ जेल में रहेंगे.